इंटरनेट पर हिंदी-उर्दू में काफ़ी ऑडियो-वीडियो मौजूद हैं. इनमें से अधिकतर आम वेब-सर्फ़र के लिए अनदेखे-अनसुने रह जाते हैं. इस सप्ताह संयोग से हमें ऐसी दो ताज़ातरीन प्रस्तुतियों के अवलोकन का मौक़ा मिला.
पहली प्रस्तुति है अपनी हिंदी भाषा में. यह एक ऑडियो इंटरव्यू है. प्रख्यात कथाकार कमलेश्वर के इस इंटरव्यू को प्रसारित किया रेडियो डॉयचे वेले की हिंदी सेवा ने. इस बेबाक इंटरव्यू में कमलेश्वर जी अपने लेखन की चर्चा तो करते ही हैं, अपने पसंदीदा लेखकों के बारे में भी बात करते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर बन रही फ़िल्म की पटकथा लिखने वाले कमलेश्वर जी ने बॉलीवुड से जुड़े अपने अनुभवों का भी ज़िक्र किया है. इंटरव्यू निश्चय ही सुनने योग्य है. यहाँ क्लिक तो करें.
दूसरी प्रस्तुति है अपनी परिचित भाषा उर्दू में. यह एक टॉक-शो है. पाकिस्तान के निर्वासित प्रधानमंत्री मियाँ नवाज़ शरीफ़ से की गई इस बेबाक बातचीत को बीबीसी की उर्दू सेवा ने प्रसारित किया. इसमें शरीफ़ एक जगह बताते हैं कि कैसे तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की सूचना दी थी. देखने योग्य प्रस्तुति है. (वीडियो में बातचीत तीन मिनट के बाद शुरू होती है.)
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