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लेकिन इस माहौल में भी कुछ पत्रकार ऐसे हैं जिनका ज़िक्र होने पर मन में उनके प्रति सम्मान भाव जाग उठता है. निश्चय ही हर इंसान की तरह इन सच्चे पत्रकारों के भी अपने पूर्वाग्रह होंगे, अपनी पसंद-नापसंद होगी. लेकिन जिन ख़ासियतों के कारण ये कलमघिस्सूओं की जमात में अलग नज़र आते हैं, उनमें शामिल हैं- इनकी निडरता, निष्पक्षता, सम्यक भाव, व्यापक दृष्टि, सच्चाई तक पहुँचने की जिजीविषा, समाज के प्रति जवाबदेही का भाव और मानव मात्र के कल्याण की भावना.
भीड़ से अलग दिखने वाले मुट्ठी भर पत्रकारों में से एक हैं केविन साइट्स. टेलीविज़न पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़ा नाम है. अमरीका के दो बड़े टीवी नेटवर्क एनबीसी और सीएनएन के लिए दुनिया के ख़तरनाक क्षेत्रों से साहसिक रिपोर्टिंग करके नाम कमा चुके हैं. ब्लॉग जगत के लिए विशेष ख़ुशी की बात ये है कि अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में अपनी ड्यूटी के दौरान उन्होंने नियमित रूप से ब्लॉगिंग के लिए भी समय निकाला.
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केविन साइट्स छह महीने पहले एक ख़तरनाक यात्रा पर निकल पड़े. इस यात्रा में उन्होंने दुनिया के उन सभी इलाक़ों से रिपोर्टिंग करने की ठानी है जो बारूद के ढेर पर माने जाते हैं, संघर्ष के केंद्र माने जाते हैं- अशांत और ख़तरनाक माने जाते हैं. साइट्स ख़ुद को 'सोजो' कहते हैं यानि 'सोलो जर्नलिस्ट', मतलब 'वन मैन आर्मी'.
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याहू! का पत्रकारिता से कोई सीधा संबंध नहीं है. इतना ही नहीं चीन में कई साहसिक पत्रकारों को जेल भिजवाने में सहायक बन कर उसने साहसिक पत्रकारिता की राह में रोड़े ही अटकाए हैं. लेकिन भला हो याहू! के उन साहबों का जिन्होंने केविन साइट्स की ख़तरनाक परियोजना को हाथ में लेने का साहस किया. आज याहू! के हॉटज़ोन पर केविन की मल्टीमीडिया पत्रकारिता को पूरे प्रभाव के साथ देखा जा सकता है- मतलब दुनिया के ज्ञात संघर्ष केंद्रों से दिल को छू लेने वाली रिपोर्टें- वीडियो, ऑडियो, फ़ोटो और रिपोर्टताज के रूप में. याहू! ने केविन साइट्स की रिपोर्टिंग को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए अपने लॉस एंज्लिस स्थित मीडिया मुख्यालय में तीन प्रतिभाशाली लोगों की समर्पित टीम तैनात कर रखी है.
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दरअसल सच्चाई दिखाने की अपनी आदत से मज़बूर केविन साइट्स ने ज़ुल्म का वह दृश्य दुनिया को दिखा दिया जिसमें एक अमरीकी मरीन एक बेबस इराक़ी को मौत की नींद सुलाता है, वो भी फ़लूजा की एक मस्जिद के भीतर. साइट्स के इस निष्पक्ष और साहसिक काम के बाद साइट्स के ब्लॉग पर एक से एक घटिया संदेश आने लगे. फ़ॉक्स न्यूज़ जैसे बुश-परस्त मीडिया ने उन्हें खलनायक के रूप में पेश किया और एनबीसी नेटवर्क ने भी उनसे दूरी बनाने में अपनी भलाई समझी.
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ख़ुशी की बात है तमाम आलोचनाओं के बावज़ूद केविन साइट्स निराश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने पहले से कहीं ज़्यादा उत्साह से पत्रकारिता जारी रखने का फ़ैसला किया.
3 टिप्पणियां:
kevin ke baare me batane ka shukriya...he is really a one man army
आपकी कहानी बहुत ही बढिया है. दिल चाहता है आप रोज़ाना लिखते रहें और हमारा ज्ञान बढाते रहें. हिंदी लिंक का रंग रूप अब बहुत ही आकर्षक बन गया है. आपको इन प्रयासों के लिये बधाई. उम्मीद है कभी आप अपने बारे में भी हमें कुछ बतायेंगे.
बढ़िया लेख,जानकारी।बधाई!
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