मंगलवार, मार्च 28, 2006

ग़रीबी उन्मूलन का योगी फ़ार्मूला

कंप्यूटर पेशेवरों के निर्यात के ताज़ा चलन के बहुत पहले से ही आधुनिक भारत एक अन्य प्रकार के विशेषज्ञों के निर्यात के लिए पूरी दुनिया, ख़ास कर पश्चिमी जगत में जाना जाता रहा है. विशेषज्ञों का यह प्रकार है- आध्यात्मिक गुरुओं का. भारत से बाहर जाकर किसी न किसी कारण से चर्चित हुए गुरुओं में प्रमुख हैं महर्षि महेश योगी. हॉलैंड में जमे महर्षि अपनी उम्र के ढलान पर हैं, लेकिन अब भी हर दूसरे-तीसरे महीने किसी न किसी कारण सुर्खियों में आ ही जाते हैं.

पिछले दिनों उन्होंने ब्रिटेन में अपने आश्रम को बंद करने की घोषणा कर अपने हज़ारों ब्रितानी शिष्यों का दिल तोड़ा. जानना चाहेंगे क्यों? महर्षि ने ब्रितानी प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर में शैतान की छवि देखी क्योंकि वह इराक़ में हज़ारों निर्दोष लोगों की मौत का प्रमुख कारण हैं. महर्षि ने यह कहते हुए अपने चेलों से आश्रम बंद करने को कहा कि 'शैतान के देश में अच्छे काम करने का कोई मतलब नहीं.'

महर्षि महेश योगी से जुड़ी अनेक संस्थाओं में से एक है महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग. इस संस्था ने पिछले दिनों इंटरनेशनल हेराल्ड ट्रिब्यून अख़बार में कई दिनों तक बड़े-बड़े विज्ञापन देकर दुनिया से ग़रीबी का नामोनिशान मिटा देने के लिए एक योजना की घोषणा की. ग़रीबी का सत्यानाश करने के लिए इसकी सीधी-सादी योजना है- दुनिया भर में उस ज़मीन पर खेती करवाना जो अभी उपयोग में नहीं हैं.

अपने विज्ञापनों के ज़रिए महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग ने बाँड बेचकर 8,000 अरब यूरो जुटाने की घोषणा की. इसे नाम दिया गया है वर्ल्ड पीस बाँड. हर बाँड 50 हज़ार यूरो मूल्य का है.(आज की तिथि में एक यूरो लगभग 53.50 रुपये के बराबर है.) बाबाजी की संस्था का दावा है कि बाँड में कम से कम तीन साल के लिए निवेश करने पर हर साल 10 से 15 प्रतिशत का मुनाफ़ा पाया जा सकता है.

महर्षि महेश योगी की वित्त संस्था बाँड बेच कर जुटाई गई रकम से दो अरब हेक्टेयर ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती करेगी. महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग का कहना है कि यह ज़मीन 100 देशों में है और प्रति हेक्टेयर ज़मीन पर आर्गेनिक खेती की शुरुआत पर चार हज़ार यूरो की लागत आएगी.

वित्तीय मीडिया सेवा ब्लूमबर्ग ने महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग के इस उद्यम की जाँच की. ब्लूमबर्ग को इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि वर्ल्ड पीस बाँड में निवेश से हर साल 10-15 प्रतिशत मुनाफ़ा कमाने की कोई भी संभावना हो सकती है. पहली बात तो यह कि जिस भूभाग पर खेती की बात की जा रही है वो बहुत ही बड़ा है, यानि खेती की थोड़ी भी संभावना वाली दुनिया की कुल ज़मीन का आठवाँ हिस्सा. कहने की ज़रूरत नहीं कि अच्छी ज़मीन पर हर जगह पहले से ही खेती हो रही है, और महर्षि की संस्था उपयोग में नहीं लाई जा रही ज़मीन पर खेती की बात कर रही है, जो कि निश्चय ही दूसरे दर्जे की ज़मीन होगी. दूसरी बात यह कि खेती में निवेश को कभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि खेती को प्रतिकूल मौसमी दशाओं और कीटजनति बीमारियों जैसे ख़तरों का हमेशा सामना करना पड़ता है. अत्यधिक बारिश, सूखा, ओलावृष्टि, गर्मी, सर्दी और न जाने कैसी-कैसी विपरीत मौसमी दशाएँ खेती को पूरी तरह चौपट करने में सक्षम होती हैं.

ब्लूमबर्ग के पत्रकार ने इस आशंका को महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग के कर्ताधर्ता बेंजामिन फ़ेल्डमैन के सामने पेश किया. फ़ेल्डमैन कोई स्पष्ट जवाब देने की स्थिति में नहीं थे. उन्होंने मात्र इतना कहा कि वे निर्यातोन्मुख खेती कराएँगे. उनका यह भी कहना था कि विपरीत मौसमी दशाएँ एक बार में ज़्यादा से ज़्यादा दो-एक देशों में खेती पर बुरा असर डालेगी, सभी सौ देशों में नहीं. लेकिन जब अत्यंत उपजाऊ ज़मीन पर अत्याधुनिक वैज्ञानिक तरीक़े से की जा रही खेती में भी लगातार 15 प्रतिशत रिटर्न मिलने के उदाहरण कम ही मिलते हों, तो महर्षि ग्लोबल फ़ाइनेंसिंग किस दम पर ऐसा दावा कर रही है कहना मुश्किल है.


यहाँ उल्लेखनीय यह है कि नीदरलैंड्स के अधिकारी महर्षि बाँड की बिक्री पर रोक भी नहीं लगा सकते क्योंकि वहाँ के क़ानून के हिसाब से योजना में कोई खोट नहीं है. नीदरलैंड्स के वित्तीय क़ानून कुछ ज़्यादा ही उदार हैं तभी तो महर्षि महेश योगी साढ़े तीन साल पहले राम नामक अपनी अलग मुद्रा जारी करने में सफल रहे थे.

3 टिप्‍पणियां:

Jitendra Chaudhary ने कहा…

बहुत सुन्दर और जानकारीपूर्ण लेख है। महर्षि योगी की यूरोप मे अच्छी खासी पैठ है।इसका अपना टीवी चैनल भी है, हालांकि आजतक मुझे कुछ भी समझ नही आया, इस चैनल में।लेकिन ये योगी ही क्यों, अपने हिन्दुस्तान मे योगी कम है क्या, सभी अपनी अपनी रोटियां सेंक रहे है।रही बात परियोजना की, तो भैया चार दिन की चाँदनी है फिर अन्धेरी रात या फिर कहो "कौवा चला हंस की चाल, अपनी चाल भूल बैठा" अब योगी/सन्यासी ही बिजिनेसमैन जैसी बाते करेंगे तो हो गया कल्याण।

Pratik Pandey ने कहा…

हमेशा की तरह आपका यह लेख भी काफ़ी ज्ञानवर्धक है। महर्षि महेश योगी पश्चिम में वैदिक दर्शन के प्रचार-प्रसार का बहुत ही उत्तम कार्य कर रहे हैं। लेकिन उनकी यह 'ग़रीबी उन्मूलन योजना' पैसे कमाने की जुगाड़ ज़्यादा लगती है।

अनूप शुक्ल ने कहा…

महेश योगी की गरीबी मिटाने की योजना उनके ऊपर ही लागू होती है। बाकी के लिये बाहियात।