गुरुवार, मई 05, 2011

गांधीगिरी का प्रशिक्षण

हिंसा और गृहयुद्ध का पर्याय रहे बाल्कन के युवा आज दुनिया को गांधीगिरी का पाठ पढ़ा रहे हैं. ये सत्कर्म हो रहा है कैनवस नामक एक ग़ैरसरकारी संगठन के ज़रिए.

अरब जगत में इस साल शुरू हुए लोकतांत्रिक वसंत में कैनवस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ट्यूनीशिया और मिस्र के लोकतंत्रवादी कार्यकर्ताओं को कैनवस से महत्वपूर्ण दिशानिर्देश मिलते रहे हैं. इससे पहले जॉर्जिया, यूक्रेन और मालदीव में कैनवस की नीति क़ामयाब साबित हो चुकी है.

कैनवस के सदस्य गांधीगिरी सिखाने के लिए दुनिया भर में जाते हैं. स्थानीय राजनीतिक परिस्थितियों के कारण यदि वे किसी देश में नहीं जा पाते हैं, तो वहाँ के कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि को बेलग्रेद आमंत्रित किया जाता है. मिस्र के प्रमुख लोकतंत्रवादी गुट अप्रैल 6 के प्रतिनिधि मोहम्मद आदिल ने कैनवस से अहिंसक संघर्ष का पाठ सीखने के लिए बेलग्रेद में समय बिताया था.

काहिरा में कैनवस की मुट्ठी
कैनवस के प्रशिक्षकों में सर्बिया के अलावा जॉर्जिया, यूक्रेन और दक्षिण अफ़्रीका के अनुभवी लोकतंत्रवादी शामिल हैं. यहाँ ये उल्लेखनीय है कि कैनवस सिर्फ़ उन्हीं संगठनों या समूहों की मदद करता है जिनका हिंसा का कोई इतिहास नहीं रहा हो. इस समय ईरान, बर्मा, बेलारुस और वेनेज़ुएला समेत दुनिया के 50 देशों के कार्यकर्ता अहिंसक संघर्ष के बारे में कैनवस की सहायता ले रहे हैं.

कैनवस के संचालक हैं 38 वर्षीय सर्दया पोपोविच और 36 वर्षीय स्लोबोदान दियोनोविच. बेलग्रेद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान से ही दोनों घनिष्ठ मित्र रहे हैं. पोपोविच प्रशिक्षित जीवविज्ञानी हैं, जबकि दियोनोविच ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अमरीका में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रखी है.

कैनवस की शुरुआत Otpor नामक एक आंदोलन से हुई है. अक्तूबर 2000 में  बेलग्रेद विश्वविद्यालय के छात्रों के एक गुट ने तानाशाह स्लोबोदान मिलोसेविच की सत्ता को उखाड़ फेकने के उद्देश्य से ओतपोर की शुरुआत की थी. सर्ब भाषा के इस शब्द का मतलब है- प्रतिरोध. ओतपोर का प्रतीक चिन्ह बनाया गया था बंद मुट्ठी को.(यही बंद मुट्ठी अब कैनवस के लोगो का मुख्य हिस्सा है.)

ओतपोर में शामिल छात्रों के प्रेरणास्रोत तीन लोग थे- महात्मा गांधी, मार्टिन लुथर किंग और जीन शार्प. सर्वविदित है कि मार्टिन लुथर किंग और जीन शार्प की विचारधाराओं पर गांधीवाद की गहरी छाप है. यानि ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मिलोसेविच के पतन में सहायक रहा ओतपोर मूलत: एक गांधीवादी आंदोलन था. आश्चर्य नहीं कि न्यू बेलग्रेद में कैनवस का दफ़्तर गांधीओवा मार्ग पर है.

सर्बिया में लोकतंत्र के उदय के बाद से ओतपोर से जुड़े अनेक कार्यकर्ता अधिकारी, सांसद और मंत्री बन चुके हैं. लेकिन उनमें से कइयों ने पूरी तरह सत्तातंत्र में विलीन होने की जगह अपने सफल संघर्ष के अनुभव को दुनिया में  बांटना ज़्यादा महत्वपूर्ण समझा. उन्होंने Centre for Applied NonViolent Strategies या Canvas की नींव रखी.

कैनवस का आधा ख़र्च दियोनोविच उठाते हैं (जिनका इंटरनेट सेवा से जुड़ा एक सफल उद्यम है), बाक़ी ग़ैरसरकारी दानदाताओं  और संयुक्तराष्ट्र के ज़रिए आता है. कैनवस का घोषित उद्देश्य राजनीतिक नहीं, बल्कि शैक्षिक है.

अहिंसक संघर्ष चलाने के लिए आज दुनिया भर में  कैनवस की व्यावहारिक पुस्तिका (नाम पर क्लिक करें)-  'अहिंसक संघर्ष- 50 महत्वपूर्ण बिंदु' की मदद ली जाती है.

मंगलवार, अप्रैल 26, 2011

तस्वीरें नौकरशाही की

भारत में ऐसे कम ही लोग होंगे जिनका मोटी खाल और पत्थर दिल वाली नौकरशाही से पाला नहीं पड़ा हो. लेकिन डच छायाकार Jan Banning की Bureaucratics सिरीज़ की तस्वीरें संभव है नौकरशाही में शामिल लोगों के प्रति आपके नज़रिए में थोड़ी सहानुभूति का भाव भर दे.

नौकरशाही की तस्वीरों के लिए यॉन बैनिंग आठ देशों के सैंकड़ो दफ़्तरों में गए. प्रस्तुत है इस सिरीज़ के लिए 2003 में बिहार में खींची गई कुछ तस्वीरें जिनके लिए बैनिंग को वर्ल्ड प्रेस फ़ोटो अवार्ड मिल चुका है.





बैनिंग की नौकरशाही सिरीज़ की तस्वीरों के तकनीकी पक्ष के बारे में प्रस्तुत है न्यूयॉर्कर में छपी रिपोर्ट का एक अंश-

Content dictated form. “What is bureaucracy?” Banning asked. “First of all, it’s square, so I used a square format. Second, it’s straight lines, and in the middle of that grid you’ve got this round being, this human being. And the camera is a metaphor for the local citizen who enters that space. So I always put myself directly in front of the desk or at ninety degrees to the desk, to get that Mondrian structure.”

The element of surprise was crucial. Given any warning, the bureaucrats would try to tidy their workspaces, but Banning wanted to see each office in all its cluttered glory, just as an everyday citizen would encounter it.