वात्स्यायन अभी जीवित होते तो शायद अपनी लोकप्रिय किताब कामसूत्र में एक नया चैप्टर जोड़ने पर विचार कर रहे होते. यह अध्याय यौन-क्रीड़ा के विभिन्न आसनों से ही जुड़ा होता, लेकिन बिल्कुल ही नए क़िस्म के आसन. क्योंकि बात अंतरिक्षयात्रा के दौरान सेक्स की संभावनाओं की हो रही है.
अंतरिक्षयात्री भी मानव ही हैं, लेकिन हमारे जैसे मामूली लोगों की तरह उनके पाँव सतह पर मज़बूती से नहीं पड़ते. अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान उन्हें भारहीनता की स्थिति में रहना पड़ता है, क्योंकि वे धरती के गुरुत्वाकर्षण के बिना रह रहे होते हैं. जब आपके पाँव सतह पर टिक नहीं रहे हों, वैसी स्थिति में कामसूत्र के लोकप्रिय आसनों का कोई ख़ास महत्व नहीं रह जाता है.
ये जाना-माना तथ्य है कि अंतरिक्षयात्रियों को किसी मिशन के दौरान सेक्स की मनाही होती है. हो भी क्यों नहीं. किसी एस्ट्रोनॉट के दिल की एक-एक धड़कन पर मिशन कंट्रोल वालों की निगरानी रहती है क्योंकि न सिर्फ़ महत्वपूर्ण प्रयोगों को पूरा करने, बल्कि ख़ुद एस्ट्रोनॉट को सही-सलामत रखने की चुनौती जो होती है. और सेक्स के दौरान मानव शरीर में होने वाली उथल-पुथल ना जाने अंतरिक्ष में क्या स्थिति बना दे.
एक और समस्या है:- वैज्ञानिकों को अभी इस बात का ज़्यादा अंदाज़ा नहीं है कि अंतरिक्ष में ठहरा गर्भ धरती पर किस तरह के गुण-अवगुण वाले बच्चे के जन्म का कारण बन सकता है. आप कह सकते हैं कि अंतरिक्ष यात्री सेक्स के दौरान गर्भनिरोधक का सहारा ले सकते हैं, लेकिन जब सेक्स हार्मोन्स ज़ोर मार रहे हों तो कई बार गर्भनिरोधकों की बात याद नहीं रख जाती. आप कहेंगे, यदि गर्भ ठहर ही जाता है तो धरती पर आने के बाद उससे मुक्ति पा ली जाएगी. सैद्धांतिक रूप से ऐसा संभव है, लेकिन सिद्धांतत: ही सही, समान मानवाधिकारों के इस युग में कोई एस्ट्रोनॉट-युगल बच्चा जनने के अधिकार को लेकर अदालत की राह भी तो पकड़ सकता है.
चित्र: भारहीनता का खेल
ख़ैर, आइए इस सारे विवाद की जड़ पर. अमरीका के नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज के एक अध्ययन में कहा गया है कि अंतरिक्ष में सेक्स के सवाल से समय रहते नहीं निपटा गया तो चाँद और मंगल पर भविष्य में भेजे जाने वाले मानव मिशनों के दौरान गड़बड़ियाँ सामने आ सकती हैं. न्यू साइंटिस्ट के ताज़ा अंक में इस अध्ययन का ज़िक्र किया गया है.
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी, नासा से इस मसले पर गंभीरता से विचार करने की अपील करते हुए नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज की रिपोर्ट लिखने वाली टीम के सदस्य और यूनिवर्सिटि ऑफ़ साउदर्न कैलिफ़ोर्निया के मेडिकल एंथ्रोपोलोजिस्ट लॉरेंस पैलिंकस कहते हैं, "दीर्घावधि के अंतरिक्ष मिशनों की संभावनाओं को देखते हुए सेक्सुअल्टि के सवाल को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है."
पैलिंकस की चिंताओं से सहमति जताते हुए कैलिफ़ोर्निया में ही ओकलैंड स्थित यौन संबंधों से जुड़े मसलों के विशेषज्ञ मनोविश्लेषक रिन्क्लेब एलिसन कहते हैं, "पार्टनर बनाने और सेक्स से जुड़ी मूल भावनाओं की बात करें तो मानव आदिमकालीन स्थिति से आगे नहीं जा पाया है."
एलिसन का मतलब साफ़ है कि मानवीय यौन भावनाओं को पूरी तरह नियंत्रित करना लगभग असंभव है. इसका उदाहरण 2000 की उस घटना में देखा भी जा सकता है जब अंतरिक्ष यात्रा के लिए भारहीनता की आठ महीने तक चलने वाली ट्रेनिंग के दौरान एक रूसी(पुरुष) और एक कनाडियन(महिला) वैज्ञानिकों को अलग-अलग कक्षों में अभ्यास कराने की व्यवस्था करनी पड़ी थी. दरअसल दो बार रूसी वैज्ञानिक को कनाडियन रिसर्चर को चूमने की अनधिकृत कोशिश करते पकड़ा गया था.
पैलिंकस और ऐलिसन दोनों ही लंबे अंतरिक्ष मिशनों के दौरान सेक्स की संभावनाओं को तलाशने के पक्षधर हैं. पैलिंकस का मानना है कि सेक्स के सहारे अंतरिक्ष यात्रियों में स्थायित्व और सब कुछ सामान्य होने की भावना घर कर सकेगी. इसी तरह ऐलिसन का मानना है कि सेक्स और अन्य यौन-क्रीड़ाओं के ज़रिए एस्ट्रोनॉट्स लंबी यात्राओं के दौरान बोरियत और चिंताओं से निज़ात पा सकेंगे.
ऐलिसन ने कहा है कि नासा को दुनिया से बाहर दुनियादारी की व्यावहारिक समस्याओं पर विचार शुरू कर देना चाहिए. उन्होंने समस्याओं में से कुछ का उदाहरण दिया, "भारहीनता की स्थिति में कैसे सेक्स किया जा सकता है? प्राइवेसी भी एक समस्या होगी क्योंकि हर अंतरिक्ष यात्री के दिल की धड़कन और शरीर के तापमान तक पर भी हमेशा निगरानी रहती है."
यहाँ नासा के सलाहकार रहे जी. हैरी स्टाइन की किताब लिविंग इन स्पेस का ज़िक्र करना उचित होगा.स्टाइन ने लिखा है कि अल्बामा के मार्शल स्पेस फ़्लाइट सेंटर में प्रयोगों के दौरान पाया गया कि भारहीनता की स्थित में सेक्स संभव तो है, लेकिन यह बहुत ही मुश्किल काम है. उनकी माने तो कोई तीसरा अंतरिक्ष यात्री सेक्स करने के इच्छुक जोड़ी में से एक को सहारा दे तब शायद काम कुछ आसान हो जाएगा. वैसे यह भी बताता चलूँ कि स्टाइन अल्बामा में जिन आधिकारिक और ग़ैरआधिकारिक प्रयोगों की बात करते हैं उनकी सच्चाई संदिग्ध मानी जाती है.
इसी तरह विज्ञान से जुड़ी रिपोर्टों के लिए मशहूर फ़्रांसीसी लेखक पिएरे कोहलर ने कुछ वर्ष पहले इस कथित रहस्योदघाटन से सनसनी फैला दी थी कि अमरीकी और रूसी वैज्ञानिकों ने भारहीनता की स्थिति में सेक्स के ऊपर प्रयोग किया है. कोहलर ने द फ़ाइनल मिशन: मीर, द ह्यूमैन एडवेंचर में अमरीका और रूस सरकारों के गोपनीय आवरण को छिन्न-भिन्न करने की भूमिका बनाते हुए लिखा है कि 1996 में एक शटल मिशन के दौरान कुल 20 सेक्स आसनों को आजमाया गया ताकि टॉप-टेन पोज़ीशन्स चुने जा सकें. कोहलर की मानें तो चुने गए 10 आसनों में से मात्र चार ऐसे थे जो कि बिना किसी तीसरे व्यक्ति या मेकेनिकल उपकरणों(स्पेशल बेल्ट, नली आदि) की सहायता के संभव हैं. उन्होंने एक और सनसनीखेज बात बताई है कि धरती पर सबसे लोकप्रिय मिशनरी सेक्स पोज़ीशन को भारहीनता की स्थिति में आज़माना संभव नहीं है. न तो रूसी और न ही अमरीकी सरकार ने इस रहस्योदघाटन की सच्चाई की पुष्टि की है.
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4 टिप्पणियां:
बड़ा खोजपरक लेख है। वाह।बधाई लिखने के लिये।
अनूप जी, धन्यवाद! पाँच-दस पाठक ही आनंदित हो जाएँ तो मैं अपनी मेहनत सार्थक मान लेता हूँ.
मिर्ची सेठ की बधाई भी स्वीकार करें।
क्या बात है आपने तो बिलकुल नई तार छेड़ दी है, कैसे होगा और क्या होगा वहां पे कि गइ काम क्रिया यह तो नासा वाले बताऐंगें, क्योंकि वे हर धड़कन पे नजर रखते हैं, पर एक बात तो तय है वे वहां जाकर रोक तो नही सकते है। काम और जीवन अपना रास्ता अपने आप खोज लेती है।
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