रविवार, अक्टूबर 09, 2005

दो ब्लॉगरों को जेल की सजा


ये तो पहले से ही स्पष्ट होता जा रहा था कि आने वाले दिनों में इंटरनेट पर निगरानी बढ़ती ही जाएगी. लेकिन किसी को ब्लॉग में लिखी बात के आधार पर जेल भेज दिया जाएगा...किसी को अनुमान नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है.

तो जनाब पुलिसिया राष्ट्र सिंगापुर में दो ब्लॉगरों को जेल भेजा गया. सजा देश के राजद्रोह क़ानून के तहत दी गई. याद रहे कि यह क़ानून ब्रितानी शासकों ने 1948 में कम्युनिस्ट विद्रोहियों के ख़िलाफ़ बनाया था.

चीनी मूल के 27 वर्षीय बेंजामिन कोह और 25 वर्षीय निकोलस लिम दोस्त हैं. दोनों ब्लॉगिंग भी करते हैं. कोह को एक महीने की क़ैद मिली है, जबकि लिम को एक दिन की जेल और पाँच हज़ार सिंगापुरी डॉलर के ज़ुर्माने की सजा.

मामला शुरू हुआ था इसी साल जून में. कोह अपने कुत्तों को घुमा रहे थे जब मलय मूल के मुस्लिम अल्पसंख्यकों का एक समूह उनके कुत्ते से बचने के लिए इधर-उधर भागा. कोह साहब ने कुत्तों से दूर भागने की इस क़वायद की जड़ मलय संस्कृति और इस्लाम में देखी और अपने ब्लॉग पर ग़ुस्से में बहुत कुछ लिख डाला. बाद में कुत्तों के देखभाल करने वाली एक संस्था के लिए काम करने वाले उनके मित्र लिम ने भी मुसलमानों और मलय मूल के लोगों के ख़िलाफ़ उनके सुर में सुर मिलाया.

सिंगापुर के ब्लॉग जगत में कोह के ग़ुस्से भरे लेखन की तीव्र प्रतिक्रिया हुई और किसी मलय ब्लॉगर ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दिया.

मामले की सुनवाई करने वाले जज ने सिंगापुर की बहुसांस्कृतिक समाज में कोह को एक नस्लवादी क़रार दिया. लिम को भी कोह के अपराध में भागीदार बताया गया. चूंकि नस्लवाद सिंगापुर के राजद्रोह संबंधी क़ानून के तहत आता है सो दोनों को सजा मिलनी ही थी. वो तो अदालत की दया-दृष्टि थी, वरना लगाए गए आरोप के तहत दोनों को तीन-तीन साल की क़ैद और पाँच-पाँच हज़ार सिंगापुरी डॉलर का ज़ुर्माने की सजा भी मिल सकती थी.

उल्लेखनीय है कि इंटरनेट पर नियंत्रण की कोशिशें शुरू से ही होती रही हैं और अलग-अलग देश अलग-अलग उपाय करते रहे हैं. मसलन चीन और सिंगापुर की तुलना करते हैं. चीन जहाँ टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए तथाकथित हानिकारक वेबसाइटों को जनता की नज़रों से दूर रखने की कोशिश करता है, वहीं सिंगापुर ने दिखा दिया कि वो इंटरनेट पुलिसिंग भी क़ानून की आड़ लेकर ही करेगा.

2 टिप्‍पणियां:

SHASHI SINGH ने कहा…

यह ख़बर तो यही साबित करता है कि अव्वल तो आप कुत्ते न पालें, अगर पाल ही लिया है तो उन से जुड़ी बातें इंसानों के ब्लॉग दुनिया में कतई न करें.

Atul Arora ने कहा…

मैने कुत्ते तो नही पाले पर उनसे जुड़ी बातें जरूर की हैं अपने ब्लाग में। अभी तक तो किसी ने बुरा नही माना।