शनिवार, अक्तूबर 01, 2005

वेनिस को बचाने की महती योजना


यदि मुझे कहा जाए कि सबसे अदभुत कौन-सा शहर है, मैं हमेशा कहूँगा- वेनिस. दो बार वेनिस जा चुका हूँ और पैसा हो तो और कई बार जाऊँ.

लेकिन यदि मुझे पूछा जाए कि आप वेनिस में ही बस जाना चाहेंगे, थोड़ी शर्मिंदगी के साथ मैं कहूँगा- नहीं.

अपने सपनों के शहर में मैं इसलिए नहीं बसना चाहता कि वहाँ हाल के वर्षों में बाढ़ आने की घटनाएँ काफ़ी बढ़ गई हैं.(भारत के एक बाढ़ प्रभावित इलाक़े से होने के कारण मुझे बाढ़ की विभीषिका का पूरा अहसास है.) वेनिस में हर साल क़रीब 200 दिन ऐसे होते हैं जब पानी का स्तर सामान्य से ऊँचा होता है. यानी लोगों के घरों में पानी घुस जाता है या घुसने की आशंका होती है.(तभी तो वेनिस के घरों का ग्राउंड फ़्लोर आमतौर पर खाली ही रखा जाता है.)

पहले ऐसा नहीं था. तुलना के लिए वेनिस के मुख्य चौराहे सेंट मार्क्स स्क़्वायर की बात करें. सौ साल पहले साल में दस दिन ही ऐसे होते थे जब सेंट मार्क्स स्क़्वायर पर झील का पानी आ जाता था, लेकिन अब की बात करें तो साल में कोई सौ दिन ऐसा देखा जा सकता है.

अब जैसे बाढ़ का ख़तरा ही डराने के लिए काफ़ी नहीं था, कि यह बात भी सामने आई कि पिछले सौ साल में वेनिस 20 सेंटीमीटर नीचे धँसा है. और मानो इससे भी मेरे जैसे वेनिसप्रेमी नहीं डर रहे हों, कि मौसम विशेषज्ञों ने ये भविष्यवाणी कर डाली कि इस शताब्दी के अंत तक समुद्र का स्तर 60 सेंटीमीटर तक बढ़ने वाला है.

कुल मिला कर ये कि यदि अभी वेनिस को बचाने के लिए कुछ नहीं किया गया तो इस सदी के अंत तक नहरों के इस प्राचीन शहर का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा.

हालाँकि वेनिस को बचाने के लिए गंभीर रूप से सोचने की शुरूआत 1966 में ही हो गई थी जब एक भयानक बाढ़ ने वहाँ कहर बरपा दिया. सैंकड़ो लोग मारे गए, हज़ारों बेघर हो गए.

लेकिन आज तक बात बन नहीं पाई थी क्योंकि पर्यावरणवादियों को वेनिस को बचाने के लिए बाँध खड़े करने जैसे उपायों पर आपत्ति है. उनका कहना है कि वेनिस के आसपास का बड़ा ही अनूठा ईको-सिस्टम है, बेजोड़ पारिस्थितिकी है. यदि बाँध खड़े किए गए तो इस पारिस्थिकी का सत्यानाश हो जाएगा. इन पर्यावरणवादियों की सलाह है कि वेनिस से मालवाहक जहाज़ों के बंदरगाह हटा दिए जाएँ और बड़े यात्री जहाज़ों यानी लाइनर्स को वेनिस तक नहीं आने दिया जाए, तो सब कुछ सँभल जाएगा.

लेकिन जीत आख़िरकार बाँध समर्थकों की हुई, जब इसी सप्ताह इतालवी प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने वेनिस को बाढ़ से बचाने के लिए साढ़े चार अरब यूरो लागत की परियोजना की घोषणा की है. कई वर्षों से लंबित इस परियोजना को मोज़े नाम दिया गया है जो कि बाइबिल के एक प्रमुख पात्र मोज़ेज का इतालवी नाम है.

मोज़े बाढ़ सुरक्षा योजना के तहत वेनिस लैगून को समुद्र से अलग करने वाले द्वीप लीडो के दोनों छोरों पर और छियोजिया नामक संकरे चैनल में कुल 78 बाँध या गेट बनाए जाएँगे. लेकिन सामान्य दिनों में ये विचित्र से गेट पानी के भीतर तलहटी में सोए रहेंगे. इन 28 मीटर ऊँचे और 20 मीटर चौड़े बाँधों को तब जगाया जाएगा, यानी खड़ा किया जाएगा जब ऊँची लहरें उठने का ख़तरा हो. इनमें हरेक बाँध 300 टन वज़नी होगा और इसे खड़ा करने और लिटाने के लिए इसके खोखले पेट में हवा और पानी भर कर काम लिया जाएगा. यानी खड़ा करने के लिए बाँध के खोखले पेट में तेज़ दबाव की हवा भरी जाएगी, जब लहरें उठनी बंद हो जाएँगी तो हवा को निकलने दिया जाएगा ताकि इसमें पानी भर कर लिटाया जा सके.

अब तो 2011 में मोज़े परियोजना के पूरा होने के बाद ही पता चलेगा कि बाँध समर्थक(मौजूदा सरकार भी)ठीक कह रहे हैं, या पर्यावरणवादी. अभी तो मेरे जैसे वेनिसप्रेमी ख़ुश ही होंगे कि चलो वेनिस की सुरक्षा के लक्ष्य के साथ कुछ किया तो जा रहा है.

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