हर साल दुनिया के कई संस्थान, ख़ास कर मीडिया संस्थान, अरबपतियों की सूची तैयार करते हैं. इसी कड़ी में पिछले साल जुड़ा आर्थिक जगत के मशहूर अख़बार लंदन से प्रकाशित 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' का नाम.
लेकिन 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' की सूची इस मायने में अलग है कि इसमें शामिल होने की पात्रता सिर्फ़ धन को ही नहीं, बल्कि समाज पर अरबपतियों के सकारात्मक प्रभाव को भी बनाया गया है. एक अंतर और है कि इस सूची में मात्र 25 लोगों को जगह मिलती है.
इसी सप्ताह 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' ने अरबपतियों की इस साल की अपनी सूची प्रकाशित की है. पिछले साल की ही तरह पहले नंबर पर बिल गेट्स हैं. कारण साफ़ है उनकी 51 अरब डॉलर की संपत्ति और 28 अरब डॉलर की उनकी चैरिटी बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन. गेट्स ने भले ही दूसरी कंपनियों को अवैध रूप से प्रतियोगिता से दूर रख कर संपत्ति बनाई हो लेकिन अब उनका ध्येय बिल्कुल साफ़ है. वह कहते हैं, "दस साल पहले मैंने महसूस किया कि मेरा धन समाज की सेवा में लगना चाहिए. इस तरह की असीमित संपत्ति किसी को अपने बच्चे को नहीं सौंपना चाहिए क्योंकि यह बच्चे के लिए रचनात्मक बात नहीं होगी."
सूची में दूसरे नंबर पर हैं एप्पल कंप्यूटर्स के सीईओ स्टीव जॉब्स. संपत्ति तीन अरब डॉलर. उनका काम है- उपयोगी, ख़ूबसूरत और प्रयोग में आसान इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण मुहैया कराना. उन्होंने गेट्स जैसे अरबपतियों को बताया कि प्रौद्योगिकी में ख़ूबसूरती भी हो सकती है. पिक्सर एनिमेशन स्टूडियोज़ के चेयरमैन के रूप में कई रोचक और स्वस्थ मनोरंजन वाली एनिमेटेड फ़िल्में जनता तक पहुँचाने में भी उनका अहम योगदान रहा है.
तीसरे नंबर पर ईबे के चेयरमैन पीयर ओमिडयर हैं. उनके पास 10 अरब डॉलर की संपत्ति है. समाज सेवा के कार्यों में खुल कर पैसा लगाने वाले ओमिडयर ने घोषणा कर रखी है कि 2020 ईस्वी तक वह अपनी 99 फ़ीसदी संपत्ति समाज को समर्पित कर देंगे.
दो भारतीय अरबपतियों को भी सूची में जगह मिली है. दसवें नंबर पर हैं विप्रो के चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी और ग्यारहवें नंबर पर हैं मित्तल स्टील के चेयरमैन लक्ष्मी मित्तल. अज़ीम प्रेमजी की संपत्ति है 9.3 अरब डॉलर और उनके नाम से चलाया जा रहा फ़ाउंडेशन हर साल भारत के ग्रामीण इलाक़ों में शिक्षा के क्षेत्र में 50 लाख डॉलर ख़र्च करता है. मित्तल के समाज सेवा कार्यों का कोई ज़िक्र अख़बार ने नहीं किया है, लेकिन इस बात को ज़रूर दर्शाया है कि कैसे मित्तल ने दुनिया भर में मरणासन्न इस्पात कारखानों को मुनाफ़ा पैदा करने की मशीन बना दिया है.
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1 टिप्पणी:
ऐसी खबरें इन्सानीयत में विश्वास जगाती हैं। ऐसा महसूस होता है की इन लोगों की धन प्राप्ती का रहस्य ही धन बाँटना है।
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