बुधवार, अक्तूबर 26, 2005

जब धन बन जाता है धेला

कहते हैं कि बुरा दिन आता है तो सारी धन-दौलत रखी रह जाती है. इसका ताज़ा उदाहरण है कुछ महीनों पहले तक रूस के सबसे धनी व्यक्ति मिखाइल खोदरकोव्स्की का. माना जाता है कि अब भी यूकोस तेल कंपनी के इस पूर्व प्रमुख के दुनिया भर के बैंक खातों में कई अरब डॉलर हैं.

राजधानी मास्को में एक किलेनुमा घर में रहने वाले खोदरकोव्स्की इन दिनों हैं तो रूस में ही लेकिन अपने परिजनों से लगभग 5,000 किलोमीटर दूर. दरअसल, वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में दोषी पाए गए खोदरकोव्स्की दो साल से जेल में हैं और पिछले दिनों उन्हें चीन की सीमा से सटे शहर क्रैसनोकामेन्सक की एक जेल में डाल दिया गया है. खोदरकोव्स्की बाकी छह साल की सजा YaG 14/10 नामक जेल में छोटे स्तर के चोरों और गिरहकटों के साथ गुजारेंगे. हालाँकि भाग्य ने उनका साथ दिया तो वे चार साल बाद पैरोल पर रिहा भी हो सकते हैं.

पश्चिमी देशों की माने तो खोदरकोव्स्की को सरकार पर रूसी पाइपलाइनों के निजीकरण का अनुचित दबाव बनाने और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राजनीतिक विरोधियों पर धनवर्षा करने का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा है. हालाँकि आम रूसियों(मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग से बाहर रहने वाले) से बात करें तो वे एक सुर से कहेंगे कि 42 वर्षीय खोदरकोव्स्की जैसे धनकुबेरों ने राष्ट्रपति बोरिस येल्तिसन के कार्यकाल के अंतिम दिनों में सरकारी संसाधनों की लूट से अपना साम्राज्य खड़ा किया है. इस सरकारी लूट की मार रूस के ग़रीबों पर पड़ी है. सरकार के हाथों से भारी मात्रा में संसाधन निकल जाने के बाद जनता को मिलने वाली सरकारी सहायता में लगातार कटौती होती गई है.

ख़ैर, खोदरकोव्स्की के पास अब भी बहुत धन है और उनकी पत्नी इना और माँ मेरिना निजी जेट से पाँच हज़ार किलोमीटर की यात्रा कुछ घंटों में तय कर नियमित रूप से उनसे मिल सकती हैं. वकीलों की फ़ौज तो क्रैसनोकामेन्सक शहर में डेरा डाले रहेगी ही. लेकिन ख़ुद खोदरकोव्स्की क्या कर रहे होंगे? तो भई, अधिकारियों ने उनके साथ थोड़ी नरमी बरती है और उन्हें दर्जनों पत्र-पत्रिकाएँ और जर्नल्स मँगाने की अनुमति दी है. कहा जा रहा है खोदरकोव्स्की साहब किसी विषय(बताया नहीं है) पर पीएचडी की तैयारी करेंगे.

लेकिन खोदरकोव्स्की को पढ़ाई के लिए समय निकालना होगा क्योंकि उन्हें जेल(जो कि ज़ार निकोलस के ज़माने का श्रम शिविर है) में बाकी क़ैदियों के समान काम करना पड़ेगा. काम के बदले उन्हें रोज़ 65 रूबल मिलेंगे यानि क़रीब 100 रुपये. इसमें से आधा उनकी ख़ुराक पर ख़र्च होगा. बाकी 30-35 रूबल से वो जेल के अंदर की दुकान से कुछ ख़रीद सकेंगे. काम उन्हें कुछ भी करना पड़ सकता है- वर्दी सीना, गाय पालना या फिर सूअरों की देखभाल करना. अभी वहाँ पाँच डिग्री सेल्सियस तापमान है जो कि कुछ ही दिनों में माइनस में चला जाएगा और ज़ोरदार सर्दी के दिनों में -40 सेल्सियस तक.

चित्र: YaG 14/10 जेल, क्रैसनोकामेन्स्क, रूस

यहाँ अपने देश की स्थिति से तुलना करें तो सबसे धनी आदमी की तो बात ही छोड़िए, घोटालों पर घोटाला करने वाले एक छुटभैया नेता तक का बाल बाँका नहीं हो पाता. और धनकुबेरों की तो छोड़िए, दो नंबर के कामों से पैसा कमाने वाला कोई धनपशु अपनी गाड़ी से चार-छह लाचार ग़रीबों को बिना कारण कुचल कर मार दे तो भी उसका कुछ नहीं होता.

(भारत में विस्तृत क़ानूनी प्रावधान उपलब्ध हैं, लेकिन वो दिन कब आएगा जब क़ानून समदृष्टि से न्याय करेगा? शायद अभी वक़्त लगेगा जब भारत में भी ग़रीब-अमीर, वोटर-नेता और निर्बल-बाहुबली क़ानून की नज़र में एक समान अधिकारों वाले हो सकेंगे.)

1 टिप्पणी:

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढ़िया लेख लिखा है। बधाई।