
लंदन के अख़बार 'गार्डियन' ने इस महत्वपूर्ण ख़बर को दो कॉलम में छापा. ख़बर के शीर्षक से ही लग जाता है इसके महत्व का अंदाज़ा- 'India flexes its muscles with first foreign military base'. ख़बर में बताया गया है कि भारत इस साल विदेशी ज़मीन पर अपना पहला सैनिक अड्डा मध्य एशिया के देश ताजिकिस्तान में स्थापित कर रहा है.
जानी-मानी रक्षा पत्रिका 'जेम्स डिफ़ेंस वीकली' के हवाले से दी गई इस ख़बर के अनुसार ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे से 60 मील दूर फ़ारखोर हवाई ठिकाने पर भारत जल्दी ही अपनी वायु सेना के मिग-29 विमानों के दो स्क़्वाड्रन तैनात करेगा. भारत के इस क़दम को विश्व मंच पर भारत की बढ़ती ताक़त के रूप में देखा जा रहा है.
फ़ारखोर हवाई ठिकाने से भारत का रिश्ता पुराना है. भारतीय सेना ने 1997 से 2001 तक यहाँ अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान लड़ाकों से टक्कर ले रहे उत्तरी गठजोड़ के विद्रोहियों के लिए सैनिक अस्पताल का संचालन किया था. दरअसल फ़ारखोर है भी अफ़ग़ानिस्तान सीमा के क़रीब ही.(कुछ अन्य रिपोर्टों में फ़ारखोर के बजाय ताजिकिस्तान में भारत के भावी सैनिक अड्डे की जगह अयनी को बताया गया है जोकि दुशाम्बे से मात्र 20 किलोमीटर दूर है.)
रिपोर्टों के अनुसार भारत फ़ारखोर में 40 वायु सैनिकों समेत एक दर्जन मिग-29 विमान तैनात करेगा. भारतीय वायु सेना की इकाई फ़ारखोर हवाई ठिकाने पर दो विमान हैंगरों का इस्तेमाल करेगी. वहाँ मौजूद तीसरा हैंगर ताजिक वायुसेना के इस्तेमाल के लिए होगा. दरअसल फ़ारखो में ताजिक वायुसेना को भारत की ओर प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई गई है.
'गार्डियन' के अनुसार ताजिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर सत्तोरोफ़ ने ताजिकिस्तान में भारतीय सैनिक अड्डे की योजना की ख़बर की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया. लेकिन कई स्रोतों से आ रही मिलती-जुलती रिपोर्टों को देखते हुए ख़बर पर भरोसा करना ही ज़्यादा सही लगता है. यदि ऐसा हुआ तो भारत मध्य एशियाई देशों में सैन्य उपस्थिति दर्ज कराने वाला मात्र चौथा देश होगा. भारत से पहले सिर्फ़ तीन देश रूस, अमरीका और जर्मनी ने ही मध्य एशियाई देशों में अपनी स्थायी सैन्य उपस्थिति बना रखी है. रूस के सैनिक अड्डे ताजिकिस्तान और किर्गिज़स्तान में हैं. अमरीका का सैनिक अड्डा किर्गिज़स्तान में है, जबकि जर्मनी ने दक्षिणी उज़बेकिस्तान में एक सैनिक अड्डा बना रखा है.
जहाँ तक मध्य एशिया में सैनिक उपस्थिति के पीछे भारत के उद्देश्यों की बात है तो पहली नज़र में तेल और गैस ही सामने आता है. यानि अपनी गतिविधियाँ बढ़ा कर तेल और गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास. इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान से भारत के बेहतर रिश्तों, अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की दखलअंदाज़ी को देखते हुए भी ताजिकिस्तान में भारत के स्थायी सैनिक अड्डे की बात समझ में आती है. वैसे, मध्य एशिया में भारत की दिलचस्पी का एक और महत्वपूर्ण प्रमाण है शंघाई सहयोग संगठन में भारत का पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होना. चीन और रूस की अगुआई वाले इस संगठन के पूर्ण सदस्यों में मध्य एशिया के देश कज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान शामिल हैं.
