दुनिया की बढ़ती आबादी से चिंतित रहने वालों के लिए एक अच्छी ख़बर...बहुत ही अच्छी ख़बर यह कि हम 10 अरब के आँकड़े से आगे नहीं बढ़ेंगे. मतलब दुनिया की आबादी में स्थायित्व आने वाला है. ये कोई दूर की कौड़ी नहीं है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या प्रकोष्ठ का आकलन है. इस आकलन के अनुसार अगली दो शताब्दी में मानव आबादी बढ़ते-बढ़ते 10 अरब तक पहुँच जाएगी, लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ेगी.
आबादी के बारे में पिछले दिनों ब्रिटेन के एक आर्थिक विशेषज्ञ गैविन डेविस का रोचक विश्लेषण पढ़ने को मिला. उनकी मानें तो लंबे दौर मे यानि आज से सैंकड़ो साल बाद जब इतिहासकार पीछे मुड़ कर देखेंगे तो बीसवीं सदी को सबसे ज़्यादा जिस बात के लिए याद किया जाएगा वो है जनसंख्या वृद्धि. मतलब विश्व युद्ध, चंद्रयात्रा, गांधी, आइंस्टाइन, माओ, पेले, तेंदुलकर, चर्चिल, हिटलर, स्तालिन, बुश आदि व्यापक मानव इतिहास के किसी कोने में होंगे जबकि आबादी बढ़ने की घटना बिना शक पहले नंबर पर होगी.
हो भी क्यों नहीं मानव इतिहास में बीसवीं सदी जितनी जनसंख्या वृद्धि न तो कभी हुई थी और न ही आगे कभी होगी.
आँकड़ों को देखें तो दुनिया की जनसंख्या ने 1800 ईस्वी में एक अरब का आँकड़ा पार किया. एक से दो अरब पहुँचने में लगे 127 साल, दो से तीन अरब का आँकड़ा अगले 34 साल में पूरा हुआ. दुनिया तीन से चार अरब की आबादी तक पहुँची 13 साल में, चार से पाँच अरब पहुँचने में भी 13 साल ही लगे, इसके बाद की एक अरब आबादी जुड़ी 12 साल में. मतलब 1999 ईस्वी में हम छह अरब का आँकड़ा पार कर चुके थे.
इस तरह बीसवीं सदी में दुनिया की आबादी में 4.31 अरब की बढ़ोत्तरी हुई. यह इससे ठीक पहले यानि 19वीं सदी में हुई बढ़ोत्तरी से सात गुना ज़्यादा है.
अब आगे का पैटर्न क्या रहेगा? इस सवाल का जवाब संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विशेषज्ञ इस तरह देते हैं- आबादी के छह से सात अरब होने में लगेंगे 14 साल. लेकिन इसके बाद यह अंतराल बढ़ने लगेगा. सात से आठ अरब होने में लगेंगे एक साल ज़्यादा यानि 15 साल, आठ से नौ अरब तक पहुँचा जाएगा 26 वर्षों में, जबकि नौ से दस अरब तक पहुँचने में लगेंगे कोई 129 साल. मतलब जितनी आबादी पिछली सदी में बढ़ी, आगे उतनी बढ़ोत्तरी होने में दो शताब्दी लगने वाली है.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 10 अरब तक पहुँचने के बाद दुनिया की आबादी में स्थायित्व आ जाएगा. ऐसा क्यों होगा? इसके पीछे एक सरल सिद्धांत है- किसी भी विकासशील देश में सबसे पहले मृत्यु दर में कमी देखने को मिलती है, फिर दीर्घावधि के विकास के साथ जन्म दर में कमी आती है. जब जन्म दर प्रति महिला दो बच्चे की दर पर आ जाती है तो आबादी के बढ़ने की रफ़्तार कम होनी शुरू हो जाती है. कई दशकों तक यह स्थिति बने रहने पर अंतत: उस देश की आबादी में स्थायित्व आ जाता है.
अधिकांश विकसित देशों में जनसंख्या स्थायित्व की प्रक्रिया में आ चुकी है. इटली जैसे देश में तो औसत जन्म दर प्रति महिला 1.3 तक आ पहुँची है. अधिकांश विकासशील देशों में भी जन्म दर घटने लगी है लेकिन अब भी कमी की यह दर बहुत धीमी है. विशेषज्ञों की मानें तो 2050 तक विकसित देशों की कुल जनसंख्या अपरिवर्तित ही रहेगी यानि 1.2 अरब. लेकिन विकासशील देशों की कुल आबादी इस दौरान 5.2 अरब से आगे बढ़ कर 7.8 अरब तक पहुँच सकती है.
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