शनिवार, जून 17, 2006

पहले अरबपति व्यवसायी, अब संतुष्ट किसान

स्टर्लिगोफ़इस बार एक और सच्ची कहानी जो धन और धन के बल पर हासिल झूठी प्रतिष्ठा को सुख-शांति छीन लेने वाला मायाजाल साबित करती है.

यह कहानी है गेरमान स्टर्लिगोफ़ की. पिछले कुछ महीनों से स्टर्लिगोफ़ की कहानी मीडिया, ख़ास कर रूसी मीडिया में आ रही थी. लेकिन अब लंदन से प्रकाशित संडे टाइम्स में छपने के बाद दुनिया भर में इसे चर्चा मिली है.

गेरमान स्टर्लिगोफ़ को रूस का पहला अरबपति माना जाता है. जब गोर्बाच्येव की नीतियों के चलते सोवियत संघ का विखंडन हुआ और रूस में कम्युनिस्ट नियंत्रण का अंत हुआ, तो अफ़रातफ़री और लूट-खसोट के उस माहौल में निर्धन पृष्ठभूमि वाले स्टर्लिगोफ़ ने देश का पहला कमॉडिटीज़ एक्सचेंज शुरू किया. इस उद्यम ने 24 साल की उम्र में ही उन्हें एक अरबपति बना दिया.

जल्दी ही स्टर्लिगोफ़ की कंपनी के दफ़्तर न्यूयॉर्क और लंदन में भी खुल गए. स्टर्लिगोफ़ अपने परिवार के साथ रूसी राजधानी मॉस्को के सबसे महंगे इलाक़े में चार मंज़िले बंगले में रहने लगे. उनके पास महंगी कारों का काफ़िला था, स्वयं के दो जेट विमान थे. मॉस्को में किसी के पास इतना पैसा हो और वह खुलेआम घूम सके ऐसा तो संभव ही नहीं. स्टर्लिगोफ़ को भी कुख़्यात रूसी माफ़िया ने अपना निशाना बनाया और मोटी रकम की माँग लगातार आने लगी. ऐसे में स्टर्लिगोफ़ ने पैसे देकर रूसी सुरक्षा बल के 60 कमांडो सैनिकों को अपनी सुरक्षा का भार सौंपा.

स्टर्लिगोफ़ ने देश का राष्ट्रपति बनने का भी प्रयास किया और व्लादिमीर पुतिन के ख़िलाफ़ चुनावपूर्व प्रचार अभियान में करोड़ों रूबल ख़र्च भी किए. हालाँकि उनके नामांकन को तकनीकी आधार पर रद्द कर दिया गया, और पुतिन को टक्कर देने की हसरत उनके दिल में ही रह गई. बाद में उन्होंने रूस के साइबेरियाई भाग के एक प्रांत का गवर्नर बनने की भी नाकाम कोशिश की.

आज स्टर्लिगोफ़ 39 साल के हैं और मॉस्को से 100 मील दूर एक निर्जन स्थान पर रहते हैं. तीन बेडरूम वाले उनके लकड़ी के घर में न बिजली है और न गैस आपूर्ति. यहाँ तक की खेत के बीचोंबीच पेड़ों के झुरमुट के बीच बने उनके घर तक पहुँचने के लिए सड़क तक नहीं है. पत्नी एलेना और पाँच बच्चों के साथ निकटतम पड़ोसी से सात मील दूर रह रहे स्टर्लिगोफ़ किसान की ज़िंदगी अपना कर बहुत ख़ुश हैं.

छात्र जीवन में कॉलेज की पढ़ाई छोड़ एक फ़ैक्ट्री में काम करने को मजबूर होने वाले स्टर्लिगोफ़ ने कहा, "जब साम्यवाद का अंत हुआ, मैं पैसा बनाना चाहता था. इतना पैसा जितना की बनाया जाना संभव हो."

उन्होंने कहा, "जब मैंने करोड़ों की रकम बना ली तो मुझे महसूस हुआ कि मॉस्को में धनपतियों का जीवन ग़ुलामी वाला है. दिन का हर मिनट तनावपूर्ण सौदेबाज़ी में या फ़ालतू की बैठकों में लग जाता था. ऐसी ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं था."

स्टर्लिगोफ़ ने आगे कहा, "हम सोने के पिंजड़े में रह रहे थे. मैं अपने बच्चों को उस अनैतिक ज़िंदगी से दूर पालना चाहता हूँ. मैंने उस बनावटी ज़िंदगी से सदा के लिए मुँह मोड़ लिया है क्योंकि मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे जीवन के सच्चे मूल्यों को जानें."

आज शहरी यहाँ तक कि गाँव के शोरगुल से भी दूर रह रहे स्टर्लिगोफ़ परिवार ने ख़ुद को जानबूझकर बाहरी दुनिया से काट रखा है. उनके घर में टेलीफ़ोन, टेलीविज़न, यहाँ तक कि रेडियो तक नहीं है. वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते. पास के गाँव के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने घर पर आते हैं. ऑर्थोडॉक्स ईसाई स्टर्लिगोफ़ स्वयं अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा भी देते हैं.

ट्रैक्टर, घोड़ा और मशीनगन

खेती के साथ-साथ गाय, सूअर और मुर्गी पालन करने वाले स्टर्लिगोफ़ परिवार के पास एक ट्रैक्टर है, एक घोड़ा है और एक मशीनगन है.

स्टर्लिगोफ़ और एलेनाशायद मशीनगन का नाम आने पर आप चौंकें. इस बारे में स्टर्लिगोफ़ का कहना है कि मॉस्को स्थित अपना महलनुमा मकान बेचने के बाद मिले पैसे से जब उन्होंने गाँव में एक बढ़िया आरामदेह फ़ार्महाउस बनाया तो पड़ोस के गाँव के कुछ शरारती तत्वों ने एक रात उसे जला कर राख में बदल दिया. स्टर्लिगोफ़ के अनुसार धनपतियों से रूसी किसानों की घृणा के कारण हमला किया गया होगा. अब एक पिस्टल तो हमेशा स्टर्लिगोफ़ के साथ रहता है और घर में एक मशीनगन ताकि आइंदा किसी हमले से निपटा जा सके. घर में सुरक्षा की एक और व्यवस्था भी है- स्टर्लिगोफ़ की सबसे बड़ी संतान 15 वर्षीया बेटी पलगया ने भी तीर-कमान के प्रयोग में कुशलता हासिल कर ली है.

एक समय 2500 लोगों को अपनी कंपनियों में नौकरी देने वाले स्टर्लिगोफ़ के खेत में उनके परिवार के अलावा तीन नौकर काम करते हैं. स्टर्लिगोफ़ ने अपना रहन-सहन बदलने से पहले अपनी पत्नी एलेना की राय नहीं ली, लेकिन नए माहौल से एलेना को कोई शिकायत नहीं है. वह कहती हैं कि वह स्टर्लिगोफ़ की पत्नी हैं, ये अलग बात है कि पहले वह व्यवसायी थे और अब एक किसान. एलेना को एकमात्र शिकायत घर में गर्म पानी की आपूर्ति नहीं होने को लेकर है.

स्टर्लिगोफ़ ने अपनी ज़िंदगी को अब गंभीरता से लेना शुरू किया है या नहीं, इस पर भले ही विवाद हो. लेकिन उन्होंने अपने बिज़नेस को कभी गंभीरता से नहीं लिया. स्टर्लिगोफ़ ने अपने कमॉडिटीज़ एक्सचेंज को अपने प्यारे कुत्ते एलिसा के नाम पर शुरू किया था. एक्सचेंज के कई विज्ञापनों में उन्होंने एलिसा से काम भी लिया. इससे पहले और बाद में भी उन्होंने कई अटपटे लेकिन मुनाफ़े वाले धंधे चलाए. स्टर्लिगोफ़ ने मॉस्को में सार्वजनिक स्थलों और स्टेशनों पर संगीत या कला के ज़रिए पैसा माँगने वाले कलाकारों की एक कोऑपरेटिव बनाई थी. इसी तरह उन्होंने ताबूत बनाने की एक कंपनी भी चलाई.

उनकी ताबूत कंपनी के विज्ञापनों ने रूसी समाज को हिला दिया था. देखिए कुछ नमूने- 'हमारे ताबूत में समाने के लिए आपको कसरत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.' 'ताज़ा लकड़ी से बने सुगंधित ताबूत.' 'सारे रास्ते हमारी ओर आते हैं.' 'यह आपका ताबूत है, इसे आपका इंतज़ार है.'

स्टर्लिगोफ़ के पैसे कहाँ गए? इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं क्योंकि स्टर्लिगोफ़ ख़ुद पैसे और धन-संपत्ति के बारे में बात करने में दिलचस्पी नहीं लेते. सुनी-सुनाई बातों को मानें तो एक उत्तर है- राष्ट्रपति और गवर्नर बनने की तैयारी में उन्होंने पानी की तरह पैसे बहाए और कर्ज़ के चंगुल में फंस गए. एक और जवाब है- उन्हीं के कुछ कर्मचारियों ने घोटाला कर उन्हें कर्ज़ में डूबने पर मज़बूर कर दिया.

4 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

यह लेख बड़ा रोचक रहा। लगा कि कैसे एक अरबपति दीन दुनिया से कटकर जीने में रम जाता है। बहुत जल्द तमाम दुनियावी सफलता हासिल करने के बाद उनसे ऊबना इसका कारण है क्या?

अनुनाद सिंह ने कहा…

अंधी दौड में शामिल विशाल मानव समुदाय के लिये इस व्यक्ति का जीवन आँखें खोलने वाला सिद्ध हो तो कुछ बात बने |

बेनामी ने कहा…

मुझे तो इस व्यक्ति पर शक है ;)

Sagar Chand Nahar ने कहा…

अविश्वसनीय