शनिवार, जून 03, 2006

फ़ुटबॉल का विज्ञान (भाग-1)

फ़ुटबॉल विश्व कप 2006 के शुरू होने में सप्ताह भर भी नहीं बचे हैं. अगले एक महीने तक पूरी दुनिया फ़ुटबॉल के ज्वर में तपेगी. हर बार की तरह इस बार भी संभावित चैंपियन की सूची में ब्राज़ील की टीम को सबसे ऊपर रखा जा रहा है.

ब्राज़ील की टीम की बात हो तो इस बात का ज़रूर ज़िक्र किया जाता है कि यह टीम सही मायने में कलात्मक फ़ुटबॉल खेलती है. ब्राज़ील के खिलाड़ी मैदान पर गेंद के साथ डांस करते हैं, और ऐसा करते हुए विरोधी टीम के खिलाड़ियों को अपने इशारे पर नचाते भी हैं. यानि फ़ुटबॉल को एक लयबद्ध कलात्मक खेल के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसका एक विस्तृत वैज्ञानिक आधार भी है. ब्रिटेन के बाथ विश्वविद्यालय से जुड़े विशेषज्ञ केन ब्रे की किताब 'हाउ टू स्कोर: साइंस एंड द ब्यूटिफ़ुल गेम' में इसी बात को रेखांकित किया है.

केन ब्रे सफल फ़ुटबॉल खिलाड़ियों के शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने को सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं. उनका कहना है कि फ़ुटबॉल में किसी खिलाड़ी की कुशलता या स्टाइल का कोई मतलब नहीं, यदि वह बिना थके 90 मिनट तक खेल नहीं सके. और अब जबकि अतिरिक्त समय में मैच का खिंचना आम बात हो चली है, पूरी क्षमता से खेलने के लिए खिलाड़ियों में दमखम होना ज़रूरी है.

फ़ुटबॉल दौड़भाग वाला खेल है और कोई खिलाड़ी कितना दौड़ पाता है ये सीधे-सीधे इस बात पर निर्भर करता है कि वो कितना दमदार है. किस पोज़ीशन पर खेलने वाले खिलाड़ी को ज़्यादा दौड़ना पड़ता है इस बारे में पहली बार 1976 में ब्रिटेन के लिवरपुल जॉन मूरस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया गया था. अध्ययन में पाया गया कि सर्वाधिक शारीरिक मेहनत मिडफ़िल्डर को करनी होती है. इस अध्ययन के अनुसार एक मिडफ़िल्डर 90 मिनट के खेल में 9.8 किलोमीटर दौड़ता है, एक स्ट्राइकर 8.4 किलोमीटर की दूरी तय करता है जबकि फ़ुलबैक खिलाड़ी 8.2 किलोमीटर भागता है. इसके अलावा सेंटरबैक डिफ़ेंडर 7.8 किलोमीटर दौड़ता है, जबकि मैदान के एक छोर पर डटे रहने को मज़बूर गोलकीपर भी मैच के दौरान आमतौर पर 4 किलोमीटर भाग लेता है.

ये तो बात थी तीन दशक पहले हुए एक अध्ययन की. इसे आज की स्थिति पर लागू किया जाए तो खिलाड़ियों के दमखम का महत्व और बढ़ा नज़र आता है. केन ब्रे की मानें तो मौज़ूदा तेज़ गति वाले फ़ुटबॉल में हर खिलाड़ी को तीन दशक पहले की तुलना में 30 प्रतिशत ज़्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. मतलब एक तेज़-तर्रार मिडफ़िल्डर को आज एक मैच में 12.5 से 13 किलोमीटर तक भागना पड़ता है. (यहाँ एक रोचक तथ्य यह कि इतनी दूरी भागने के दौरान मात्र दो प्रतिशत दूरी में गेंद भी खिलाड़ी के साथ होती है.)


बात सिर्फ़ दौड़ने-भागने की ही रहती तो डेढ़ घंटे में 13 किलोमीटर दूरी तय करना कोई बड़ी बात नहीं. केन ब्रे पाँच दशक के फ़ुटबॉल पर नज़र डालने के बाद बताते हैं कि किसी मैच में एक खिलाड़ी तेज़ दौड़ने, टैकल करने, हेडर मारने, थ्रो करने और रुकने जैसे अलग-अलग एक्शन में एक हज़ार से ज़्यादा बार आता है. मतलब एक खिलाड़ी को हर पाँच से छह सेकेंड में एक अलग शारीरिक एक्शन से गुजरना होता है, और उसे औसतन हर डेढ़ मिनट में एक बार तेज़ गति से भागने की ज़रूरत पड़ती है. जहाँ तक क्षणिक आराम की बात है तो इसके लिए औसतन हर दो मिनट में तीन सेकेंड का मौक़ा मिलता है.

एक खिलाड़ी पूरे मैच के दौरान औसत व्यक्ति की दैनिक ज़रूरत की 66 प्रतिशत ऊर्जा या कैलोरी ख़र्च कर देता है. ऐसा शरीर में ग्लाइकोजेन की मौज़ूदगी के कारण ही संभव हो पाता है. ग्लाइकोजेन भोजन में मौज़ूद कार्बोहाइड्रेट्स से बनता है. खेल के दौरान दौड़भाग के चलते लीवर और माँसपेशियों में मौज़ूद ग्लाइकोजेन लगभग ख़त्म हो जाता है. लेकिन संतुलित आहार का सेवन करने और कार्बोहाइड्रेट की प्रचूरता वाले पेय पदार्थ पीने से चुक गए ग्लाइकोजेन की भरपाई 24 घंटे के भीतर की जा सकती है.

4 टिप्‍पणियां:

Yugal ने कहा…

फुटबाल के बारे में अच्छी जानकारी दी है
धन्यवाद

अनूप शुक्ल ने कहा…

जानकारीपूर्ण लेख लिखने के लिये धन्यवाद!

विजय वडनेरे ने कहा…

काफ़ी रोचक जानकारी!

मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक-एक मैच में १०-१२ कि०मी० दौड़ लेता हूँ. तभी तो मैं कहूँ कि बाकी खिलाड़ियों की अपेक्षा मैं क्यों ज्यादा थक जाता था.

(अरे भाई एक-दो साल पहले तक फ़ुटबाल खेला करता था - और वो भी मिड्फ़िल्डर था)

बेनामी ने कहा…

फुटबाल के बारे में ऐसी जानकारी अभी तक नहीं पढी थी. आपके लेख से कई नयी जानकारियां मिलीं. धन्यवाद.