सोमवार, जून 05, 2006
फ़ुटबॉल का विज्ञान (भाग-2)
फ़ुटबॉल विश्व कप शुरू होने को है लेकिन अभी भी प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 32 टीमों में से कई यह तय नहीं कर पाई है कि वह किस फ़ॉर्मेशन पर भरोसा करे. पिछले सप्ताह ही इंग्लैंड ने हंगरी के ख़िलाफ़ दोस्ताना मुक़ाबले में अपने पारंपरिक 4-4-2 फ़ॉर्मेशन की जगह 4-5-1 को अपनाया.
फ़ॉर्मेशन यानि किसी टीम के लिए पूरे मैदान को तीन काल्पनिक भागों या ज़ोन्स (डिफ़ेंस, मिडफ़िल्ड और अटैक) में बाँटने के बाद हर भाग में तैनात खिलाड़ियों की गिनती. ज़ाहिर है इस गणित में गोलकीपर को छोड़ कर बाक़ी 10 खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है.
लोकप्रिय फ़ॉर्मेशन हैं: 4-4-2, 4-3-3 और 4-5-1. इसके अलावा भी कई फ़ॉर्मेशन हो सकते हैं, मसलन 4-2-4, 3-5-2, 5-3-2 आदि.
फ़ॉर्मेशन के आधार पर ही खेल विशेषज्ञ ये आकलन करते हैं कि कोई टीम आक्रामक खेल खेलने में भरोसा रखती है, या रक्षात्मक खेल में.
किसी भी टीम के लिए मैदान के तीन काल्पनिक भागों में से हरेक में गेंद को अपने क़ब्ज़े में लेना महत्वपूर्ण होता है. लेकिन आख़िरी भाग यानि अटैकिंग ज़ोन में गेंद पर क़ब्ज़े का महत्व सबसे ज़्यादा है, क्योंकि यहाँ गेंद पर नियंत्रण से गोल की संभावना सबसे ज़्यादा होती है.
इसलिए बेहतरीन फ़ॉर्मेशन उसी को माना जाएगा जिसमें किसी टीम को गेंद पर क़ब्ज़ा रखने और उसे अटैकिंग थर्ड तक पहुँचाने के ज़्यादा अवसर होते हैं.
गेंद पर क़ब्ज़ा बनाए रखना संभव होता है पासिंग के ज़रिए.
'हाउ टू स्कोर' के लेखक केन ब्रे ने अपने रिसर्च में विभिन्न फ़ॉर्मेशनों में उपलब्ध पासिंग विकल्पों पर ग़ौर किया. (उन्होंने इस गणना में 40 मीटर से ज़्यादा दूर के पास को शामिल नहीं किया.) उन्होंने पाया कि 4-4-2 फ़ॉर्मेशन में 10 खिलाड़ियों के बीच कुल 66 तरह के पासिंग विकल्प मौज़ूद होते हैं. यह संख्या 4-3-3 फ़ॉर्मेशन के लिए 56, 4-2-4 के लिए 54 और 4-5-1 के लिए 62 होती है.(जहाँ तक कुल पासिंग की बात है तो एक मैच में कोई टीम औसतन 650 पास बनाती है.)
जहाँ तक गेंद को अटैकिंग थर्ड में पहुँचाने की बात है तो 4-2-4 फ़ॉर्मेशन में क़ब्ज़े में आने के बाद गेंद को अटैकिंग थर्ड में डालना औसत 15 प्रतिशत मामलों में संभव होता है. 4-3-3 फ़ॉर्मेशन में यह प्रतिशत होता है 13, जबकि 4-4-2 में 12 और 4-5-1 में 8 प्रतिशत. ज़ाहिर है 4-2-4 अटैकिंग खेल के लिहाज़ से सबसे उपयुक्त फ़ॉर्मेशन है लेकिन आजकल के तेज़ गति वाले खेल में कोई टीम मिडफ़िल्ड को कमज़ोर रखने की ज़ोख़िम मोल नहीं लेना चाहती है.
सबसे ज़्यादा लोकप्रिय फ़ॉर्मेशन 4-4-2 को माना जाता है. टीमें इस फ़ॉर्मेशन को इसलिए अपनाती हैं, कि इसमें भरपूर रक्षात्मक संभावनाएँ होने के साथ-साथ हमला करने के भी पर्याप्त मौक़े होते हैं. हालाँकि केन ब्रे की मानें तो उन टीमों की सफलता की ज़्यादा संभावना रहती है जो कि परिस्थितियों को देखते हुए एक फ़ॉर्मेशन से दूसरे में स्विच करने में सक्षम होती हैं.
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3 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी दी है आपने और वो भी सही वक्त पर!:)
मैं ब्लाग की दुनिया में नया हूं, यानी पाठक के रूप में. आपका ब्लाग पढकर अचम्भित हूं कि इतनी अच्छी जानकारी ब्लाग पर उपलब्ध है और वो भी हिंदी में. आपको साधुवाद.
अच्छी जानकारी है
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