ब्रिटेन में आजकल टाई या नेकटाई ख़बरों में है. एक समय आभिजात्य और बुद्धजीवी वर्ग का प्रतीक माने जाने वाले टाई को लोग अब ज़रूरी नहीं मानते.
पूरा विवाद शुरू हुआ ब्रितानी केबिनेट सेक्रेटरी सर एंड्रयु टर्नबुल के इस बयान से कि नौकरशाहों का टाई पहनना अनिवार्य नहीं है. अब तक टाई को गंभीरता का पर्याय मानने वाले ब्रितानी समाज को इससे बड़ा सदमा पहुँचा.
ब्रितानी प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ज़्यादातर औपचारिक समाराहों में भी बिना टाई के पहुँचने की अपनी आदत के कारण आलोचनाओं का शिकार रहे हैं. ब्रिटेन के टेलीविज़न ब्रॉडकॉस्टरों में शीर्ष पर माने जाने वाले बीबीसी के जेर्मी पैक्समैन ने अपने अत्यंत लोकप्रिय कार्यक्रम 'न्यूज़नाइट' में ऑनस्क्रीन यह घोषणा करके टाईप्रेमियों को दिल के दौरे के कगार पर ला पटका कि वो टाई को छोड़ रहे हैं. पैक्समैन ने अपने कार्यक्रम के दौरान ही 22 जून 2005 को अपनी टाई खोल डाली, हालाँकि यह सब मात्र सांकेतिक था, न कि सचमुच का. लेकिन पैक्समैन ने स्वीकार किया कि वो कार्यक्रम के दौरान ही टाई पहनते हैं क्योंकि न्यूज़नाइट के अधिकतर मेहमान कार्यक्रम के दौरान टाई में होते हैं.
इतना ही नहीं, अपनी रिपोर्ट में पैक्समैन ने इंद्रधनुषी टाइयों के लिए चर्चित एक और प्रसिद्ध टेलीविज़न ब्रॉडकॉस्टर चैनल4 के जॉन स्नो की इस मसले पर खिंचाई भी की.
लेकिन टाईप्रेमियों को पैक्समैन पर सबसे ज़्यादा ग़ुस्सा इस बात पर आएगा कि उन्होंने टाई को 'एपेंडिक्स ऑफ़ द क्लोदिंग' क़रार दिया.
दुनिया भर के टाईप्रेमियों की ब्रिटेन में टाई की गिरती हैसियत के बारे में जान कर क्या प्रतिक्रिया होगी ये तो पता नहीं, मुझे ख़ुशी हो रही है कि पैक्समैन जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत ने सार्वजनिक रूप से टाई(बिहार में इसे कंठलंगोट कहते हैं)की अनावश्यकता को रेखांकित किया.
मुझे कुछ ज़्यादा ही ख़ुशी हो रही है क्योंकि मैंने कभी कंठलंगोट नहीं लगाया- किसी इंटरव्यू में नहीं, और न ही शादी के मौक़े पर.
उम्मीद है कि गोरों की टाई के प्रति बेरूख़ी से भारत के भूरे साहबों को भी कुछ सीख मिल सकेगी जो कि कंठलंगोट को उतनी ही अहमियत देते हैं, जैसा प्रख्यात लेखक नीरद सी चौधरी दिया करते थे. उल्लेखनीय है कि नीरद जी कलकत्ते की सड़ी गर्मी में भी न सिर्फ़ टाई, बल्कि सूट-बूट और हैट डाल कर सड़क पर निकल पड़ते थे. ऐसा कर वो आमलोगों के अलावा कुत्तों का भी ध्यान आकर्षित करते थे जो कि भौंक कर अपनी नाख़ुशी जताने में कोई देरी नहीं करते.
टाईप्रेमियों को ग्लोबल वार्मिंग का ध्यान रखते हुए भी टाई से तौबा करनी चाहिए क्योंकि कंठलंगोटधारियों के कारण दफ़्तरों में एयरकंडिशनिंग ज़रूरत से ज़्यादा करनी पड़ती है, और इसके कारण वातावरण में हानिकारक सीएफ़सी गैसों की ज़्यादा मात्रा पहुँचती है.
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1 टिप्पणी:
यह रिपोर्ट पढकर बहुत अच्छा लग रहा है । भारत के नकलची भी अब चेतेंगे ।
अनुनाद
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