भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भारतीय संसद में गतिरोध बना हुआ है. भाजपा की अगुआई वाले विपक्ष को रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की गर्दन से कम कुछ नहीं चाहिए. लालू के इस्तीफ़े की माँग को लेकर विपक्षी दलों ने संसद की कार्यवाही का बहिष्कार कर रखा है. और तो और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक ने भी संसद में लालू के इस्तीफ़े की माँग की.
लेकिन क्या लालू ही भ्रष्ट मंत्री या सांसद हैं? बाकियों का क्या हाल है? मुझे तो लगता है 60 फ़ीसदी से ज़्यादा सांसद किसी न किसी मामले से जुड़े हैं- भूमि विवाद हो, गबन का मामला हो, डकैती या हत्या का केस हो या फिर बलात्कार का. भ्रष्टाचार तो जैसे संसद सदस्य बनने की पूर्व योग्यता बन चुका है.
ऐसे में लालू से इस्तीफ़ा मांगते हुए संसद को ठप करना देश के साथ मजाक ही है. बात दूसरे को ख़ुद से ज़्यादा भ्रष्ट बताने की रह गई है. हमाम में सब नंगे हैं. विवाद इस बात का है कि 'तेरी नंगई मुझसे ज़्यादा गई बीती है.'
हे भगवान भारत में नेताओं की अच्छी नस्ल क्या इस सदी में आ सकेगी?
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