रविवार, अगस्त 27, 2006

आया ज़माना 'उत्पभोक्ता' का

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे नित नए विकास के कारण प्रोड्यूसर(उत्पादक) और कंज़्यूमर(उपभोक्ता) का मेल हो रहा है, और जन्म हो रहा है 'प्रोज़्यूमर' का. प्रोज़्यूमर जिसे हिंदी में 'उत्पभोक्ता' कहा जा सकता है. यह सिद्धांत एल्विन टोफ़लर का है.

एल्विन टोफ़लर 77 साल के भविष्यद्रष्टा हैं. कोई ज्योतिषी नहीं बल्कि बिल्कुल शाब्दिक अर्थों में 'भविष्यद्रष्टा' हैं. भविष्य की परिकल्पना करने को उन्होंने अपना पेशा बना रखा है. अपनी पत्नी हेइडि के साथ मिल कर वह भविष्य की दुनिया और समाज के बारे में कई किताबें लिख चुके हैं. अभी हाल ही में उनकी नई किताब आई है- रिवोल्युशनरि वेल्थ. इससे पहले की उनकी किताबों में 'फ़्यूचर शॉक' और 'द थर्ड वेव' बहुत ज़्यादा चर्चित रही हैं.

पिछले सप्ताह फ़ाइनेंशियल टाइम्स अख़बार ने उनका विस्तृत साक्षात्कार छापा है. इस साक्षात्कार में टोफ़लर ने भविष्य के समाज की भविष्यवाणी करते हुए प्रोज़्यूमर या उत्पभोक्ता के युग के आगमन की बात की है. उत्पभोक्ता का उदाहरण देते हुए वह बुज़ुर्गों की बढ़ती हुई आबादी की बात करते हैं- "वो दिन दूर नहीं जब दुनिया में साठ साल से ज़्यादा उम्र के लोगों की आबादी एक अरब को पार कर जाएगी. वे नई प्रौद्योगिकी प्रदत्त उपकरणों के ज़रिए अपनी बीमारी का पता करने से लेकर नैनोटेक्नोलॉजि आधारित उपचार तक, वो सब काम कर रहे होंगे जो कि आज एक डॉक्टर का काम माना जाता है. इससे 'हेल्थ-सेक्टर' के कामकाज़ का तरीक़ा पूरी तरह बदल जाएगा." टोफ़लर अपने इस उदाहरण को और ज़्यादा फैलाते हुए बताते हैं कि धनरहित अर्थव्यवस्था वाला बुज़ुर्गों का समाज भविष्य में चिकित्सा प्रौद्योगिकी के बाज़ार को बहुत तेज़ी से आगे बढ़ाएगा, और इस क्रम में कुछ लोग भारी मात्रा में पैसा बनाएँगे.

एल्विन टोफ़लर कहते हैं कि प्रोज़्यूमिंग या उत्पभोग कई मामलों में आउटसोर्सिंग को नया अर्थ देता है. इस प्रकार की आउटसोर्सिंग में काम सस्ते दर पर भारत या फ़िलिपींस की कोई कंपनी नहीं करा रही होती है, बल्कि उपभोक्ता ख़ुद मुफ़्त में काम कर रहा होता है. इस प्रक्रिया के उदाहरण में वो बैंक टेलर काउंटरों की जगह एटीएम मशीनों के इस्तेमाल के चलन का उल्लेख करते हैं.

अर्थव्यवस्था के भावी स्वरूप की चर्चा करते हुए टोफ़लर एक चौंकाने वाली घोषणा करते हैं- 'प्रोज़्यूमर युग में धन का एक बड़ा स्रोत का धरती से 12,000 मील ऊपर टिका हुआ है'. वह कहते हैं- "ग्लोबल पोज़ीशनिंग उपग्रह आज मोबाइल फ़ोन से लेकर एटीएम मशीनों तक अनेक प्रक्रियाओं में 'टाइम और डाटा स्ट्रीम' को परस्पर संतुलित रखने के लिए ज़िम्मेदार हैं. एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल के भी केंद्र में जीपीएस ही है. मौसम की सटीक भविष्यवाणी के ज़रिए उपग्रह कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी ज़िम्मेदार हैं." ऐसे में जब टोफ़लर कहते हैं कि 'Wealth today is created everywhere(globalisation), nowhere(cyberspace) and out there(outer space)', तो उनकी बात में दम लगता है.

'मास्टर थिंकर' माने जाने वाले टोफ़लर के अनुसार आर्थिक व्यवस्था के विविध रूप सामने आते जाने का प्रभाव हमारे व्यक्तिगत जीवन पर भी पड़ रहा है. वह कहते हैं, "परिवार ख़त्म नहीं होगा, लेकिन पारिवारिक व्यवस्था के नए रूपों का उदय ज़रूर होगा. समलैंगिकों की शादी को स्वीकृति मिलती जा रही है. अकेली माताओं, अविवाहित युगलों, बिना बाल-बच्चे वाले विवाहित जोड़ों और कई-कई शादियाँ कर चुके माता-पिता हर समाज में देखे जा रहे हैं. एक साथी के साथ ज़िंदगी गुजारने का चलन भले ही ख़त्म नहीं हो, लेकिन एकाधिक साथियों के साथ संबंध को व्यापक स्वीकृति मिलने लगेगी."

टोफ़लर का कहना है कि कामकाज़ में मानकीकरण की ज़रूरत कम होते जाने के साथ ही ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग अपनी इच्छा के अनुसार(customised time में) काम करेंगे. उत्पभोक्ता नौकरी या करियर के बज़ाय 'creative piece work' में लगे रहेंगे. ज़्यादा-से ज़्यादा कामकाज़ कारखाने या दफ़्तर के बज़ाय घर में होगा.

इतने परिवर्तन से समाज में उथलपुथल नहीं मच जाएगी क्योंकि हर समाज में एक बड़ी संख्या यथास्थितिवादियों की होती है? इस सवाल के जवाब में टोफ़लर का कहना है कि पूरी दुनिया में जगह-जगह wave conflict या 'धारा संघर्ष' शुरू हो जाएगा. इस संबंध में वो पिछले दिनों मेक्सिको में हुए चुनाव का ज़िक्र करते हैं जहाँ दो पक्षों के बीच लगभग 50-50 प्रतिशत मत बँटे. पहले पक्ष के साथ थे 'पहली धारा' के दक्षिणी हिस्से के किसान और 'दूसरी धारा' के शहरी श्रमिक संघ, जबकि दूसरे पक्ष में थे 'तीसरी धारा' के उत्तरी हिस्से के संपन्न लोग जिन्हें क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संधि नाफ़्टा और भूमंडलीकरण का ज़्यादा फ़ायदा मिला है. टोफ़लर की मानें तो चीन, ब्राज़ील और कई अन्य देशों में भी इस तरह के शक्ति परीक्षण की आशंका बढ़ गई है.

अमरीका में विभिन्न संस्थाओं और संस्थानों को वो पुराने और नए के बीच clash of speeds या 'गति के संघर्ष' में फंस गया मानते हैं. टोफ़लर के अनुसार यदि कल्पना करें कि अमरीकी व्यवसाय जगत 100 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रहा है, तो भविष्य के लिए युवाओं को तैयार करने की ज़िम्मेदारी उठाने वाले शिक्षण संस्थान मात्र 10 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से आगे बढ़ रहे हैं. निराश स्वर में उन्होंने कहा- "इस क़दर 'डिसिन्क्रोनाइज़ेशन' के रहते आप एक सफल अर्थव्यवस्था नहीं पा सकते." जापान को भी वह इसी कसौटी पर पिछड़ता जा रहा मानते हैं. अंतरराष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो 'प्रीमाडर्न इस्लाम' और 'पोस्टमाडर्न उपभोक्ताओं' के बीच टोफ़लर को इसी तरह का डिसिन्क्रोनाइज़ेशन दिखता है.

'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' के इंटरव्यू के अंतिम हिस्से में टोफ़लर से पूछा गया कि उनकी भविष्यवाणियाँ ग़लत भी साबित हुई हैं, तो उन्होंने ईमानदारी से कई ग़लत निकली भविष्यवाणियों की चर्चा की- "हमने मानव और पशु क्लोनिंग की 1970 के दशक में चर्चा करते हुए कहा था कि 1980 के दशक के मध्य तक ये आम वास्तविकता बन जाएगी. हमने विज्ञान की धीमी गति को नज़रअंदाज़ कर दिया था. इस संबंध में हमने नैतिक सवालों की बात की थी, लेकिन हमने विज्ञान-विरोधी ईसाई दक्षिणपंथियों की ताक़त का अंदाज़ा नहीं लगाया था,...इसी तरह काग़ज़रहित ऑफ़िस की हमारी भविष्यवाणी भी अब तक वास्तविकता नहीं बन पाई है."

5 टिप्‍पणियां:

प्रेमलता पांडे ने कहा…

तेजी से बढ़ते क़दमों की गति बताने जैसा है।

बेनामी ने कहा…

Great article, I wonder who gave him the title futurist anyway or is he a self proclaimed futurist. Nevertheless, he definitely seems like a brilliant visionary.

I would also like to add "Arthur C Clarke" name in the list of real futurist - who gave us satellite / satellite orbits and satellite communications basics. No advancement is possible without an idea which actually worked! And thanks to A.C.Clarke, i hv read your article and replying to it ;)

BTW, the link that you gave for Financial Time article doesn't work as it asks for subscription, so here is the digged version on someone else's site. http://xinkaishi.typepad.com/a_new_start/2006/08/ft_he_has_seen_.html

Thanks again for a wonderful article.

With warm regards
MANSFIELD HOUSE

बेनामी ने कहा…

Sorry,

The article link is
http://xinkaishi.typepad.com/ a_new_start/ 2006/ 08/ ft_he_has_seen_.html

Regards
MANSFIELD HOUSE

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

इंटरव्यू का वर्किंग लिंक भेजने के लिए धन्यवाद!

बेनामी ने कहा…

HINDI ME IS TARH KI SAMGRI MILANA DURLABH HE . LIKHNE VALE MAHASHAY SADHUVAD K PATRA HE . PLS AGAR AAP JYADA BUSY NA HO TO MUJHE MAIL KARE OR HINDI KI KUCH OR SITES YA BLOGS K NAM PATE BATAYE