भारत में सरकारी और ग़ैरसरकारी स्तर पर इन दिनों स्वतंत्रता के साठ साल पूरे होने और आज़ादी की पहली लड़ाई के डेढ़ सौ साल पूरे होने पर समारोहों का दौर चल रहा है. ऐसे में ये जानना किसी को भी आश्चर्यजनक लग सकता है कि आज़ादी के साठ साल बाद भी हमारे असैनिक विमान ब्रिटिश राज काल के ठप्पे को ढो रहे हैं.
जी हाँ, आपने यदि ग़ौर किया हो तो भारत के सभी असैनिक विमानों के पिछले हिस्से में अंग्रेज़ी के पाँच अक्षर लिखे होते हैं. ये मार्किंग अनिवार्य रूप से अंग्रेज़ी के दो अक्षरों VT से शुरू होती है. VT यानि Viceroy's Territory. मतलब भारतीय असैनिक विमान पर ये ठप्पा लगाना ज़रूरी होता है कि ये वायसराय के अधीनस्थ देश के हैं.
दरअसल भारतीय विमानों पर अनिवार्य रूप से लिखा जाने वाला VT एक Aircraft Nationality Mark है जो International Civil Aviation Organisation(ICAO) ने भारत को प्रदान किया है. ICAO संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है, और इसका मुख्यालय कनाडा के मांट्रियल शहर में है. ICAO का उद्देश्य है अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन का अनुशासित और सुरक्षित विकास. भारत समेत 180 देश इसके सदस्य हैं, जिन्हें इसके बनाए नियमों का पूर्ण पालन करना पड़ता है.
ICAO ने 1944 में भारत के विमानों के लिए राष्ट्रीयता कोड VT निर्धारित किया था. दरअसल ICAO ने अपने से कहीं पुराने संगठन ITU या International Telecommunication Union के Country Call Sign Prefix को विमानन कोड का मुख्य आधार बनाया. और ITU के चार्ट में भारत को VT-VW कोड मिला हुआ था. इस तरह ICAO ने भारत के असैनिक विमानों के लिए VT कोड निर्धारित कर दिया. इसके तीन साल बाद देश आज़ाद हो गया, लेकिन तत्कालीन समस्याओं से निपटने और भविष्य के लिए योजनाएँ बनाने में जुटी नेहरू सरकार इस कोड को बदलवाने की बात भूल गई.
भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने VT की जगह कोई और कोड लेने का पहला गंभीर प्रयास किया, हालाँकि उसे सफलता नहीं मिली. दरअसल ICAO की महासभा की बैठक हर तीसरे साल होती है, इसलिए ऐसे मामलों पर फ़ैसले की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है. इसलिए ज़रूरत थी कि एनडीए सरकार की जगह लेने वाली मौजूदा यूपीए सरकार भी गंभीरता से इस मामले को आगे बढ़ाती. ऐसा हुआ नहीं, फलस्वरूप आज़ादी की साठवीं सालगिरह के मौक़े पर भी हमारे विमान वायसराय के अधीनस्थ का ठप्पा लगाए घूम रहे हैं. पिछले हफ़्ते नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफ़ुल्ल पटेल ने संसद में कहा कि सरकार भारतीय विमानों पर लगे शर्मनाक ठप्पे को बदलवाने की प्रक्रिया में ज़ोरशोर से जुट गई है. देखें परिवर्तन के लिए और कितने साल इंतज़ार करना पड़ता है!
फ़्रांस का कोड F, इटली का I, ग्रेट ब्रिटेन का G, जापान का JA, पाकिस्तान का कोड AP और नेपाल का 9N है. कई अन्य देशों ने अपनी राष्ट्रीय भाषा में देश के नाम से मिलते-जुलते कोड लिए हैं, जैसे जर्मनी का कोड D है या Deutschland. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर देश का विमान कोड देश के नाम से मेल खाता हो. मसलन अमरीका के विमानों पर राष्ट्रीयता कोड N होता है.
एक अक्षर वाले कोड ज़्यादा सुविधाजनक होते हैं, लेकिन भारत को India का I नहीं मिल सकता जो कि इटली के पास है. इसी तरह हमें Bharat का B भी नहीं मिल सकता क्योंकि ये चीन ने ले रखा है. (वैसे हांगकांग और मकाऊ के SAR कोड भी चीन के ही पास हैं.)
हाल के दिनों में ICAO का सदस्य देशों से आग्रह रहा है कि वे नाम परिवर्तन की माँग करें तो अपनी राष्ट्रीय भाषा में देश के नाम से जुड़े अंग्रेज़ी के अक्षरों को प्राथमिकता दें, जैसे जर्मनी ने D ले रखा है. शायद इस कारण भी एनडीए सरकार ने ICAO से भारत के लिए BH कोड की माँग रखी थी.
नोट:- ICAO की पूरी कोड तालिका के लिए यहाँ क्लिक करें.
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10 टिप्पणियां:
आपने बताया तो पता लगा
उम्मीद और प्रार्थना करें कि सरकारी कदम असरकारी रफ्तार से चलें और जल्दी ही हमें इस वायसरायी ठप्पे से मुक्ति मिले
यह तो सही बात बताई आपने, ज्ञात ही नहीं था.
वैसे BH अगर भुटान के पास हुआ तो?
कोई नहीं जी, जो मिले वही ले लो मगर गुलामी के प्रतिक को दूर करो.
अच्छा ज्ञानवर्धन,पर मुशकिल है काग्रेस को SG चाहिये होगा...?
शायद सोनिया जी BH को भगवा रंग समझ रही हैं। इसीलिए कोई पहल नहीं कर रही हैं।
अच्छी ज्ञानवर्धक जानका्री है,लेकिन कांग्रेस से उम्मीद कम ही है कि वह कुछ सोचेगी इस बारे में।
तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.
हर क्षेत्र में ऐसे प्रतीक छूटे हुए हैं.. दुख मगर इस से ज़्यादा इस बात का है ये अवशेष प्रतीक से कुछ ज़्यादा हैं.. बहुत ज़्यादा..
मैं हमेशा सोचता था कि यह कैसे आया. आज यह स्पष्ट हो गया. और भी बहुत सारी बातें स्पष्ट हो गईं. लेख के लिये आभार -- शास्त्री जे सी फिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!
शर्मनाक बात है कि आजादी के 60 साल बाद भी गुलामी के ऐसे प्रतीक चिन्ह बचे हैं। और, हमें पता भी नहीं है। सरकार को पता है तो, वो कुछ कर नहीं रही। शर्म.. शर्म
VT code bharat ko dene ke pichhe mujhe to VIDESHI TAKAT ki sajish lagti hai. UPA sarkar iss bhool ko sudharne ka prayas jaari nahi rakh paayi iske pichhe mujhe VIDESHI MAHILA KA HATH dikhaayi parta hai. aapka dhyan dilaya iss kalank ke baare me iske liye aabhari hoon....
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