गुरुवार, जुलाई 12, 2007

ब्लॉग का बदनाम भाई स्प्लॉग

पिछले कुछ वर्षों में ब्लॉगिंग के ज़रिए सूचनाओं और विचारों के आदान-प्रदान से करोड़ों लोगों को फ़ायदा हुआ है. कुछ टॉप के ब्लॉगरों ने ब्लॉगिंग से ख्याति अर्जित की, तो कुछ ने पैसे भी बनाए हैं. वहीं एक श्रेणी ऐसे लोगों की है जिन्होंने ब्लॉगिंग के ग़लत इस्तेमाल के ज़रिए हज़ारों डॉलर अर्जित किए हैं.

ब्लॉगिंग के ज़रिए भारी कमाई करने वाले इन लोगों को स्प्लॉगर कहा जाता है. स्प्लॉगर नाम स्प्लॉग से आया है. स्प्लॉग=स्पैम+ब्लॉग.

ज़ाहिर है स्पलॉगर किसी के घर चोरी नहीं करते, किसी की जेब नहीं काटते...लेकिन उनकी कमाई को अनैतिक कमाई माना जाता है. दरअसल एक स्प्लॉगर सैंकड़ों और हज़ारों की संख्या में फ़र्जी ब्लॉग बनाते हैं. उन ब्लॉगों को सर्च इंजनों में उच्चतर रैंकिंग दिलाने के लिए जोड़तोड़ करते हैं. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में स्प्लॉगों में दूसरे ब्लॉगरों की कृतियाँ भी चुरा कर डाली जाती हैं. इसके बाद स्प्लॉगों में गूगल के कमाई तंत्र एडसेंस को लगाया जाता है.

यदि किसी स्प्लॉगर के पास अच्छी सर्च इंजन रैंकिंग वाले हज़ारों स्पैम ब्लॉग हैं तो उसे लखपति बनने से अगर कोई रोक सकता है तो वो है गूगल. लेकिन ख़बरें ये हैं कि गूगल स्पलॉगों को लेकर होने वाली सीमित बदनामी पर उनसे होने वाली आय को ज़्यादा वज़न देता है. इस कारण स्प्लॉगरों को रोकने का, उन्हें हतोत्साहित करने की पुरज़ोर कोशिश अब तक नहीं की गई है.

एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन औसत पाँच हज़ार स्प्लॉग जन्म लेते हैं. यदि दो प्रमुख मुफ़्त ब्लॉगिंग सुविधा प्रदाताओं वर्डप्रेस और ब्लॉगर की बात करें, तो वर्डप्रेस जहाँ स्प्लॉगरों के ख़िलाफ़ अतिसक्रिय होकर कार्रवाई करता है, वहीं ब्लॉगर के कर्ताधर्ता ऐसा नहीं कर रहे. यही वज़ह है कि एक अनुमान के अनुसार वर्डप्रेस के ब्लॉगों में से मात्र एक प्रतिशत को स्प्लॉग माना जाता है, वहीं ब्लॉगर के चिट्ठों में आधे से ज़्यादा को स्प्लॉग की श्रेणी में रखा जाता है.

यहाँ ये उल्लेखनीय है कि एडसेंस का लाभ उठाने के अतिरिक्त दूसरी वेबसाइटों की रैंकिंग बेहतर करने के लिए भी बड़ी संख्या में स्प्लॉगों का इस्तेमाल किया जाता है. वर्डप्रेस पर स्प्लॉग ज़्यादातर इसी श्रेणी के हैं.

ब्लॉगिंग के क्षेत्र में तरह-तरह के शूरवीर मौजूद हैं. ऐसे ही एक योद्धा हैं- स्प्लॉगफ़ाइटर. ये स्प्लॉगों को खोजने के बाद गूगल को सूचित करते हैं. उनकी मानें तो पिछले कुछ हफ़्तों से उन्हें लगता है कि गूगल ने स्प्लॉगिंग की समस्या को गंभीरता से लेना शुरू किया है. पिछले दिनों गूगल ने लाखों की संख्या में स्प्लॉगों को डिलीट किया है और उनके मालिकों के एडसेंस खाते बंद किए हैं. हालाँकि स्प्लॉगफ़ाइटर का ये भी कहना है कि स्प्लॉगों को ढूंढने का बेहतर फ़ॉर्मूला तैयार करने के बाद क्या पता उन्हें लाखों की संख्या में वैसे स्प्लॉग मिले, जो कि अभी उनकी नज़र में नहीं आ पाए हैं.

स्प्लॉगफ़ाइटर ने पिछले दिनों एक अख़बार को साक्षात्कार में बताया कि गूगल की तकनीकी क्षमता को देखते हुए स्प्लॉगों को पैदाइश के साथ ही पकड़ना तक संभव है, लेकिन शायद गूगल की प्राथमिकताओं की सूची में ये काम अभी बहुत नीचे है. हालाँकि स्प्लॉगफ़ाइटर ने बताया कि उनके स्प्लॉगविरोधी अभियान को देखते हुए एक बार गूगल अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया, उन्हें लंच के लिए आमंत्रित किया और गूगल स्टोर से एक उपहार की पेशकश की.

एडसेंस को लेकर निषेधात्मक रवैया रखने वाला वर्डप्रेस अब अपनी ब्लॉगिंग सेवा में उसे समाहित करने की तैयारी कर रहा है. शायद कुछ पैसे वसूल कर ये सुविधा दी जाएगी. लेकिन स्प्लॉग और स्पैम के प्रति कड़ा रुख़ अपनाने वाला वर्डप्रेस एडसेंस के दुष्प्रभावों से कैसे निपटता है ये निश्चय ही देखने वाली बात होगी.

9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अच्छी जानकारी। स्पलॉगों की रोकथाम में गूगल वाकई ढीला है क्योंकि उसको उनसे अच्छी खासी कमाई होती है, और हर व्यवसाय की तरह गूगल के लिए भी हरे नोट अधिक महत्वपूर्ण हैं। कंपनी का मोटो "don't be evil" होने का अर्थ यह थोड़े ही है कि वे evil नहीं होंगे!! ;)

ePandit ने कहा…

अच्छी जानकारी है, इस बारे में चिट्ठाकारों को भी जागरुक होने के जरुरत है। अगर कोई स्पलॉग दिखे तो गूगल को रिपोर्ट करनी चाहिए।

अनूप शुक्ल ने कहा…

सही, अच्छी जानकारी है।

उन्मुक्त ने कहा…

कई नये शब्द पता चले

हिन्दी चिट्ठा ने कहा…

मैं वर्डप्रेस पर हूं. जहां कड़ी कार्रवाई की जाती है इसलिए मेरे स्पालगर बनने का अवसर सीमित है.
जानकारी के लिए धन्यवाद.

रवि रतलामी ने कहा…

"...लेकिन ख़बरें ये हैं कि गूगल स्पलॉगों को लेकर होने वाली सीमित बदनामी पर उनसे होने वाली आय को ज़्यादा वज़न देता है. इस कारण स्प्लॉगरों को रोकने का, उन्हें हतोत्साहित करने की पुरज़ोर कोशिश अब तक नहीं की गई है...."

ये बात कुछ हद तक सही है. मैंने गूगल एडसेंस को एक पूरा डोमेन जो वर्डप्रेस पर स्पलॉग साइट पर चल रहा था, और एडसेंस से भरपूर था, के बारे में चेताया था, तो वहाँ से गोलमोल जवाब ही आया था.

ये बात

मसिजीवी ने कहा…

काम की जानकारी
ये लोग इतने सारे ब्‍लॉग (स्‍प्‍लॉग) मैनेज कैसे कर पाते हैं। हिंदी में तो ऐसा करना मूर्खता होगी- 10 सेंट्स कमाने केलिए कितना पचड़ा

शुक्रिया।

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया जानकारी रही. सचेत रहने की आवश्यक्ता है.

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

लेख पढ़ने और प्रतिक्रियाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! जब भी समय मिले, हमें स्प्लॉगों और चोरी के ब्लॉगों की रिपोर्ट ब्लॉगर या अन्य संबंधित होस्टों से ज़रूर करनी चाहिए.