गुरुवार, मई 31, 2007
प्रतिभा और प्रतिभावान -2
जैसा कि इस पोस्ट के पहले भाग में ज़िक्र किया गया है, प्रतिभाशाली व्यक्तियों की समाज में मौजूदगी हमेशा ही बहुत कम रही है. लेकिन समाज हर चीज़ की माप का कोई न कोई पैमान गढ़ ही लेता है.
जिस तरह प्रतिभा की माप के लिए IQ का पैमाना है, उसी तरह प्रतिभाशालियों के समाज का पता करने के लिए सबसे विश्वस्त पैमाना नोबेल पुरस्कारों का है. इसे Genius Factor कहा जाता है. जीनियस फ़ैक्टर यानि प्रति एक लाख की आबादी पर नोबेल पुरस्कारों की संख्या. यानि सीधे शब्दों में कहें तो किसी देश के नागरिकों को मिले नोबेल पुरस्कारों की संख्या को उस देश की वर्तमान जनसंख्या से भाग दें और उसमें एक लाख से गुणा करें.
आज की स्थिति देखें तो जीनियस फ़ैक्टर के हिसाब से सबसे स्मार्ट देश स्वीडन है. स्वीडिश नागरिकों ने यों तो मात्र 30 नोबेल पुरस्कार (सर्वाधिक 8 चिकित्सा के क्षेत्र में, और 7 साहित्य में) पाए हैं, लेकिन अपेक्षाकृत कम जनसंख्या का देश होने के कारण स्वीडन का जीनियस फ़ैक्टर 0.329 बनता है. दूसरे नंबर पर स्विटज़रलैंड (0.327) और तीसरे नंबर पर डेनमार्क (0.239) है. अमरीकी नागरिकों को यों तो सर्वाधिक 292 नोबेल पुरस्कार मिले हैं, लेकिन जनसंख्या के अनुरूप गणना करने पर अमरीका आठवें स्थान (0.097) पर आता है. इसी तरह सौ से ज़्यादा नोबेल पुरस्कार लेने वाला ब्रिटेन छठे स्थान (0.168) पर है. कहने की ज़रूरत नहीं कि भारत और चीन जैसी उभरती महाशक्तियाँ इस सूची में दूर-दूर तक नहीं नज़र आती हैं.
अब आइए The Observer द्वारा तैयार अब तक के 20 सर्वाधिक प्रतिभाशाली व्यक्तियों की सूची के बाक़ी दस व्यक्तियों की संक्षिप्त चर्चा करते हैं-
11. Isaac Newton (b. 4 January 1643, d. 31 March 1727). गणितज्ञ. न्यूटन ने बड़ा ही एकाकी बचपन जीया, और संभवत: इसलिए वे शुरुआती दिनों में बेहद ग़ुस्सैल प्रवृति के थे. लेकिन 84 साल की ज़िंदगी जीने वाले न्यूटन ने अधिकांश वैज्ञानिक काम भी जीवन के पूर्वार्द्ध में ही किया. उन्होंने प्रकाश की प्रकृति का विश्लेषण किया, ग्रहों की गति का विवरण दिया और अपनी कृति Philosophiae Naturalis Principia Mathematica में गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौम सिद्धान्त प्रतिपादित किया. उनका प्रसिद्ध कथन- 'यदि मैंने दूरदृष्टि का परिचय दिया है, तो ये सब महापुरुषों द्वारा किए गए कार्यों की सहायता से ही संभव हो सका.'
12. Wolfgang Amadeus Mozart (b. 27 January 1756, d. 5 December 1791). संगीतज्ञ. मोज़ार्ट के पिताजी लियोपोल्द तत्कालीन यूरोप के मूर्धन्य संगीतज्ञों में से थे. मोज़ार्ट के जन्म के साल में ही उनकी कृति A Treatise on the Fundamental Principles of Violin Playing प्रकाशित हुई थी. जब मोज़ार्ट तीन साल के थे तब उनकी विलक्षण प्रतिभा से प्रभावित पिता लियोपोल्द ने संगीत का अपना काम छोड़ कर पूरा समय अपने बेटे की प्रशिक्षण पर लगाने का फ़ैसला किया. मोज़ार्ट ने अपनी पहली संगीत रचना तैयार की तो वे मात्र पाँच साल के थे. मोज़ार्ट की संगीत रचनाओं पर Bach और Handel का असर देखा जा सकता है. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'Neither a lofty degree of intelligence nor imagination nor both together go to the making of genius. Love, love, love, that is the soul of genius.'
13. Ludwig Van Beethoven (baptised 17 December 1770, d. 26 March 1827). संगीतकार. जर्मनी के बॉन शहर में पैदा हुए बीथोवन ने नहीं के बराबर ही स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी. लेकिन शुरू से ही उन्होंने पियानो, वॉयलिन और फ़्रेंच हॉर्न जैसे वाद्य बजाना सीखा. उन्होंने कुछ दिनों तक मोज़ार्ट से भी संगीत शिक्षा पाई, हालाँकि बाद में वे Joseph Haydn की शरण में शिक्षा पाने वियना चले गए. अपने पूर्ववर्ती संगीतज्ञों के विपरीत बीथोवन किसी दरबार से नहीं जुड़े बल्कि ज़्यादार स्वतंत्र रूप से काम किया. जीवन के अंतिम वर्षों में उनकी श्रणव शक्ति पूरी तरह चली गई, लेकिन बावजूद इसके वे लगातार उतकृष्ट संगीत रचना करते रहे. उनके बहरेपन के संभावित कारणों में एक ये भी बताया जाता है कि वह नींद से पीछा छुड़ाने के लिए सर्द पानी में सिर डुबो लेते थे. बीथोवन का एक प्रसिद्ध कथन- 'हम सब वही करें जो कि सही है, पूरी ताक़त से अलभ्य को पाने की कोशिश करें, ईश्वर प्रदत्त गुणों का विकास करें, और सीखना कभी नहीं छोड़ें.'
14. Johann Wolfgang von Goethe (b. 28 August 1749, d. 22 March 1832). कवि, उपन्यासकार, सिद्धान्तकार, वैज्ञानिक. एक संपन्न और प्रभावशाली परिवार में पैदा हुए गोएटे का बचपन से ही साहित्य की ओर रुझान था. क़ानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने फ़्रांकफ़ुर्त में क़ानून के क्षेत्र में काम भी किया. लेकिन कुछ ही दिन में उन्होंने सब कुछ छोड़ साहित्य की शरण ले ली. जर्मन शेक्सपियर कहलाने वाले गोएटे ने कविता, निबंध, आलोचना के क्षेत्र में अनेक रचनाओं के अलावा भौतिकी, जीव विज्ञान और भाषा विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान दिया. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'Common sense is the genius of humanity.'
15. Isambard Kingdom Brunel (b. 9 April 1806, d. 15 September 1859). एक इंजीनिय पिता की संतान ब्रनेल मात्र 20 साल के थे, जब उन्होंने टेम्स नदी के नीचे बनने वाली सुरंग की परियोजना में मुख्य सहायक अभियंता बना दिया गया. ब्रनेल 1828 में टेम्स सुरंग में अचानक पानी भर जाने की दुर्घटना में मरते-मरते बचे थे. रोज़ाना औसत 40 सिगार पीने वाले और चार घंटे सोने वाले ब्रनेल के नाम अनेक पुल, सुरंगें और जहाज़ हैं. उनकी देखरेख में बने ब्रिस्टल के क्लिफ़्टन पुल, लंदन की टेम्स सुरंग, बर्कशैर के मैडेनहेड रेल पुल जैसे कई ऐसे निर्माण आज भी मौजूद हैं जो उस ज़माने में लोगों को दाँतों तले अँगुली दबाने पर बाध्य करते थे.
16. Charles Darwin (b. 12 February 1809, d. 19 April 1882). जीव विज्ञानी. वनस्पति विज्ञानी. एक पढ़े-लिखे धनी परिवार में पैदा हुए डार्विन ने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई अधूरी छोड़ने के बाद जीव-जगत और प्राकृतिक इतिहास में दिलचस्पी लेनी शुरू की. उन्हें प्रसिद्धि मिली बीगल नामक जहाज़ पर पाँच साल लंबी समुद्री यात्रा के दौरान की गई खोजों के कारण. इसी यात्रा के दौरान जुटाई जानकारियों के आधार पर उन्होंने 1838 में Natural Selection का सिद्धान्त प्रतिपादित किया, और फिर 1859 में On the Origins of Species की रचना की.
17. Fyodor Dostoevsky (b. 11 November 1821, d. 9 February 1881). साहित्यकार. शराबी पिता की संतान दोस्तोयेव्स्की का बचपन बड़ा ही हंगामेदार रहा. इस अनुभव का असर उनकी कृतियों में खुल कर देखा जा सकता है. उदारवादी बुद्धिजीवी गुट Petrashevsky Circle का सदस्य होने के आरोप में उन्हें सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. जीवन के अंतिम वर्षों में दोस्तोयेव्स्की को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और उन्हें जुआ खेलने की लत लग गई. उनकी पाँच सर्वाधिक प्रसिद्ध कृतियाँ हैं- Poor Folk, Notes from the Underground, Crime and Punishment, The Idiot और The Brothers Karamazov.
18. Nikola Tesla (b. 10 July 1856, d. 7 january 1943). आविष्कारक, भौतिकशास्त्री, अभियांत्रिकी और वैद्युत इंजीनियर. सर्ब मूल के टेसला चेक, जर्मन, हंगेरियन, इतालवी और लैटिन भाषाओं में निपुण थे. कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले टेसला मानसिक असंतुलन के भी शिकार थे. तीन के अंक में उनका पक्का भरोसा था. टेसला द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त ही आधुनिक एसी विद्युत प्रणाली के नींव बने. थॉमस एडिसन ने भारी आर्थिक लाभ का भरोसा दिला कर टेसला से ख़ूब काम लिए, लेकिन अंतत: उन्हें कुछ भी नहीं दिया. इसके बाद दोनों परस्पर कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन गए. टेसला ने जहाँ AC विद्युत के विकास के लिए ख़ुद को झोंक दिया, वहीं एडिसन ने DC विद्युत पर अपना ध्यान लगाया.
19. Marie Curie (b. 7 November 1867, d. 4 July 1934). भौतिकविद और रसायनशास्त्री. अत्यंत मेहनती क्यूरी की यादाश्त कमाल की थी. काम की धुन में उन्हें न तो खाने की और न ही सोने की चिंता होती थी. महिला होने के कारण तत्कालीन वारसॉ में उन्हें सीमित शिक्षा की ही अनुमति थी, इसलिए उन्हें छुप-छुपाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी. बाद में बड़ी बहन की आर्थिक सहायता की बदौलत वह भौतिकी और गणित की पढ़ाई के लिए पेरिस आईं. उन्होंने फ़्रांस में डॉक्टरेट पूरा करने वाली पहली महिला होने का गौरव पाया. बाद में उन्हें Sorrbonne के विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बनने वाली पहली महिला होने का गौरव भी मिला. यहीं उनकी मुलाक़ात Pierre Curie से हुई जो उनके पति बने. दोनों ने मिलकर दो रेडियोधर्मी तत्वों पोलोनियम और रेडियम की खोज की. दोनों को संयुक्त रूप से 1903 के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला. मैरी क्यूरी को 1911 में रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला. विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह एकमात्र वैज्ञानिक हैं. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'जीवन में किसी चीज़ का भय नहीं होना चाहिए, बल्कि उसकी समझ विकसित की जानी चाहिए.'
20. Albert Einstein (b. 14 March 1879, d. 18 April 1955). जर्मनी में पैदा हुए आइंस्टाइन को बचपन में मुश्किल से बोल पाते थे. पाँच साल की उम्र में उनके पिताजी ने उन्हें क़ुतुबनुमा या कम्पास लाकर दिया. एक अदृश्य शक्ति के कारण चुम्बकीय सुई को घूमते देखने को आइन्सटाइन ने अपने जीवन का सर्वाधिक क्रांतिकारी अनुभव बताया था. युवावस्था में वह अपने परिवार के साथ इटली आकर रहने लगे, वहीं उन्होंने अपना पहला वैज्ञानिक सिद्धान्त पूरा किया. बाद में सैनिक सेवा से बचने के लिए उन्होंने जर्मन नागरिकता छोड़ कर स्विटज़रलैंड की नागरिकता ले ली. 1932 में आइंस्टाइन यूरोप छोड़ कर अमरीका रहने आ गए. उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर ही लेज़र तकनीक विकसित हुई, लेकिन उनकी ख्याति सापेक्षतावाद के सिद्धान्त के कारण हुई. Photoelectric Effect संबंधी 1905 में प्रकाशित काम पर उन्हें 1921 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्होंने ज़िंदगी के आख़िरी वर्षों में विश्व शांति के लिए काम किया. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'मुझे नहीं पता कि तीसरा विश्व युद्ध किस तरह लड़ा जाएगा, लेकिन चौथा विश्व युद्ध डंडों और पत्थरों से लड़ा जाएगा.'
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3 टिप्पणियां:
अच्छा लिखा !
लेख अच्छा है. दा विंची का लिस्ट में न होना अजिब लग रहा है.
विज्ञान एवं वैज्ञानिकों से सम्बन्धित लेखों की हिन्दी में (जनसंख्या के हिसाब से) बहुत कमी है. उम्मीद है इस खाई को पाटने में आपका चिट्ठा एक अहं भूमिका निभायेगा.
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