इन दिनों कलमीकिया में शतरंज की विश्व चैम्पियनशिप चल रही है. अभी 23 सितंबर को शुरू हुई चैम्पियनशिप आधे रास्ते भी नहीं पहुँची थी, कि इसे 'टॉयलेटगेट' का नाम दिया जाने लगा...जी हाँ, शौचालय से जुड़ा कांड या मज़ाक!
संक्षेप में इस टॉयलेटगेट की अब तक की कहानी इस प्रकार है:-
कलमीकिया रूस के दक्षिणी भाग में एक छोटा-सा गणतंत्र है. इसके राष्ट्रपति किर्सन इल्युमझिनोव शतरंज की मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व शतरंज परिसंघ या FIDE के अध्यक्ष भी हैं. कलमीकिया और इल्युमझिनोव पर विस्तार से चर्चा अगले किसी पोस्ट में करूँगा, पहले टॉयलेटगेट की कहानी पर आता हूँ.
जब इस साल FIDE प्रमुख के चुनाव का वक़्त आया तो पदासीन अध्यक्ष इल्युमझिनोव के कुर्सी पर आगे भी काबिज़ रहने की संभावना कम हो चली थी. ऐसे में इल्युमझिनोव ने तुरुप का पत्ता खोला. उन्होंने कहा कि हमें पद पर बनाए रखो तो FIDE के मौजूदा चैम्पियन बुल्गारिया के वेसेलिन तोपालोव और पेशेवर शतरंत महासंघ या PCA के विश्व चैम्पियन रूस के व्लादिमीर क्रैमनिक के बीच मुक़ाबला करा देंगे. यानि शतरंज के वास्तविक विश्व चैम्पियन का फ़ैसला हो जाएगा. FIDE के सदस्य देशों के खेल पदाधिकारियों ने इल्युमझिनोफ़ पर भरोसा व्यक्त करते हुए उन्हें अध्यक्ष के रूप में पुनर्निर्वाचित करा दिया.
वर्ष 1993 के बाद से दुनिया में शतरंज के दो विश्व चैम्पियन रहे हैं. मौजूदा दो चैम्पियनों में से एक हैं तोपालोव जोकि FIDE आयोजित आधिकारिक विश्व चैम्पियनशिप 2005 के विजेता हैं. दूसरे, अनधिकृत लेकिन विश्वसनीय विश्व चैम्पियन हैं क्रैमनिक, जिन्होंने 2000 में शतरंज के बेताज बादशाह गैरी कास्पारोव को हराया था. (उस मुक़ाबले में कास्पारोव को क्रैमनिक के ख़िलाफ़ एक भी मैच में जीत नसीब नहीं हो पाई थी.) कास्पारोव ने ही 1993 में ख़ुद को FIDE से अलग करते हुए, ब्रिटेन के ग्रैंड मास्टर नाइजल शॉर्ट के साथ मिल कर PCA की नींव रखी थी. हालाँकि उनके PCA को ओलंपिक कमेटी की मान्यता नहीं मिली, और शतरंज का आधिकारिक विश्व संगठन FIDE ही बना रहा.
ख़ैर, बात बात हो रही थी इल्युमझिनोव की. अध्यक्ष के रूप में अगले कार्यकाल के लिए चुन लिए जाने के बाद उन्होंने तोपालोव और क्रैमनिक को विश्व चैम्पियनशिप मुक़ाबले में भाग लेने के लिए राज़ी कर शतरंजप्रेमियों को चौंका दिया. इस 10 लाख डॉलर पुरस्कार राशि वाली चैम्पियनशिप का आयोजन स्थल कलमीक राजधानी इलिस्ता को बनाया गया.
चैम्पियनशिप में 12 मैच रखे गए, इस शर्त के साथ कि जो पहले 6.5 अंक ले आएगा वो शतरंज का विश्व चैम्पियन घोषित होगा.
सितंबर की 23 और 24 तारीख़ को पहले और दूसरे मैच को क्रैमनिक ने जीता और 2-0 की बढ़त बना ली. तीसरे और चौथे मैच अनिर्णीत छूटे, यानि चार मैचों के बाद 27 सितंबर को क्रैमनिक 3-1 से आगे थे. तोपालोव की स्थिति कमज़ोर हो चली और शतरंज विशेषज्ञों के कॉलमों में लिखा जाने लगा कि वे अब शायद ही मुक़ाबले में आगे निकल पाएँ. हालाँकि, तोपालोव भी बेहतरीन खिलाड़ी माने जाते हैं, और उनमें किसी भी विपरीत परिस्थिति से उबरने की क्षमता है. इसलिए लगता नहीं कि वो हताश हो गए होंगे. लेकिन उनके मैनेजर सिल्वियो दनाइलोव ज़रूर हताश हो चुके थे.
तोपालोव के मैनेजर दनाइलोव ने आरोप लगाया कि मैच के बीच में क्रैमनिक बीसियों बार टॉयलेट जाते हैं, जो कि दाल में काले जैसी बात है. ख़ुद उन्होंने खुल कर और ज़्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन दबी ज़ुबान में दनाइलोव के गुर्गों ने आरोप लगाया कि क्रैमनिक बार-बार टॉयलेट इसलिए जाते हैं कि उन्होंने वहाँ कंप्यूटर और अन्य उपकरण जमा रखा है, जिनके ज़रिए वे आगे की चाल का फ़ैसला करते हैं.
चैम्पियनशिप में दोनों खिलाड़ियों को अपना-अपना व्यक्तिगत टॉयलेट सुलभ कराया गया था. दनाइलोव ने कहा कि तोपालोव पाँचवें मुक़ाबले में तभी उतरेंगे जबकि क्रैमनिक के टॉयलेट में ताला लगा दिया जाए, और वो उसी शौचालय का उपयोग करें जो कि तोपालोव करते हैं.
ये सब नाटक ऐसे समय हुआ जब FIDE प्रमुख इल्युमझिनोव रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक बैठक के लिए कलमीकिया से दूर मॉस्को में थे. जब 29 सितंबर को पाँचवाँ मैच शुरू होने का वक़्त आया तो तोपालोव शतरंज की बिसात पर आए, लेकिन क्रैमनिक अपने बंद पड़े टॉयलेट के सामने खड़े रहे. बाद में क्रैमनिक अपने रेस्ट-रूम में वापस लौट गए, जबकि तोपालोव बिसात पर अकेले पड़े रहे. अधिकारियों ने बिना कोई चाल वाले इस पाँचवें मुक़ाबले में तोपालोव को विजेता घोषित कर उन्हें पूरे अंक दे दिए.
इस अपमानजनक स्थिति के बाद क्रैमनिक ने चैम्पियनशिप में आगे खेलने से मना कर दिया. कहा कि शर्तों के मुताबिक उन्हें सिर्फ़ उनके लिए व्यक्तिगत शौचालय उपलब्ध कराया जाया, तभी बात आगे बढ़ सकती है. उन्होंने साफ़ कर दिया कि प्रतिद्वंद्वी के साथ वे किसी भी क़ीमत पर टॉयलेट शेयर नहीं करने जा रहे. ऐसे में यही लग रहा था कि पहली शतरंज विश्व चैम्पियनशिप टॉयलेट में बहने ही वाली है.
ख़ैर, FIDE प्रमुख इल्युमझिनोव की मान-मनौव्वल और राष्ट्रपति पुतिन के क्रैमनिक से खेल जारी रखने के आग्रह के बाद अंतत: दो अक्तूबर को छठा मुक़ाबला शुरू हुआ. दोनों खिलाड़ियों के दलों ने एक-दूसरे के रेस्ट-रूम का निरीक्षण किया. क्रैमनिक को व्यक्तिगत टॉयलेट उपलब्ध दोबारा उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन इससे पहले तोपालोव के दल ने क्रैमनिक के टॉयलेट का निरीक्षण किया.
मामला तो सुलझ गया, और तोपालोव ने मुक़ाबले में शानदार वापसी भी की छठा-सातवाँ मैच ड्रॉ कर, और आठवाँ-नौवाँ मैच जीत कर. अंतत: आज आठ अक्तूबर को क्रैमनिक टॉयलेटगेट के बेहूदा हादसे से उबर पाए और दसवाँ मैच जीत कर मामला 5-5 से बराबरी पर ला दिया.
आगे के दो मैचों में कुछ भी हो सकता है. बेहतर हो क्रैमनिक जीत जाएँ या कम-से-कम संयुक्त विजेता तो ज़रूर बनें, क्योंकि टॉयलेट के चलते तोपालोव के दल ने उन्हें बेमतलब मानसिक प्रताड़ना दी. क्रैमनिक के साथ इससे भी बड़ा अन्याय ये हुआ कि पाँचवें मैच में बिना किसी चाल चले तोपालोव को पूरे अंक दे दिए गए. यदि न हुए मैच का अंक दोनों में बाँटा जाता, तो दसवें मैच के अंत में आज क्रैमनिक 5.5-4.5 से आगे चल रहे होते.
और अंत में देखिए ये चित्र. शायद तोपालोव के मैनेजर दनाइलोव की कल्पना में क्रैमनिक का टॉयलेट कुछ ऐसा ही होगा-
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3 टिप्पणियां:
वाह... शतरंज प्रतियोगिता में चल रहे हालात को आपने बड़ी रोचकता से बयान किया है। लेकिन हो सकता है कि क्रेमनिक के टॉयलेट में सच में ही कुछ उपकरण वगैरह हों, नहीं तो उन्होंने खेलने से क्यों इन्कार कर दिया। :-)
बहुत खूब . मजेदार जानकारी दी आपने.भइये, हमें तो आपसे यही शिकायत रहती है हमेशा कि आप कम, अरे कम क्या अब तो बहतै कम, लिखते हैं.
Greaaaaat stuff boss, keep it up !!
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