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पहली नज़र में यही लगता है कि बड़ी दवा कंपनियाँ और चिकित्सा संस्थान एड्स, कैंसर, पार्किन्संस जैसी बीमारियों का इलाज़ ढूँढने में इतने व्यस्त हैं कि सर्दी-ज़ुकाम को किसे फ़िक्र! लेकिन नहीं, ऐसी बात नहीं है. चिकित्सा जगत में ये सर्वमान्य तथ्य है कि सर्दी-ज़ुकाम 200 से ज़्यादा प्रकार के विषाणुओं की करतूत है, यानि बहुत ही जटिल बीमारी है. ज़ाहिर है इससे पार पाने के लिए सारे ज़िम्मेवार विषाणुओं से निपटना होगा, यानि बहुत ज़्यादा संसाधन झोंकने पड़ेंगे. लेकिन ये कोई जानलेवा बीमारी तो है नहीं, तो क्यों नहीं संसाधनों को अन्य बीमारियों के उपचार ढूँढने में खपाया जाए. ऐसे में कार्डिफ़ विश्वविद्यालय के कॉमन कोल्ड सेंटर के निदेशक प्रोफ़ेसर रॉन इकल्स का कहना सही है कि जब तक मानव के पास नाक रहेगी, सर्दी-ज़ुकाम भी रहेगा!
प्रोफ़ेसर इकल्स सर्दी-ज़ुकाम की समस्या की अनदेखी से ख़ासे क्षुब्ध हैं. उनका मानना है कि इस आम बीमारी को झेलने की बहुत भारी आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ रही है. उन्होंने कहा, "यदि आप 75 साल की उम्र तक जीते हैं तो आपको औसत 200 बार सर्दी-ज़ुकाम अपनी चपेट में लेगा...मतलब आपकी ज़िंदगी के पूरे तीन साल छींकते-खाँसते गुजरेंगे. और यदि आप 75 साल पूरे कर चुके हैं तो इस उम्र में 85 प्रतिशत मौत श्वसन संबंधी बीमारियों से होती है...मतलब पकी उम्र में सर्दी-ज़ुकाम की चपेट में आने पर राम-नाम-सत्त होने की बहुत ज़्यादा आशंका रहती है."
तो आख़िर कैसे निपटा जा सकता है हमेशा ही आसपास रहने वाले इस ख़तरे से? प्रोफ़ेसर इकल्स भी मानते हैं कि बड़ी ही मुश्किल चुनौती है. उनके अनुसार फ़्लू के असरदार टीके बनाए जा चुके हैं क्योंकि फ़्लू के लिए ज़िम्मेवार अधिकतर विषाणुओं की चाल-ढाल एक जैसी ही होती है. लेकिन सर्दी-ज़ुकाम के लिए ज़िम्मेवार माने जाने वाले 200 से ज़्यादा विषाणुओं में से अनेक अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं. इसलिए सर्दी-ज़ुकाम के ख़िलाफ़ किसी टीके के क़ामयाब होने की थोड़ी भी संभावना उसी स्थिति में होगी, जब वो इनमें से कम-से-कम 100 विषाणुओं को अप्रभावी करने में सक्षम हो. ज़ाहिर है, इस तरह का कोई भी टीका बनाना अव्यावहारिक लगता है...बनाया भी तो पता नहीं कितनी ज़्यादा लागत आएगी. ये तो हुआ सर्दी-ज़ुकाम के किसी प्रभावी टीके के निर्माण का एक पक्ष.
दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष है साइट-इफ़ेक्ट्स का. कम से कम सौ तरह के विषाणुओं को बेअसर करने वाले किसी टीके के अनेक तरह के साइड-इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं. किसी को कोई असाध्य बीमारी हो तो वह तमाम साइड-इफ़ेक्ट्स झेलने के लिए तैयार होगा, लेकिन सर्दी-ज़ुकाम के नाम पर कोई हल्का-सा भी साइड-इफ़ेक्ट्स लेने के लिए तैयार होगा...ऐसा लगता नहीं.
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माना जाता है शहरों में आबादी की सघनता, तनावपूर्ण जीवनशैली और अपौष्टिक आहार के कारण सर्दी-ज़ुकाम का प्रकोप बहुत ज़्यादा बढ़ गया है. और आजकल जिस तरह का मौसम है (यानि गर्मी अपने समापन के दिनों में है और जाड़ा दस्तक दे रहा है), उसे सर्दी-ज़ुकाम का स्वर्णिम काल कह सकते हैं. सितंबर-अक्तूबर के बाद जनवरी-फ़रवरी में भी विषाणुओं के लिए इस तरह की आदर्श अवस्था बनती है. इस तरह के दिनों में यदि सर्दी-ज़ुकाम का वायरस आपके शरीर तक पहुँच चुके हैं(जहाँ जाइएगा वहीं पाइएगा!), तो शरीर के तापमान में अचानक आई गिरावट के साथ ही आप पूरी तरह उसकी गिरफ़्त में होंगे.
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अनुसंधान में पाया गया है कि तनावमुक्त और ख़ुश रहने वाले लोगों को सर्दी-ज़ुकाम की चपेट में आने की संभावना अपेक्षाकृत कम रहती है. ऐसा संभव नहीं हो तो, सर्दी-ज़ुकाम के विषाणुओं से बचने की कोशिश ज़रूर करें. अपने आसपास किसी को छींकते-खाँसते देखें तो उन्हें दूर करें या ख़ुद दूर हो जाएँ.
यदि आप ख़ुद चपेट में हैं तो छींकते-खाँसते समय मुँह को रूमाल से ढंकना कैसे भूल सकते हैं...पूरी नींद लें, विक्स लगाएँ, मसालेदार भोजन का सेवन करें, जम कर गर्म पेय और सूप पीयें...साथ ही ज़रूरत से ज़्यादा पानी पीयें. सामिष हैं तो मेरा जाँचा-परखा नुस्खा:- बकरे की टाँग का शोरबा बहुत लाभकारी रहता है.
जहाँ तक दवाओं के सेवन की बात है तो सर्दी-ज़ुकाम के दौरान बुख़ार चढ़ जाए या शरीर में दर्द हो तो ही कोई दवा लेने की सलाह दी जाती है. वरना, सर्दी-ज़ुकाम के बारे में तो मशहूर है:- दवाओं का सेवन करो तो एक सप्ताह में राहत मिल जाएगी, वरना सात दिन तक लग सकते हैं!
4 टिप्पणियां:
Very useful info! Par veggie log kya karen?
लेकिन सारी समस्या का हल मानव की प्रतिरोधक क्षमता पर है, एक घर मे 10 प्राणियों मे से 4 को वाइरस पकडता है, 6 को क्यों नही । अगर इस को धयान मे रखते हुये रोग का उपचार ढूँढा जाय तो प्रगति सभव है।
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद। देश-दुनिया हिन्दी के सबसे बेहतरीन चिट्ठों में से एक है। इसे http://www.hindiblogs.com/ में जोड़ लिया गया है। हालाँकि हिन्दीब्लॉग्स डॉट कॉम अभी बीटा चरण में है, इसलिए सभी चिट्ठों की फ़ीड्स को नहीं जोड़ा गया है। शीघ्र ही दूसरे सभी चिट्ठों की फ़ीड्स को भी इसमें जोड़ दिया जाएगा।
जानकारी भरा अच्छा लेख है।
-प्रेमलता पांडे
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