रविवार, अगस्त 14, 2005

रिलीज़ होते ही 'द राइज़िंग' को पुरस्कार


प्रस्तुत है जर्मन रेडियो को आमिर ख़ान के इंटरव्यू का ऑडियो.

फ़िल्म मंगल पांडे-द राइज़िंग पर दर्शकों की आरंभिक राय से तो यही लगता है कि आमिर ख़ान एक बार फिर आम लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं. और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार तो रिलीज़ होने के एक दिन बाद ही मिल गया. लोकार्नो में द राइज़िंग को एशियाई फ़िल्म वर्ग में ज्यूरी का विशेष पुरस्कार दिया गया है.

फ़िल्म की जो भी आलोचनाएँ सामने आई हैं वो उसमें ज़बरदस्ती ठूँसे गए मसाले को लेकर ही. मसलन लटके-झटके वाले गाने. हीरा नामक वेश्या का किरदार. सती बनाई जा रही महिला और उसे बचाने वाले अंग्रेज़ अधिकारी के बीच प्रेम-संबंध.

लेकिन यदि फ़िल्म के संदेश की बात करें तो ऊपर उल्लिखित मसाले के बावज़ूद निर्देशक केतन मेहता साफ संदेश देने में सफल रहे हैं. उन्होंने दिखा दिया कि ग्लोबलाइज़ेशन और मुक्त व्यापार व्यवस्था का दुष्परिणाम किस हद तक हो सकता है. उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त जाति-प्रथा जैसी कई कुरीतियों पर भी चोट की है.

इसमें कोई शक नहीं कि फ़िल्म का मुख्य आकर्षण है आमिर ख़ान की सधी हुई अदाकारी. टोबी स्टीवेंस के अभिनय को भी खुल कर सराहना मिली है.

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