शुक्रवार, अप्रैल 11, 2008

सवाल-जवाब: ओलम्पिक मशाल

लोगो1. क्या ये सच है कि नाज़ियों ने ओलम्पिक मशाल दौड़ की शुरुआत की थी?
हाँ, मौजूदा रूप में मशाल दौड़ की शुरुआत 1936 के बर्लिन ओलम्पिक के दौरान हुई थी. माना जाता है कि हिटलर के प्रचार मंत्री जोज़ेफ़ गोयबल्स को मशाल दौड़ की योजना डॉ. कार्ल डीम ने बताई थी. डीम ने ओलम्पिक के प्रचार का काम भी देख रहे गोयबल्स को बताया कि एथेंस में माउंट ओलिम्पस के हेरा मंदिर से बर्लिन तक की 3422 किलोमीटर की दूरी 3422 आर्य युवा मशाल के साथ पूरा करें तो दुनिया को एक ख़ास तरह का संदेश मिलेगा. मशाल के रूट में बुल्गारिया, युगोस्लाविया, हंगरी, ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया आया. इन सभी देशों पर आगे चल कर नाज़ियों का क़ब्ज़ा हुआ.

वैसे, सही मामलों में पहली विश्वव्यापी ओलम्पिक मशाल दौड़ 2004 के एथेंस ओलम्पिक के लिए आयोजित की गई.

2. मशाल की बनावट के बारे में कुछ बताएँ, और ये भी कि इसमें ईंधन के रूप में क्या होता है?
मशाल का डिज़ायन मेज़बान देश तय करता है. बीजिंग ओलम्पिक की मशाल 72 सेंटीमीटर ऊँची है. मशालअल्युमिनियम निर्मित मशाल का वज़न 985 ग्राम है. मशाल में ईंधन के रूप में प्रोपेन नामक हाइड्रोकार्बन का उपयोग किया जाता है. मौजूदा मशाल 65 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार वाली हवा को झेल सकती है. इतना ही नहीं प्रति घंटे 50 मिलिमीटर की दर से बारिश हो तो उसे भी ये मशाल भलीभाँति झेल सकती है. एक मशाल सामान्य परिस्थितियों में क़रीब 15 मिनट तक जल सकती है. यानि अधिकारियों का लक्ष्य होता है कि दौड़ के समय हर 10-12 मिनट में किसी जल रही मशाल से दूसरी मशाल जलाई जाती रहे.

3. किसी कारणवश कभी मशाल बुझी भी है?
पेरिस में यात्रा के दौरान 7 अप्रैल 2008 को मशाल को तीन बार बुझाना पड़ा. ऐसा चीन विरोधी प्रदर्शनों के कारण ऐहतियात के तौर पर करना पड़ा. इससे पहले मात्र दो अवसर और आए जब ओलम्पिक मशाल बुझी. 1976 में मॉन्ट्रियल में अचानक हुई तेज़ बारिश के कारण मशाल बुझ गई. किसी ने आनन-फ़ानन में सिगरेट लाइटर से उसे जला दिया जो कि ठीक बात नहीं मानी गई. इसलिए फिर बैकअप लैम्प से दौड़ में प्रयुक्त मशाल को नए सिरे से जलाया गया. 2004 में भी एक बार मशाल तेज़ हवा के कारण बुझी थी.मातृज्योति लैम्प

जहाँ तक एक देश से दूसरे देश की यात्रा की बात है, तो हवाई जहाज़ पर ले जाने से पहले मशाल को बुझा दिया जाता है. लेकिन दौड़ के लिए एथेंस में तापक शीशे के सहारे जो अग्नि जलाई जाती है, उस मातृज्योति को सुरक्षित लैम्पों में जलते रहने दिया जाता है. इन लैम्पों को आयोजक देश के अधिकारी विमान में संभाले रखते हैं. मशाल दौड़ के विभिन्न चरणों के बीच रातों में विश्राम के वक़्त भी मशाल बुझा दी जाती है, सिर्फ़ लैम्प ही हमेशा जलते रहते हैं.

4. मशाल दौड़ में शामिल होने के लिए लोगों का चुनाव कौन करता है?
ओलम्पिक मशाल थामने के लिए लोगों का चुनाव कई तरह से किया जाता है. ज़्यादातर तो उस देश के अधिकारियों की सलाह पर चुने जाते हैं, जहाँ कि मशाल दौड़ हो रही होती है. इस कोटि में खेल की दुनिया के लोगों की तादात ज़्यादा होती है, हालाँकि समाज के दूसरे तबकों के प्रतिष्ठित लोगों को भी मौक़ा दिया जाता है. मशाल लेकर दौड़ने के लिए कुछ लोगों का चुनाव आयोजक देश की सरकार की तरफ़ से होता है. जैसे लंदन में मशाल थामने वालों में ब्रिटेन में चीन की राजदूत भी शामिल थीं. तीसरी कोटि के लोग मशाल दौड़ के प्रायोजकों की तरफ़ से लगाए जाते हैं. इस बार की प्रायोजक कंपनियाँ हैं- सैमसंग, कोका-कोला और लेनोवो.

5. इस बार मशाल के इर्दगिर्द प्रथम सुरक्षा घेरा बना कर चल रहे नीली-सफ़ेद ट्रैकसूट वाले रक्षकों का क्या मामला है?
ब्लू-एंड-व्हाइट ब्रिगेड के ये लोग दरअसल चीनी सुरक्षा बल के अतिविशिष्ट दस्ते के सदस्य हैं. इस बार लंदन में मशाल दौड़ में शामिल कुछ धावकों की मानें तो चीनी मशाल-रक्षकों का शालीनता से कोई वास्ता नहीं है. टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में ये धावकों को 'हाथ ऊपर उठा कर रखो, सीधा चलो...' जैसे आदेश देते रहते हैं. लंदन में 2012 के ओलम्पिक आयोजन से जुड़े एक बड़े खेल अधिकारी ने चीनी मशाल रक्षकों को 'Thugs' की उपमा दी है.

नीले-सफ़ेद पहनावे वाले चीनी मशाल रक्षकों का सबसे ज़्यादा विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि ये चीनी सुरक्षा बलों की उन्हीं टुकड़ियों से हैं जिन पर कि तिब्बत में दमनात्मक कार्यों में शामिल होने का आरोप रहा है. और अंतत:, मशाल दौड़ में शामिल ब्रिटेन, फ़्रांस, अमरीका और अर्जेंटीनी जैसे देशों की चुप्पी के बाद जापान ने चीनियों से ये कहने का साहस किया है कि उसके यहाँ चीनी रक्षकों को मशाल के साथ दौड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि जापान अपने दम पर मशाल की सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित कर सकता है.

बुधवार, अप्रैल 09, 2008

चाइना रेडियो की एक रिपोर्ट

लंदन में बीजिंग ओलंपिक मशाल बुझाने की कोशिशमीडिया के लिए पूरी तरह नहीं खुले किसी देश का सूचना-प्रवाह सत्य से कितना दूर हो सकता है, उसकी मिसाल चाइना रेडियो इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में देखा जा सकता है, जिसे हिंदी श्रोताओं/पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया.

मैंने सुना था कि चीनी मीडिया या तो अपनी मर्ज़ी से या सरकारी दबाव में अपने लोगों को आधी-अधूरी या बनी-बनाई ख़बरें देता है. लेकिन भारतवासियों और हिंदीभाषियों के लिए सफेद झूठ प्रसारित करने का कोई मतलब समझ में नहीं आता. क्योंकि भारत में मीडिया के क्षेत्र में खुलापन कई मामलों में तो पश्चिमी देशों से भी ज़्यादा है.

चाइना रेडियो इंटरनेशनल की ख़बर लंदन में ओलंपिक मशाल दौड़ के बारे में है. सब को पता है कि लंदन में 50 किलोमीटर के पूरे रास्ते में मशाल दौड़ को तिब्बत समर्थक और चीन विरोधी प्रदर्शनकारियों का सामना करना पड़ा. क़रीब 35 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया. मशाल छीनने और उसे अग्निशामक से बुझाने की कोशिशों की तस्वीरें दुनिया भर ने देखीं. मशाल थामने के लिए चीनी राजदूत को तयशुदा स्थान से दूर चाइना-टाउन जाना पड़ा. लेकिन ये देखिए ओलंपिक मशाल दौड़ के लंदन चरण के बारे में चाइना रेडियो की रिपोर्ट, सब कुछ कितना व्यवधानरहित और आनंदमय रहा! (कृपया मज़े के लिए पढ़ें.)-

2008-04-07 16:16:49
पेइचिंग ओलिंपिक मशाल रिले लंदन में संपन्न हुई

6 मार्च को 2008 पेइचिंग ओलिंपिक की मशाल रिले ब्रिटेन की राजधानी लंदन में चली , उसी दिन लंदन में बड़ी बर्फबारी पड़ी , विशाल जमीन पर सफेद चादर सा बिछा हुआ , जान पड़ता था कि पूरा शहर एक सफेद दुनिया में आच्छादित था , मौसम ठंडा था , लेकिन ओलिंपिक मशाल के स्वागत में लंदन निवासियों और ब्रिटेन में रह रहे चीनी मूल के लोगों और प्रवासी चीनियों का उत्साह बहुत ऊंचा था ।

ओलिंपिक मशाल रिले 6 मार्च के सुबह सफेद बर्फों से ढके लंदन में हुई । लंदन के उत्तरी भाग में स्थित वेम्बली स्टेडियम के पास आरेना चौक पर रंगबिरंगे झंडे हवा में लहरा रहे थे , बैंड की ध्वनि आकाश में गूंज उठी और चौक पर हजार से अधिक लोग एकत्र हुए , उन में से सपरिवार आए लोग बहुत अधिक थे । सुबह दस बज कर तीस मिनट पर मशाल वेम्बली स्टेडियम में प्रज्ज्वलित किया गया और उस के स्वागत में इकट्ठी भीड़ में हर्षोल्लास गूंज उठा , जो आरेना चौक तक सुनाई पड़ा था। अपने तीन बच्चों को ले कर मशाल रिले देखने आए लंदन निवाली श्री अर्वांद बाटेल और उन के बच्चे हाथों में चीनी राष्ट झंडे , ब्रिटिश राष्ट्र झंडे और ओलिंपिक पताकाएं थामे हर्षोल्लास कर रहे थे । उन्हों ने कहाः

हम स्टेडियम के निकटस्थ स्थान पर है । आज की गतिविधि उत्साहजनक है , मुझे इस प्रकार के संगीत बहुत पसंद है ।

सुश्री काटिए.पोल मशाल रिले के अपने पास से गुजरते देख कर बहुत प्रफुल्लित हुई , वह स्थानीय चीनियों द्वारा प्रस्तुत रंगीन फीता नृत्य से बरबस आकर्षित हुई । उन्हों ने कहाः

यह नृत्य बेहद सुन्दर है । मैं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि रंगीन फीतों से इस किस्म का मनोहर नृत्य पेश किया जा सकता है । यह नृत्य बहुत मोहक है । मुझे बड़ी खुशी हुई कि मशाल रिले यहां से गुजर कर लंदन और अन्य स्थानों को चली जाएगी ।

उसी दिन की मशाल रिले गतिविधि के लिए लंदन के उन सभी स्थलों , जहां मशाल रिले पहुंचेगी , ने अनेक प्रकार के रंगबिरंगे जश्न आयोजित किए । आरेना चौक पर जाकोब .माट्वीजसन ने लाल सफेद रंगों की धारीदार नृत्य पोशाक पहना था और उन के हाथों में अग्नि का प्रतीक वाला पकाता था । वे अपने सहपाठियों के साथ रंगमंच पर कार्यक्रम पेश करने की प्रतीक्षा में थे । उन्हों ने संवाददाता से कहा कि वह लंदन के एक मिडिल स्कूल का छात्र है ।

हम रंगमंच पर प्रोग्राम पेश करेंगे । जब मशाल पहुंचा , तो हमारा एक भाग चक्कर लगाए गोलाकार दिखाएंगे और दूसरा भाग रंगीन झंडे फहराएंगे ।

प्रोग्राम पेश करने वाले स्कूली छात्र दल के नेता ब्रेंट सामुदायिक बस्ती से आई सुश्री क्लारी. सालंडी है । उन्हों ने कहाः

आज बहुत से नौजवान यहां आए हैं । उन्हों ने खुद प्रोग्राम के लिए पोशाक बनाये है । वे पेइचिंग ओलिंपिक मशाल के ब्रिटेन में आने का जोशीला स्वागत करते हैं । उन का यह प्रोग्राम शांति वाहक कबूतरे की आकृति में है , जिस का अर्थ ओलिंपिक भावना शांति है । प्रोग्राम का यह हिस्सा लहराती पवित्र अग्नि का द्योतक है । मैं बहुत भावविभोर हूं, यह एक महान घड़ी है । मैं समझती हूं कि ओलिंपिक मशाल की अग्नि विश्व के सभी देशों के एकता के सूत्र में बांध देगी और खेल समारोह के जरिए लोगों को और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेगी , यह ओलिंपिक द्वारा प्रवर्तित मुख्य विषय है ।

मशाल रिले के लंदन में चलने के समय ब्रिटेन में रह रहे चीनी मूल के लोग और प्रवासी चीनी सब से अधिक प्रभावित हुए । जब मशाल रिले लंदन की चाइना टाउन में खड़े चीनी तौरण तक पहुंची , तो वहां इंजतार में खड़े चीनियों में जोरदार उमंग और उत्साह की लहर दौड़ने लगी । लाल रंग की लाइट , सड़क के दोनों किनारों पर फहराती रंगीन झंडियां , घूम रहे स्वर्णिम ड्रैगन व सिंह नाच और प्यारे प्यारे पेइचिंग ओलिंपिक के पांच शुभंकर यहां के खुशगवार वातावरण को चार गुना बढ़ा गए। लंदन के चीनी व्यापारी संघ के अध्यक्ष श्री तङ चुथिंग ने कहाः

हम पिछले अनेक महीनों से तैयारी कर रहे हैं । देखो , वहां के कंडीलों और रंगीन ध्वजों को देखो , ओलिंपिक के पांच शुभंकर भी आ पहुंचेंगे , हम ड्रैगन व सिंह नाच भी नाचेंगे । और वे चीनी राष्ट्र झंडे , ओलिंपिक ध्वज और ब्रिटिश राष्ट्र झंडे सभी हम ने तैयार कर रखे हुए हैं ।

चीनी मूल की युवती सुश्री कामेन वु सिंह नाच दल की सदस्या है । उस ने अपने सहपाठियों के साथ सिंह नाच नाचते हुए ब्रिटेन स्थित चीनी राजदूत सुश्री फु श्यन और उन के हाथ में थामे मशाल को चाइना टाउन के अंतिम छोर तक पहुंचाया । कामेन .वु ने कहा कि यद्यपि उन की चीनी भाषा अच्छी नहीं है, तथापि वह पेइचिंग ओलिंपक मशाल के साथ निकट संपर्क के इस मौके को बहुत मूल्यवान समझती है । उस ने कहाः

हम ने इस बार की गतिविधि के लिए दो महीनों तक तैयारी की है , हम हर हफ्ते तीन दिन अभ्यास करते थे । मैं बहुत प्रभावित हुई हूं , मैं समझती हूं कि मेरी यह कोशिश मूल्यवान है । आम स्थिति में हमें ओलिंपिक मशाल के इतने नजदीक पहुंचने का मौका नहीं मिलता है ।

लंदन की सड़कों पर बहुत से लोग मशाल रिले के साथ एक स्थल से दूसरे स्थल तक दौड़ने चले जाते थे । उन में से लंदन युनिवर्सिटी के छात्र , अखिल ब्रिटिश चीनी छात्र मित्रता संघ के अध्यक्ष श्री ये हाईथाओ भी हैं । उन की नजर में 6 मार्च की यह हिमपात शुभसूचक है । उन का कहना हैः

आज सुबह बड़ी बर्फबारी हुई , यह बड़ी खुशी की बात है । क्योंकि यह बर्फबारी इस साल के ओलिंपिक की सफलता का शुभसूचक है । यों मौसम ठंडा है , किन्तु लोगों के दिल में गर्मी भरी हुई है । ओलिंपिक एक शानदार खेल समारोह है , वह मातृभूमि का शानदार जश्न है , जिस से मातृभूमि की प्रतिष्ठा और उपलब्धि अभिव्यक्त हुई है।

मशाल रिले के जोशीले वातावरण से ब्रिटिश पक्ष के कर्मचारी भी प्रभावित हुए । मशाल रिले के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के काम में तैनात सुश्री मारिया. आर्मस्ट्रांग ने कहा कि मौसम ठंडा है , पर वह सभी लोगों की भांति बहुत उत्साहित हुई है ।

आज इतने ज्यादा लोग एकत्र हुए हैं , बड़ी खुशी है कि इतने ज्यादा मुस्कराते चेहरे देखे । मौसम सर्द है , लेकिन ओलिंपिक मशाल रिले की कार्यवाही बहुत उम्दा है । मैं पेइचिंग ओलिंपिक देखने के आतुर हूं । मैं और मेरे सहकर्मी सभी आज यहां काम मिलने पर प्रसन्न हुए हैं ।

लंदन में मशाल रिले 50 किलोमीटर लम्बे रास्ते से गुजरी , जो मौजूदा रिले में सब से लम्बी है। रिले ग्रेट ब्रिटेन संग्रहालय , लंदन टावर पुल , चाइना टाउन और बिग बेन क्लॉक आदि दर्शनीय स्थलों से गुजरी । लंदन की मशाल रिले विशिष्ट ऊंचे दर्जे की है । जब मशाल रिले डाउनिंग स्ट्रेट नम्बर 10 पहुंची , उस के स्वागत में ब्रिटिश प्रधान मंत्री गोर्डुन ब्रोन खुद द्वार पर आए और रिले के अंतिम स्थल पर आयोजित समारोह में राजकुमारी आन्ने भी उपस्थित हुई ।

मशाल रिले जब लंदन के पूर्वी भाग में स्थित ग्रीनविच के प्रायद्वीप चौक पर पहुंची , तो वहां अग्नि कुंड को प्रज्ज्वलित करने की रस्म आयोजित हुई । इस के उपरांत मशाल रिले लंदन की गतिविधि समाप्त कर आगे के पड़ाव यानी फ्रांस के पैरिस शांति का संदेश पहुंचाने चली जाएगी ।

पेइचिंग ओलिंपिक मशाल रिले लंदन में अपनी कार्यवाही संपन्न करके 7 मार्च को फ्रांस के शहर पेरिस पहुंची । 7 तारीख को पेरिस के प्रतीकात्मक वास्तु निर्माण यानी एफेर टावर के नीचे से रिले की शुरूआत होगी । इस भव्य रस्म के स्वागत में फ्रांस के पूर्व प्रधान मंत्री , सीनेटर श्री जेन.पिएर . राफिरिन ने 6 तारीख को विशेष कर एफेर टावर के नीचे चीनी संवाददाताओं को इंटरव्यू दिया और कहा कि उन्हें बड़ी खुशी हुई है कि ओलिंपिक पेइचिंग में आयोजित होगा । उन्हों ने कहाः

हालांकि पेरिस को 2012 ओलिंपिक के आयोजन का अवसर नहीं मिला , लेकिन मुझे बड़ी खुशी हुई है कि ओलिंपिक चीन में भी होगा । विश्व के सभी देशों को औलिंपिक आयोजित करने का अधिकार है । चीनी जनता को भी ओलिंपिक का आयोजन करने का अधिकार है । 2008 पेइचिंग ओलिंपिक निश्चय ही चीनी व विश्व युवा का शानदार खेल समारोह होगा । ओलिंपिक का आयोजन चीन द्वारा खुलेपन की नीति लागू करने की अभिव्यक्ति है , साथ ही ओलिंपिक भावना की व्यापकता का महत्व व्यक्त होगा ।


ये रहा रिपोर्ट का- असल लिंक.

चाइना रेडियो इंटरनेशनल ने ल्हासा में हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी एकतरफ़ा रिपोर्टों का एक विशेष पन्ना भी तैयार किया है. नज़र डालने पर पता चलेगा कि राज्यनियंत्रित मीडिया सच्चाई से कितने कोस दूर होता है.

लंदन के बाद पेरिस में भी हंगामा होने के बाद चाइना रेडियो का स्वर थोड़ा बदला, लेकिन फिर भी सच्चाई से कोसों दूर. बाद की रिपोर्टों में 'पवित्र अग्नि' के पथ में बाधा डालने के लिए प्रदर्शनकारियों को लानत दी गई है.