सोमवार, मई 14, 2007

ड्रेनपाइप में होटल

द पार्क होटल, ऑतेनशाइम, ऑस्ट्रियाकोई ज़रूरी नहीं कि विवादों से ही कला को मान्यता मिलती हो. यदि कलाकार व्यावहारिक और उपयोगी कृतियाँ बनाए तो न सिर्फ़ उसकी दुनिया भर में चर्चा होती है, बल्कि उसकी तारीफ़ भी होती है.

चर्चा और सराहना का ये शुभ-संयोग ऑस्ट्रिया के आंद्रियास स्ट्रॉस के नाम भी आया है. स्ट्रॉस कला की शिक्षा ले रहे हैं. यूरोप के अधिकांश छात्रों की तरह ही उन्हें भी बैकपैकिंग या कम पैसे ख़र्च करते हुए लंबी-लंबी पर्यटन यात्राएँ करने का शौक है. और इन यात्राओं के दौरान उन्हें सस्ते होटलों की गंदगी का अनुभव हुआ. स्ट्रॉस ने अपनी पहली प्रमुख कलाकृति में अपने इसी अनुभव की रचनात्मक भड़ास निकाली. और जन्म हुआ, एक बहुत ही साफ़-सुथरे 'होटल' का.

इस होटल में अभी मात्र तीन कमरे हैं. तीनों कमरे Ottensheim शहर में डैन्यूब के किनारे एक पार्क में रखे हुए हैं. जी हाँ रखे हुए हैं...क्योंकि ये कोई आम कमरे नहीं, बल्कि शहरों के नाले में प्रयुक्त कंक्रीट की पाइप के परिवर्तित रूप हैं.

तीन कमरों या यूनिटों की इस व्यवस्था को नाम दिया गया है- Das Park Hotel या 'द पार्क होटल'. कंक्रीट की ड्रेनपाइप में डबल-बेड लगाया गया है. दो मीटर व्यास वाली पाइप में अच्छी-ख़ासी जगह है. इसलिए इसमें एक छोटे स्टोरेज-स्पेस या अलमारी की व्यवस्था भी संभव हो सकी है. इसमें एक लैम्प है, एक खिड़की है और मोबाइल फ़ोन, आइपॉड आदि को चार्ज करने के लिए एक प्लग-प्वाइंट भी है.

ड्रेनपाइप का...माफ़ कीजिए... कमरे का दरवाज़ा, इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से खुलता है. मतलब कमरा छोड़ कर आप पास के सार्वजनिक शौचालय या रेस्तराँ तक गए तो आपकी चीज़ें पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी. क्योंकि आपके द्वारा रिज़र्व किए गए समय में कमरे को खोलने का यूनिक़-कोड सिर्फ़ आपके पास होगा.

ड्रेनपाइप में रहने का स्वप्निल अनुभव...और कहीं ये तो नहीं सोच रहे कि रात में आप सो रहे हों और शरारती तत्व ड्रेनपाइप को लुढ़का कर डैन्यूब में गिरा दे! नहीं जनाब, ऐसा संभव नहीं दिखता. एक तो ऑस्ट्रिया के इस शहर में लुच्चे-लफंगों का आतंक नहीं, और दूसरे किसी ने शरारत करने की ठानी भी तो कम-से-कम क्रेन की व्यवस्था तो करनी ही होगी...क्योंकि हर ड्रेनपाइप नौ टन वज़नी है!

यदि पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल में संपूर्ण निजता का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं, तो देर किस बात की. जल्दी से www.dasparkhotel.net पर जा कर अपना कमरा रिज़र्व कराएँ. कितना ख़र्च आएगा? ये सवाल तो पूछिए भी मत. स्ट्रॉस साहब की यह अनूठी कला-परियोजना Pay As You Wish की व्यवस्था से चलती है. यानि जाको रही भावना जैसी. मतलब जितना आर्थिक सहयोग उचित लगे करें.

ऑस्ट्रिया के स्वप्नदर्शी कला छात्र आंद्रियास स्ट्रॉस के, उन्हीं के शब्दों में, 'a new kind of hospitality-tool in public Space' में आपका स्वागत है!

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ये तो अच्छा है! जितना चाहो उतना भुगतान करो!

बेनामी ने कहा…

अनूठा प्रयोग. वैसे भारत में इस तरह की पाइपों में वंचित तबके के लोगों को रहते देखा जा सकता है.

ghughutibasuti ने कहा…

सुन्दर होटल है । आसपास होता तो हम भी बुकिंग करा लेते ।
घुघूती बासूती

mamta ने कहा…

बहुत बढ़िया ।

बेनामी ने कहा…

वाह वाह क्या खुब तिगड्डम भिड़ाया है.