पाब्लो नेरुदा को काम भावनाएँ जगाने वाली प्रेम कविताओं के लिए तो जाना जाता है ही, उनकी प्रसिद्धि प्रकृति के कवि के रूप में भी है.(समर्पित साम्यवादी पाब्लो नेरुदा एक कुशल राजनयिक भी रहे थे.)
नेरुदा की कविताओं को पढ़ने के बाद कोई संदेह नहीं रह जाता है कि कंकड़-पत्थर, घास-फूस, मिट्टी-पानी ही नहीं बल्कि प्रकृति की हर कृति में प्रेम का वास है. लेकिन संपूर्ण प्रकृति में पाब्लो नेरुदा को सर्वाधिक प्रभावित किया था समुद्रों ने.
पाब्लो नेरुदा के सागर प्रेम का सबूत है शंखों, सीपियों, कौड़ियों और घोंघों का उनका संग्रह. नोबेल पुरस्कार विजेता नेरुदा समुद्र के इस उपहार को 'मोतियों की जननी के लघु देश' की उपमा देते थे.
पाब्लो नेरुदा ने दो दशकों के दौरान सात समुद्रों की यात्रा कर शंख, सीपियों, कौड़ियों और घोंघों के 9000 से ज़्यादा शैल जमा किए. उन्होंने 1954 में अपना संग्रह चिली विश्वविद्यालय को सौंप दिया था.
पहली बार अब इस संग्रह से लिए गए 435 नमूनों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है- स्पेन में मैड्रिड के सेरवाँतेस इंस्टीट्यूट में. यह प्रदर्शनी 24 जनवरी 2009 तक चलेगी. बाद में पाब्लो नेरुदा के इस संग्रह को उनके देश चिली में प्रदर्शित किया जाएगा.
प्रस्तुत हैं नेरुदा के संग्रह से कुछ नमूने:-
सोमवार, दिसंबर 28, 2009
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