गुरुवार, मई 31, 2007
प्रतिभा और प्रतिभावान -2
जैसा कि इस पोस्ट के पहले भाग में ज़िक्र किया गया है, प्रतिभाशाली व्यक्तियों की समाज में मौजूदगी हमेशा ही बहुत कम रही है. लेकिन समाज हर चीज़ की माप का कोई न कोई पैमान गढ़ ही लेता है.
जिस तरह प्रतिभा की माप के लिए IQ का पैमाना है, उसी तरह प्रतिभाशालियों के समाज का पता करने के लिए सबसे विश्वस्त पैमाना नोबेल पुरस्कारों का है. इसे Genius Factor कहा जाता है. जीनियस फ़ैक्टर यानि प्रति एक लाख की आबादी पर नोबेल पुरस्कारों की संख्या. यानि सीधे शब्दों में कहें तो किसी देश के नागरिकों को मिले नोबेल पुरस्कारों की संख्या को उस देश की वर्तमान जनसंख्या से भाग दें और उसमें एक लाख से गुणा करें.
आज की स्थिति देखें तो जीनियस फ़ैक्टर के हिसाब से सबसे स्मार्ट देश स्वीडन है. स्वीडिश नागरिकों ने यों तो मात्र 30 नोबेल पुरस्कार (सर्वाधिक 8 चिकित्सा के क्षेत्र में, और 7 साहित्य में) पाए हैं, लेकिन अपेक्षाकृत कम जनसंख्या का देश होने के कारण स्वीडन का जीनियस फ़ैक्टर 0.329 बनता है. दूसरे नंबर पर स्विटज़रलैंड (0.327) और तीसरे नंबर पर डेनमार्क (0.239) है. अमरीकी नागरिकों को यों तो सर्वाधिक 292 नोबेल पुरस्कार मिले हैं, लेकिन जनसंख्या के अनुरूप गणना करने पर अमरीका आठवें स्थान (0.097) पर आता है. इसी तरह सौ से ज़्यादा नोबेल पुरस्कार लेने वाला ब्रिटेन छठे स्थान (0.168) पर है. कहने की ज़रूरत नहीं कि भारत और चीन जैसी उभरती महाशक्तियाँ इस सूची में दूर-दूर तक नहीं नज़र आती हैं.
अब आइए The Observer द्वारा तैयार अब तक के 20 सर्वाधिक प्रतिभाशाली व्यक्तियों की सूची के बाक़ी दस व्यक्तियों की संक्षिप्त चर्चा करते हैं-
11. Isaac Newton (b. 4 January 1643, d. 31 March 1727). गणितज्ञ. न्यूटन ने बड़ा ही एकाकी बचपन जीया, और संभवत: इसलिए वे शुरुआती दिनों में बेहद ग़ुस्सैल प्रवृति के थे. लेकिन 84 साल की ज़िंदगी जीने वाले न्यूटन ने अधिकांश वैज्ञानिक काम भी जीवन के पूर्वार्द्ध में ही किया. उन्होंने प्रकाश की प्रकृति का विश्लेषण किया, ग्रहों की गति का विवरण दिया और अपनी कृति Philosophiae Naturalis Principia Mathematica में गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौम सिद्धान्त प्रतिपादित किया. उनका प्रसिद्ध कथन- 'यदि मैंने दूरदृष्टि का परिचय दिया है, तो ये सब महापुरुषों द्वारा किए गए कार्यों की सहायता से ही संभव हो सका.'
12. Wolfgang Amadeus Mozart (b. 27 January 1756, d. 5 December 1791). संगीतज्ञ. मोज़ार्ट के पिताजी लियोपोल्द तत्कालीन यूरोप के मूर्धन्य संगीतज्ञों में से थे. मोज़ार्ट के जन्म के साल में ही उनकी कृति A Treatise on the Fundamental Principles of Violin Playing प्रकाशित हुई थी. जब मोज़ार्ट तीन साल के थे तब उनकी विलक्षण प्रतिभा से प्रभावित पिता लियोपोल्द ने संगीत का अपना काम छोड़ कर पूरा समय अपने बेटे की प्रशिक्षण पर लगाने का फ़ैसला किया. मोज़ार्ट ने अपनी पहली संगीत रचना तैयार की तो वे मात्र पाँच साल के थे. मोज़ार्ट की संगीत रचनाओं पर Bach और Handel का असर देखा जा सकता है. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'Neither a lofty degree of intelligence nor imagination nor both together go to the making of genius. Love, love, love, that is the soul of genius.'
13. Ludwig Van Beethoven (baptised 17 December 1770, d. 26 March 1827). संगीतकार. जर्मनी के बॉन शहर में पैदा हुए बीथोवन ने नहीं के बराबर ही स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी. लेकिन शुरू से ही उन्होंने पियानो, वॉयलिन और फ़्रेंच हॉर्न जैसे वाद्य बजाना सीखा. उन्होंने कुछ दिनों तक मोज़ार्ट से भी संगीत शिक्षा पाई, हालाँकि बाद में वे Joseph Haydn की शरण में शिक्षा पाने वियना चले गए. अपने पूर्ववर्ती संगीतज्ञों के विपरीत बीथोवन किसी दरबार से नहीं जुड़े बल्कि ज़्यादार स्वतंत्र रूप से काम किया. जीवन के अंतिम वर्षों में उनकी श्रणव शक्ति पूरी तरह चली गई, लेकिन बावजूद इसके वे लगातार उतकृष्ट संगीत रचना करते रहे. उनके बहरेपन के संभावित कारणों में एक ये भी बताया जाता है कि वह नींद से पीछा छुड़ाने के लिए सर्द पानी में सिर डुबो लेते थे. बीथोवन का एक प्रसिद्ध कथन- 'हम सब वही करें जो कि सही है, पूरी ताक़त से अलभ्य को पाने की कोशिश करें, ईश्वर प्रदत्त गुणों का विकास करें, और सीखना कभी नहीं छोड़ें.'
14. Johann Wolfgang von Goethe (b. 28 August 1749, d. 22 March 1832). कवि, उपन्यासकार, सिद्धान्तकार, वैज्ञानिक. एक संपन्न और प्रभावशाली परिवार में पैदा हुए गोएटे का बचपन से ही साहित्य की ओर रुझान था. क़ानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने फ़्रांकफ़ुर्त में क़ानून के क्षेत्र में काम भी किया. लेकिन कुछ ही दिन में उन्होंने सब कुछ छोड़ साहित्य की शरण ले ली. जर्मन शेक्सपियर कहलाने वाले गोएटे ने कविता, निबंध, आलोचना के क्षेत्र में अनेक रचनाओं के अलावा भौतिकी, जीव विज्ञान और भाषा विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान दिया. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'Common sense is the genius of humanity.'
15. Isambard Kingdom Brunel (b. 9 April 1806, d. 15 September 1859). एक इंजीनिय पिता की संतान ब्रनेल मात्र 20 साल के थे, जब उन्होंने टेम्स नदी के नीचे बनने वाली सुरंग की परियोजना में मुख्य सहायक अभियंता बना दिया गया. ब्रनेल 1828 में टेम्स सुरंग में अचानक पानी भर जाने की दुर्घटना में मरते-मरते बचे थे. रोज़ाना औसत 40 सिगार पीने वाले और चार घंटे सोने वाले ब्रनेल के नाम अनेक पुल, सुरंगें और जहाज़ हैं. उनकी देखरेख में बने ब्रिस्टल के क्लिफ़्टन पुल, लंदन की टेम्स सुरंग, बर्कशैर के मैडेनहेड रेल पुल जैसे कई ऐसे निर्माण आज भी मौजूद हैं जो उस ज़माने में लोगों को दाँतों तले अँगुली दबाने पर बाध्य करते थे.
16. Charles Darwin (b. 12 February 1809, d. 19 April 1882). जीव विज्ञानी. वनस्पति विज्ञानी. एक पढ़े-लिखे धनी परिवार में पैदा हुए डार्विन ने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई अधूरी छोड़ने के बाद जीव-जगत और प्राकृतिक इतिहास में दिलचस्पी लेनी शुरू की. उन्हें प्रसिद्धि मिली बीगल नामक जहाज़ पर पाँच साल लंबी समुद्री यात्रा के दौरान की गई खोजों के कारण. इसी यात्रा के दौरान जुटाई जानकारियों के आधार पर उन्होंने 1838 में Natural Selection का सिद्धान्त प्रतिपादित किया, और फिर 1859 में On the Origins of Species की रचना की.
17. Fyodor Dostoevsky (b. 11 November 1821, d. 9 February 1881). साहित्यकार. शराबी पिता की संतान दोस्तोयेव्स्की का बचपन बड़ा ही हंगामेदार रहा. इस अनुभव का असर उनकी कृतियों में खुल कर देखा जा सकता है. उदारवादी बुद्धिजीवी गुट Petrashevsky Circle का सदस्य होने के आरोप में उन्हें सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. जीवन के अंतिम वर्षों में दोस्तोयेव्स्की को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और उन्हें जुआ खेलने की लत लग गई. उनकी पाँच सर्वाधिक प्रसिद्ध कृतियाँ हैं- Poor Folk, Notes from the Underground, Crime and Punishment, The Idiot और The Brothers Karamazov.
18. Nikola Tesla (b. 10 July 1856, d. 7 january 1943). आविष्कारक, भौतिकशास्त्री, अभियांत्रिकी और वैद्युत इंजीनियर. सर्ब मूल के टेसला चेक, जर्मन, हंगेरियन, इतालवी और लैटिन भाषाओं में निपुण थे. कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले टेसला मानसिक असंतुलन के भी शिकार थे. तीन के अंक में उनका पक्का भरोसा था. टेसला द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त ही आधुनिक एसी विद्युत प्रणाली के नींव बने. थॉमस एडिसन ने भारी आर्थिक लाभ का भरोसा दिला कर टेसला से ख़ूब काम लिए, लेकिन अंतत: उन्हें कुछ भी नहीं दिया. इसके बाद दोनों परस्पर कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन गए. टेसला ने जहाँ AC विद्युत के विकास के लिए ख़ुद को झोंक दिया, वहीं एडिसन ने DC विद्युत पर अपना ध्यान लगाया.
19. Marie Curie (b. 7 November 1867, d. 4 July 1934). भौतिकविद और रसायनशास्त्री. अत्यंत मेहनती क्यूरी की यादाश्त कमाल की थी. काम की धुन में उन्हें न तो खाने की और न ही सोने की चिंता होती थी. महिला होने के कारण तत्कालीन वारसॉ में उन्हें सीमित शिक्षा की ही अनुमति थी, इसलिए उन्हें छुप-छुपाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी. बाद में बड़ी बहन की आर्थिक सहायता की बदौलत वह भौतिकी और गणित की पढ़ाई के लिए पेरिस आईं. उन्होंने फ़्रांस में डॉक्टरेट पूरा करने वाली पहली महिला होने का गौरव पाया. बाद में उन्हें Sorrbonne के विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बनने वाली पहली महिला होने का गौरव भी मिला. यहीं उनकी मुलाक़ात Pierre Curie से हुई जो उनके पति बने. दोनों ने मिलकर दो रेडियोधर्मी तत्वों पोलोनियम और रेडियम की खोज की. दोनों को संयुक्त रूप से 1903 के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला. मैरी क्यूरी को 1911 में रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला. विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह एकमात्र वैज्ञानिक हैं. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'जीवन में किसी चीज़ का भय नहीं होना चाहिए, बल्कि उसकी समझ विकसित की जानी चाहिए.'
20. Albert Einstein (b. 14 March 1879, d. 18 April 1955). जर्मनी में पैदा हुए आइंस्टाइन को बचपन में मुश्किल से बोल पाते थे. पाँच साल की उम्र में उनके पिताजी ने उन्हें क़ुतुबनुमा या कम्पास लाकर दिया. एक अदृश्य शक्ति के कारण चुम्बकीय सुई को घूमते देखने को आइन्सटाइन ने अपने जीवन का सर्वाधिक क्रांतिकारी अनुभव बताया था. युवावस्था में वह अपने परिवार के साथ इटली आकर रहने लगे, वहीं उन्होंने अपना पहला वैज्ञानिक सिद्धान्त पूरा किया. बाद में सैनिक सेवा से बचने के लिए उन्होंने जर्मन नागरिकता छोड़ कर स्विटज़रलैंड की नागरिकता ले ली. 1932 में आइंस्टाइन यूरोप छोड़ कर अमरीका रहने आ गए. उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर ही लेज़र तकनीक विकसित हुई, लेकिन उनकी ख्याति सापेक्षतावाद के सिद्धान्त के कारण हुई. Photoelectric Effect संबंधी 1905 में प्रकाशित काम पर उन्हें 1921 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्होंने ज़िंदगी के आख़िरी वर्षों में विश्व शांति के लिए काम किया. उनकी प्रसिद्ध उक्ति- 'मुझे नहीं पता कि तीसरा विश्व युद्ध किस तरह लड़ा जाएगा, लेकिन चौथा विश्व युद्ध डंडों और पत्थरों से लड़ा जाएगा.'
बुधवार, मई 30, 2007
प्रतिभा और प्रतिभावान -1
बारहवीं की परीक्षा के परिणाम आने के बाद अख़बारों में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली बच्चों के बारे में ख़बरें छप रही हैं. हिंदी ब्लॉग जगत ने भी कुछ मेधावी बच्चों को मंच दिया. प्रतिभावानों की इज़्ज़त में लिखे जाने के इस ख़ास अवसर पर संयोग से मेरे हाथ एक बेहतरीन पुस्तक हाथ लगी है- The Observer Book of GENIUS.
इस पुस्तक के सारे 112 पेज पढ़ जाने के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि प्रतिभा या मेधा शुरू से ही अल्प आपूर्ति में रही है. आख़िर प्रतिभा है क्या? आधुनिक काल के सिद्ध प्रतिभावानों में से एक थॉमस एडिसन की मानें तो प्रतिभा में एक प्रतिशत अंत:प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत मेहनत है. हालाँकि एडिसन से कहीं ज़्यादा प्रतिभावान माने जाने वाले लियोनार्दो दा विंची का कहना था कि उच्चतम प्रतिभा वाला व्यक्ति तब सर्वाधिक सक्रिय होता है, जब वह सबसे कम काम कर रहा हो!
यानि मेधा आख़िर क्या बला है, इस पर शताब्दियों से सिद्ध प्रतिभावान तक एकमत नहीं हो सके हैं. इस बारे में तरह-तरह के सवाल हैं, लेकिन कोई निश्चित जवाब नहीं. क्या प्रतिभा मस्तिष्क की किसी विशेष कोशिका का कमाल है, क्या यह कोई आनुवंशिक चीज़ है, क्या यह प्रकृति के किसी अबूझ फ़ॉर्मूले का कमाल है...या फिर, क्या प्रतिभा सही प्रशिक्षण से, सही दवाओं के ज़रिए या सिर के किसी ख़ास हिस्से में लगी चोट से विकसित की जा सकती है?
जब प्रतिभा की परिभाषा तक पर एका नहीं तो उसे मापने की विधि कितनी भरोसेमंद कही जा सकती है! लेकिन फिर भी दुनिया एक तरीक़े पर काफ़ी हद तक भरोसा करती है. ये है IQ Test, यानि Intelligence Quotient की जाँच. फ़्रांसीसी मनोविज्ञानी अल्फ़्रेड बिनेट ने थियोडोर सिमोन के साथ 1908 में इसकी शुरुआत की. यहाँ ये उल्लेखनीय है कि इस विधि से बच्चों की प्रतिभा ही जाँची जा सकती है. इसमें बच्चों की मानसिक और वास्तविक उम्र का अनुपात निकाला जाता है. मान लीजिए एक 10 साल का बच्चा अपने से तीन साल बड़े यानि 13 साल के बच्चों जितना समझदार है. ऐसे में उसका IQ निकालने के लिए 13 में 10 से भाग देंगे और औसत IQ यानि 100 से गुणा करेंगे. इस तरह उस बच्चे का IQ हुआ 130.
मान्य पंरपराओं के अनुसार 130 से अधिक IQ वाले किसी बच्चे को आमतौर पर प्रतिभाशाली माना जाता है. उच्चतर IQ वालों की संस्था मेन्सा में भी इस IQ स्तर वालों को आमतौर पर प्रवेश मिल जाता है. हालाँकि यह संस्था IQ की जाँच के अलग-अलग तरीक़े अपनाती है. इस समय दुनिया भर के क़रीब एक लाख व्यक्ति मेन्सा के सदस्य हैं.
The Observer की क़िताब में कुल 20 प्रतिभावान लोगों की विस्तार से चर्चा है. ये महानुभाव हैं:-
1. Imhotep (b.2667 BC, d.2648 BC). बहुआयामी प्रतिभा के धनी. स्थापत्य और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव इतिहास का पहला बड़ा नाम. उनकी ये उक्ति बहुत प्रसिद्ध है- 'खाओ, पीओ और आनंद मनाओ क्योंकि एक दिन हमें मर जाना है.'
2. Pythagoras of Samos ( b.582-580 BC, d.547-496 BC). गणितज्ञ, खगोलविद, वैज्ञानिक और दार्शनिक. अंकों के जनक के रूप में विशेष प्रसिद्धि. उन्होंने एक विज्ञानप्रेरित समाज की स्थापना की जिसे पाइथागोरियन्स कहा जाता था. उनका मानना था कि सब कुछ गणित से संबद्ध है और अंक ही अंतिम सच हैं.
3. Plato (b.428 BC, d.349 BC). प्राचीन यूनान की प्रसिद्ध विद्वत तिकड़ी में से एक. बाक़ी दो थे- सुकरात और अरस्तू. प्लेटो एक दार्शनिक के अलावा एक गणितज्ञ भी थे. पश्चिमी जगत में उच्चतर शिक्षा के लिए पहली संस्था की स्थापना उन्होंने ही एथेंस में की थी.
4. Archimedes (b.287 BC, d.212 BC). गणितज्ञ, भौतिकशास्त्री, इंजीनियर, खगोलविद और दार्शनिक. उनके कई आविष्कार आज भी उपयोग में लाए जाते हैं. मशहूर जर्मन गणितज्ञ कार्ल फ़्रेडरिक गॉस ने आर्कमिडिज़ को तीन कालजयी गणितज्ञों में से एक माना है. बाक़ी दो हैं- न्यूटन और आइंस्टाइन. आर्कमिडिज़ की प्रसिद्ध उक्ति- 'मुझे खड़े होने की एक जगह दो, मैं धरती को हिला दूँगा.'
5. Brahmagupta (b.598, d.668). गणितज्ञ और खगोलविद. राजस्थान में पैदा हुए ब्रह्मगुप्त सम्राट हर्ष के ज़माने में उज्जैन की वेधशाला के प्रमुख रहे थे. ब्रह्मगुप्त को गणित-चक्र-चूड़ामणि के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने खगोलशास्त्र में बीजगणित का इस्तेमाल शुरू किया था. शून्य को एक स्वतंत्र अंक का दर्जा उन्होंने ही दिया था.
6. Dante Alighieri (b.1 June 1265, d.13 September 1321). कवि. प्रमुख कृतियाँ- The Divine Comedy, La Vita Nuova, De Vulgari Eloquentia, Monarchia और The Convivio. उनका प्रमुख कथन- 'नरक में सबसे बुरी जगह उन लोगों के लिए सुरक्षित है, जो नैतिक संकट की घड़ियों में तटस्थ रहते हैं.'
7. Leonardo da Vinchi (b. 15 April 1452, d. 2 May 1519). बहुआयामी प्रतिभा के धनी. खगोलशास्त्र, सिविल इंजीनियरिंग, ऑप्टिक्स, चिकित्सा शास्त्र और हाइड्रोडाइनमिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान. एक कलाकार के रूप में Mona Lisa और The Last Supper का चित्रांकन. आविष्कारक के रूप में मानवचालित हेलीकॉप्टर, टैंक, ग्लाइडर, पैराशूट, कैलकुलेटर आदि का डिज़ायन तैयार किया. इस्तांबुल के सुल्तान बेयाज़िद द्वितीय के लिए लियोनार्दो ने एक पुल का डिज़ायन किया था, जिसे असंभव मान कर सुल्तान ने नहीं बनवाया, लेकिन 2001 में नॉर्वे में उस डिज़ायन को सफलतापूर्वक कार्यरूप दिया गया.
8. Michelangelo (b. 6 March 1475, d. 18 February 1564). पेन्टर, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, कवि और इंजीनियर. रोम के सिस्टीन चैपल में उन्होंने The Scenes from Genesis और The Last Judgment के रूप में जो फ़्रेस्को चित्रकारी की उसकी दूसरी मिसाल नहीं. इसी तरह उनकी बनाई डेविड की मूर्ति भी अद्वितीय कृति ही मानी जाती है.
9. William Shakespeare (b. 26 April 1564, d. 23 April 1616). कवि और नाटककार. उनके दुखान्त, ऐतिहासिक, रोमांटिक और हास्यपूर्ण नाटकों को अंग्रेज़ी साहित्य में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. उन्होंने अपने कई नाटकों में अभिनय भी किया था. शेक्सपियर ने प्यार, सुंदरता और जीवन की क्षणभंगुरता पर कई ख़ूबसूरत कविताएँ भी लिखी हैं.
10. Galileo Galilei (b. 15 February 1564, d. 8 January 1642). भौतिकशास्त्री, खगोलविद और दर्शनशास्त्री. उन्होंने धरती केन्द्रित खगोलशास्त्र को चुनौती देते हुए सूर्य केन्द्रित खगोल विज्ञान का प्रतिपादन किया. सापेक्षवाद के बारे में भी उन्होंने विचार व्यक्त किए थे. उन्होंने गणित, सैद्धान्तिक भौतिकी और प्रायोगिक भौतिकी के अन्तर्संबंधों पर प्रकाश डाला. गैलीलियो ने विज्ञान को दर्शन शास्त्र और धर्म से अलग करने का हरसंभव प्रयास किया, और इसी कारण कैथोलिक चर्च से दुश्मनी मोल ले ली. आइन्सटाइन ने उन्हें आधुनिक विज्ञान का जनक कहा है. उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति- 'ईश्वर की भाषा है गणित.'
(अगले पोस्ट में जारी...)
इस पुस्तक के सारे 112 पेज पढ़ जाने के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि प्रतिभा या मेधा शुरू से ही अल्प आपूर्ति में रही है. आख़िर प्रतिभा है क्या? आधुनिक काल के सिद्ध प्रतिभावानों में से एक थॉमस एडिसन की मानें तो प्रतिभा में एक प्रतिशत अंत:प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत मेहनत है. हालाँकि एडिसन से कहीं ज़्यादा प्रतिभावान माने जाने वाले लियोनार्दो दा विंची का कहना था कि उच्चतम प्रतिभा वाला व्यक्ति तब सर्वाधिक सक्रिय होता है, जब वह सबसे कम काम कर रहा हो!
यानि मेधा आख़िर क्या बला है, इस पर शताब्दियों से सिद्ध प्रतिभावान तक एकमत नहीं हो सके हैं. इस बारे में तरह-तरह के सवाल हैं, लेकिन कोई निश्चित जवाब नहीं. क्या प्रतिभा मस्तिष्क की किसी विशेष कोशिका का कमाल है, क्या यह कोई आनुवंशिक चीज़ है, क्या यह प्रकृति के किसी अबूझ फ़ॉर्मूले का कमाल है...या फिर, क्या प्रतिभा सही प्रशिक्षण से, सही दवाओं के ज़रिए या सिर के किसी ख़ास हिस्से में लगी चोट से विकसित की जा सकती है?
जब प्रतिभा की परिभाषा तक पर एका नहीं तो उसे मापने की विधि कितनी भरोसेमंद कही जा सकती है! लेकिन फिर भी दुनिया एक तरीक़े पर काफ़ी हद तक भरोसा करती है. ये है IQ Test, यानि Intelligence Quotient की जाँच. फ़्रांसीसी मनोविज्ञानी अल्फ़्रेड बिनेट ने थियोडोर सिमोन के साथ 1908 में इसकी शुरुआत की. यहाँ ये उल्लेखनीय है कि इस विधि से बच्चों की प्रतिभा ही जाँची जा सकती है. इसमें बच्चों की मानसिक और वास्तविक उम्र का अनुपात निकाला जाता है. मान लीजिए एक 10 साल का बच्चा अपने से तीन साल बड़े यानि 13 साल के बच्चों जितना समझदार है. ऐसे में उसका IQ निकालने के लिए 13 में 10 से भाग देंगे और औसत IQ यानि 100 से गुणा करेंगे. इस तरह उस बच्चे का IQ हुआ 130.
मान्य पंरपराओं के अनुसार 130 से अधिक IQ वाले किसी बच्चे को आमतौर पर प्रतिभाशाली माना जाता है. उच्चतर IQ वालों की संस्था मेन्सा में भी इस IQ स्तर वालों को आमतौर पर प्रवेश मिल जाता है. हालाँकि यह संस्था IQ की जाँच के अलग-अलग तरीक़े अपनाती है. इस समय दुनिया भर के क़रीब एक लाख व्यक्ति मेन्सा के सदस्य हैं.
The Observer की क़िताब में कुल 20 प्रतिभावान लोगों की विस्तार से चर्चा है. ये महानुभाव हैं:-
1. Imhotep (b.2667 BC, d.2648 BC). बहुआयामी प्रतिभा के धनी. स्थापत्य और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव इतिहास का पहला बड़ा नाम. उनकी ये उक्ति बहुत प्रसिद्ध है- 'खाओ, पीओ और आनंद मनाओ क्योंकि एक दिन हमें मर जाना है.'
2. Pythagoras of Samos ( b.582-580 BC, d.547-496 BC). गणितज्ञ, खगोलविद, वैज्ञानिक और दार्शनिक. अंकों के जनक के रूप में विशेष प्रसिद्धि. उन्होंने एक विज्ञानप्रेरित समाज की स्थापना की जिसे पाइथागोरियन्स कहा जाता था. उनका मानना था कि सब कुछ गणित से संबद्ध है और अंक ही अंतिम सच हैं.
3. Plato (b.428 BC, d.349 BC). प्राचीन यूनान की प्रसिद्ध विद्वत तिकड़ी में से एक. बाक़ी दो थे- सुकरात और अरस्तू. प्लेटो एक दार्शनिक के अलावा एक गणितज्ञ भी थे. पश्चिमी जगत में उच्चतर शिक्षा के लिए पहली संस्था की स्थापना उन्होंने ही एथेंस में की थी.
4. Archimedes (b.287 BC, d.212 BC). गणितज्ञ, भौतिकशास्त्री, इंजीनियर, खगोलविद और दार्शनिक. उनके कई आविष्कार आज भी उपयोग में लाए जाते हैं. मशहूर जर्मन गणितज्ञ कार्ल फ़्रेडरिक गॉस ने आर्कमिडिज़ को तीन कालजयी गणितज्ञों में से एक माना है. बाक़ी दो हैं- न्यूटन और आइंस्टाइन. आर्कमिडिज़ की प्रसिद्ध उक्ति- 'मुझे खड़े होने की एक जगह दो, मैं धरती को हिला दूँगा.'
5. Brahmagupta (b.598, d.668). गणितज्ञ और खगोलविद. राजस्थान में पैदा हुए ब्रह्मगुप्त सम्राट हर्ष के ज़माने में उज्जैन की वेधशाला के प्रमुख रहे थे. ब्रह्मगुप्त को गणित-चक्र-चूड़ामणि के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने खगोलशास्त्र में बीजगणित का इस्तेमाल शुरू किया था. शून्य को एक स्वतंत्र अंक का दर्जा उन्होंने ही दिया था.
6. Dante Alighieri (b.1 June 1265, d.13 September 1321). कवि. प्रमुख कृतियाँ- The Divine Comedy, La Vita Nuova, De Vulgari Eloquentia, Monarchia और The Convivio. उनका प्रमुख कथन- 'नरक में सबसे बुरी जगह उन लोगों के लिए सुरक्षित है, जो नैतिक संकट की घड़ियों में तटस्थ रहते हैं.'
7. Leonardo da Vinchi (b. 15 April 1452, d. 2 May 1519). बहुआयामी प्रतिभा के धनी. खगोलशास्त्र, सिविल इंजीनियरिंग, ऑप्टिक्स, चिकित्सा शास्त्र और हाइड्रोडाइनमिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान. एक कलाकार के रूप में Mona Lisa और The Last Supper का चित्रांकन. आविष्कारक के रूप में मानवचालित हेलीकॉप्टर, टैंक, ग्लाइडर, पैराशूट, कैलकुलेटर आदि का डिज़ायन तैयार किया. इस्तांबुल के सुल्तान बेयाज़िद द्वितीय के लिए लियोनार्दो ने एक पुल का डिज़ायन किया था, जिसे असंभव मान कर सुल्तान ने नहीं बनवाया, लेकिन 2001 में नॉर्वे में उस डिज़ायन को सफलतापूर्वक कार्यरूप दिया गया.
8. Michelangelo (b. 6 March 1475, d. 18 February 1564). पेन्टर, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, कवि और इंजीनियर. रोम के सिस्टीन चैपल में उन्होंने The Scenes from Genesis और The Last Judgment के रूप में जो फ़्रेस्को चित्रकारी की उसकी दूसरी मिसाल नहीं. इसी तरह उनकी बनाई डेविड की मूर्ति भी अद्वितीय कृति ही मानी जाती है.
9. William Shakespeare (b. 26 April 1564, d. 23 April 1616). कवि और नाटककार. उनके दुखान्त, ऐतिहासिक, रोमांटिक और हास्यपूर्ण नाटकों को अंग्रेज़ी साहित्य में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. उन्होंने अपने कई नाटकों में अभिनय भी किया था. शेक्सपियर ने प्यार, सुंदरता और जीवन की क्षणभंगुरता पर कई ख़ूबसूरत कविताएँ भी लिखी हैं.
10. Galileo Galilei (b. 15 February 1564, d. 8 January 1642). भौतिकशास्त्री, खगोलविद और दर्शनशास्त्री. उन्होंने धरती केन्द्रित खगोलशास्त्र को चुनौती देते हुए सूर्य केन्द्रित खगोल विज्ञान का प्रतिपादन किया. सापेक्षवाद के बारे में भी उन्होंने विचार व्यक्त किए थे. उन्होंने गणित, सैद्धान्तिक भौतिकी और प्रायोगिक भौतिकी के अन्तर्संबंधों पर प्रकाश डाला. गैलीलियो ने विज्ञान को दर्शन शास्त्र और धर्म से अलग करने का हरसंभव प्रयास किया, और इसी कारण कैथोलिक चर्च से दुश्मनी मोल ले ली. आइन्सटाइन ने उन्हें आधुनिक विज्ञान का जनक कहा है. उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति- 'ईश्वर की भाषा है गणित.'
(अगले पोस्ट में जारी...)
सोमवार, मई 14, 2007
ड्रेनपाइप में होटल
कोई ज़रूरी नहीं कि विवादों से ही कला को मान्यता मिलती हो. यदि कलाकार व्यावहारिक और उपयोगी कृतियाँ बनाए तो न सिर्फ़ उसकी दुनिया भर में चर्चा होती है, बल्कि उसकी तारीफ़ भी होती है.
चर्चा और सराहना का ये शुभ-संयोग ऑस्ट्रिया के आंद्रियास स्ट्रॉस के नाम भी आया है. स्ट्रॉस कला की शिक्षा ले रहे हैं. यूरोप के अधिकांश छात्रों की तरह ही उन्हें भी बैकपैकिंग या कम पैसे ख़र्च करते हुए लंबी-लंबी पर्यटन यात्राएँ करने का शौक है. और इन यात्राओं के दौरान उन्हें सस्ते होटलों की गंदगी का अनुभव हुआ. स्ट्रॉस ने अपनी पहली प्रमुख कलाकृति में अपने इसी अनुभव की रचनात्मक भड़ास निकाली. और जन्म हुआ, एक बहुत ही साफ़-सुथरे 'होटल' का.
इस होटल में अभी मात्र तीन कमरे हैं. तीनों कमरे Ottensheim शहर में डैन्यूब के किनारे एक पार्क में रखे हुए हैं. जी हाँ रखे हुए हैं...क्योंकि ये कोई आम कमरे नहीं, बल्कि शहरों के नाले में प्रयुक्त कंक्रीट की पाइप के परिवर्तित रूप हैं.
तीन कमरों या यूनिटों की इस व्यवस्था को नाम दिया गया है- Das Park Hotel या 'द पार्क होटल'. कंक्रीट की ड्रेनपाइप में डबल-बेड लगाया गया है. दो मीटर व्यास वाली पाइप में अच्छी-ख़ासी जगह है. इसलिए इसमें एक छोटे स्टोरेज-स्पेस या अलमारी की व्यवस्था भी संभव हो सकी है. इसमें एक लैम्प है, एक खिड़की है और मोबाइल फ़ोन, आइपॉड आदि को चार्ज करने के लिए एक प्लग-प्वाइंट भी है.
ड्रेनपाइप का...माफ़ कीजिए... कमरे का दरवाज़ा, इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से खुलता है. मतलब कमरा छोड़ कर आप पास के सार्वजनिक शौचालय या रेस्तराँ तक गए तो आपकी चीज़ें पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी. क्योंकि आपके द्वारा रिज़र्व किए गए समय में कमरे को खोलने का यूनिक़-कोड सिर्फ़ आपके पास होगा.
...और कहीं ये तो नहीं सोच रहे कि रात में आप सो रहे हों और शरारती तत्व ड्रेनपाइप को लुढ़का कर डैन्यूब में गिरा दे! नहीं जनाब, ऐसा संभव नहीं दिखता. एक तो ऑस्ट्रिया के इस शहर में लुच्चे-लफंगों का आतंक नहीं, और दूसरे किसी ने शरारत करने की ठानी भी तो कम-से-कम क्रेन की व्यवस्था तो करनी ही होगी...क्योंकि हर ड्रेनपाइप नौ टन वज़नी है!
यदि पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल में संपूर्ण निजता का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं, तो देर किस बात की. जल्दी से www.dasparkhotel.net पर जा कर अपना कमरा रिज़र्व कराएँ. कितना ख़र्च आएगा? ये सवाल तो पूछिए भी मत. स्ट्रॉस साहब की यह अनूठी कला-परियोजना Pay As You Wish की व्यवस्था से चलती है. यानि जाको रही भावना जैसी. मतलब जितना आर्थिक सहयोग उचित लगे करें.
ऑस्ट्रिया के स्वप्नदर्शी कला छात्र आंद्रियास स्ट्रॉस के, उन्हीं के शब्दों में, 'a new kind of hospitality-tool in public Space' में आपका स्वागत है!
चर्चा और सराहना का ये शुभ-संयोग ऑस्ट्रिया के आंद्रियास स्ट्रॉस के नाम भी आया है. स्ट्रॉस कला की शिक्षा ले रहे हैं. यूरोप के अधिकांश छात्रों की तरह ही उन्हें भी बैकपैकिंग या कम पैसे ख़र्च करते हुए लंबी-लंबी पर्यटन यात्राएँ करने का शौक है. और इन यात्राओं के दौरान उन्हें सस्ते होटलों की गंदगी का अनुभव हुआ. स्ट्रॉस ने अपनी पहली प्रमुख कलाकृति में अपने इसी अनुभव की रचनात्मक भड़ास निकाली. और जन्म हुआ, एक बहुत ही साफ़-सुथरे 'होटल' का.
इस होटल में अभी मात्र तीन कमरे हैं. तीनों कमरे Ottensheim शहर में डैन्यूब के किनारे एक पार्क में रखे हुए हैं. जी हाँ रखे हुए हैं...क्योंकि ये कोई आम कमरे नहीं, बल्कि शहरों के नाले में प्रयुक्त कंक्रीट की पाइप के परिवर्तित रूप हैं.
तीन कमरों या यूनिटों की इस व्यवस्था को नाम दिया गया है- Das Park Hotel या 'द पार्क होटल'. कंक्रीट की ड्रेनपाइप में डबल-बेड लगाया गया है. दो मीटर व्यास वाली पाइप में अच्छी-ख़ासी जगह है. इसलिए इसमें एक छोटे स्टोरेज-स्पेस या अलमारी की व्यवस्था भी संभव हो सकी है. इसमें एक लैम्प है, एक खिड़की है और मोबाइल फ़ोन, आइपॉड आदि को चार्ज करने के लिए एक प्लग-प्वाइंट भी है.
ड्रेनपाइप का...माफ़ कीजिए... कमरे का दरवाज़ा, इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से खुलता है. मतलब कमरा छोड़ कर आप पास के सार्वजनिक शौचालय या रेस्तराँ तक गए तो आपकी चीज़ें पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी. क्योंकि आपके द्वारा रिज़र्व किए गए समय में कमरे को खोलने का यूनिक़-कोड सिर्फ़ आपके पास होगा.
...और कहीं ये तो नहीं सोच रहे कि रात में आप सो रहे हों और शरारती तत्व ड्रेनपाइप को लुढ़का कर डैन्यूब में गिरा दे! नहीं जनाब, ऐसा संभव नहीं दिखता. एक तो ऑस्ट्रिया के इस शहर में लुच्चे-लफंगों का आतंक नहीं, और दूसरे किसी ने शरारत करने की ठानी भी तो कम-से-कम क्रेन की व्यवस्था तो करनी ही होगी...क्योंकि हर ड्रेनपाइप नौ टन वज़नी है!
यदि पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल में संपूर्ण निजता का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं, तो देर किस बात की. जल्दी से www.dasparkhotel.net पर जा कर अपना कमरा रिज़र्व कराएँ. कितना ख़र्च आएगा? ये सवाल तो पूछिए भी मत. स्ट्रॉस साहब की यह अनूठी कला-परियोजना Pay As You Wish की व्यवस्था से चलती है. यानि जाको रही भावना जैसी. मतलब जितना आर्थिक सहयोग उचित लगे करें.
ऑस्ट्रिया के स्वप्नदर्शी कला छात्र आंद्रियास स्ट्रॉस के, उन्हीं के शब्दों में, 'a new kind of hospitality-tool in public Space' में आपका स्वागत है!
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