tag:blogger.com,1999:blog-12465571.post4134941501571612658..comments2023-10-20T10:08:13.617+00:00Comments on देश-दुनिया: वैलेंटाइन्स डे का बढ़ता विरोधहिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttp://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-7994899683946548012009-02-14T22:50:00.000+00:002009-02-14T22:50:00.000+00:00लेख पर प्रतिक्रियाओं के लिए आप सब का आभार!@नीरज जी...लेख पर प्रतिक्रियाओं के लिए आप सब का आभार!<BR/>@नीरज जी, पहली पंक्ति में ही मैंने लिख दिया है कि हमें बजरंग दल या तालेबान जैसे गुटों से कोई सहानुभूति नहीं है. फिर भी आपने लिखा है तो और स्पष्ट कर दूँ कि आप की तरह मैं भी तोड़-फोड़ करने वालों का घोर विरोधी हूँ.<BR/>@तरुण जी, एक रोचक लेख पढ़वाने के लिए धन्यवाद!हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-62717587264365986312009-02-14T21:58:00.000+00:002009-02-14T21:58:00.000+00:00"14 फ़रवरी को जिस तरह बाज़ारवाद नंगा होकर नाचता है..."14 फ़रवरी को जिस तरह बाज़ारवाद नंगा होकर नाचता है, उसे देख कर थोड़ी चिढ़ ज़रूर होती है|"<BR/><BR/>हमको भी बहुत सी चीजों को देखकर/सुनकर चिढ होती है। लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि हर वो चीज जो हमें पसन्द नहीं है तोड-फ़ोड/नष्ट कर दी जाये।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-86863459469260869572009-02-14T08:15:00.000+00:002009-02-14T08:15:00.000+00:00जानकारी देने का बहुत बहुत धन्यवाद......जानकारी देने का बहुत बहुत धन्यवाद......संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-54489360709561830772009-02-14T05:40:00.000+00:002009-02-14T05:40:00.000+00:00बाजारवाद का विरोध करने के लिये और भी विचारणीय बिंद...बाजारवाद का विरोध करने के लिये और भी विचारणीय बिंदु हैं। कुछ उदाहरण: विवाह के समय दूल्हा नोटों की माला क्यों पहनता है? विवाह के समय पैसे का घोर आदान-प्रदान क्यों होता है? होली पर फूलों से रंग न बनाकर प्लास्टिक की थैलियों में भरा रंग क्यों खेला जाता है? दीपावली पर घर में बनी गुजिया-मिठाइयों की जगह हल्दीराम जैसी कंपनियों की मिठाइयां क्यों बांटी जाती हैं? दीपावली पर मासूम बाल-मजदूरों द्वारा बनाये गये पटाखे क्यों फोड़े जाते हैं? क्रिकेट मैच के दौरान कैमरे वाले भारी मेकप और कम कपड़े वाली महिलाओं पर कैमरा क्यों केंद्रित करते हैं? चलिये छोड़िये, संजीदा न होते हुये इस मामले को यहीं खत्म किया जाये!Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-87988192958428190612009-02-14T05:35:00.000+00:002009-02-14T05:35:00.000+00:00जो भी चर्चा में हो उसका बाजार उपयोग कर लेता है। चा...जो भी चर्चा में हो उसका बाजार उपयोग कर लेता है। चाहे वेलेण्टाइन समर्थन हो या विरोध।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12465571.post-5623231092974047012009-02-14T02:50:00.000+00:002009-02-14T02:50:00.000+00:00ऐसे लेख सिर्फ वॉल स्ट्रीट में नही हैं यहाँ के अन्य...ऐसे लेख सिर्फ वॉल स्ट्रीट में नही हैं यहाँ के अन्य अखबारों में भी हैं। आपने इस पर लिखा है इसलिये बताता चलूँ कि सीएनएन के रोलेंड मार्टिन ने भी वैलेंटाईन को कमर्शियल होलीडे कहते हुए लिखा है - <A HREF="http://www.cnn.com/2009/POLITICS/02/11/martin.valentine/index.html" REL="nofollow">डोंट बी माय वैलेंटाईन</A>Anonymousnoreply@blogger.com